गणेश जी के ये 5 फेमस इच्छापूर्णी मंदिर
punjabkesari.in Saturday, Sep 18, 2021 - 06:46 PM (IST)
गणेश जी को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दौरान जहां लोगों ने बप्पा को अपने घरों में विराजा हैं, वहीं दूसरी ओर मंदिरों की साज-सज्जा भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। तो आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताते हैं, जिनके दर्शन करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं...
उज्जैन का चिंतामण गणेश मंदिर
उज्जैन में बना भगवान गणेश का ये प्रसिद्ध मंदिर 1100 साल पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित मूर्तियों की स्थापना भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जी ने की थी। ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में चिंतामण गणेश चिंता से मुक्ति प्रदान करते हैं।भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां मन्नत के धागे बांधते हैं और उल्टा स्वस्तिक भी बनाते हैं।
जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर
जयपुर में भगवान गणेश का ये प्राचीन मंदिर वहां के लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां स्ठापित मूर्तियां 500 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। कहां जाता है कि मंदिर में विराजमान गणेश जी की मूर्ति को जयपुर के राजा माधो सिंह प्रथम की पटरानी के मायका गांव मावली से लाया गया था। ये मंदिर नए वाहनों की पूजा के लिए भी प्रसिद्ध है।
इंदौर का खजराना गणेश मंदिर
इन्दौर में बना खजराना गणेश मंदिर भी बहुत मशहूर है। इसे अहिल्या बाई होल्कर ने बनवाया था। इसमें भगवान गणपति जी की मूर्ति केवल सिन्दूर द्वारा निर्मित है। ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में रहने वाले एक पंडित मंगल भट्ट को जमीन में गणेश जी की मूर्ति के दबे होने का सपना आया था। तो खुदाई के बाद यहां से भगवान की मूर्ति मिली और फिर महारानी ने यहां मंदिर बनवाया था।
मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर
राजधानी मुंबई के प्रभादेवी में स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर देश के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है। यहां पर फिल्म स्टार्स, देश के बड़े उद्योगपति मन्नत मांगने और पूरा होने पर चढ़ावा चढ़ाने आते रहते हैं। यहां पर स्थापित गणेश जी का मूर्ति लगभग 200 साल पुराना है। मंदिर के सबसे उपर 3.5 किलो सोने का कलश लगा हुआ है। इतना ही नही मंदिर के अंदर दीवारों तक पर सोने की परत चढ़ी हुई है।
पुणे का दगड़ू गणेश मंदिर
पुणे का दगड़ू मंदिर भी बप्पा के अनेक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं। गणपति जी का ये मंदिर भी 200 साल पुराना है। यहां के व्यापारी दगड़ू सेठ हलवाई ने प्लेग महामारी के कारण अपने पुत्र की अकाल मृत्यु के बाद गुरु माधवनाथ जी के कहने पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था।