पिछले 2 माह से भूख से तड़पता रहा इस महिला का परिवार, मां और 5 बच्चों का सूखकर हुआ बुरा हाल

punjabkesari.in Thursday, Jun 17, 2021 - 09:56 AM (IST)

कोरोना काल में जहां हज़ारों, लाखों लोग बेरोजगार हो गए वहीं गरीबी इलाकों में नौबत यहां तक आ गई कि लोगों को एक वक्त की रोटी तक नहीं नसीब हो पा रही हैं।  ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है यूपी के अलीगढ़ में, जहां एक महिला और उसके 5 बच्चे करीब 2 महीने से खाने के लिए तरस गए, और हालत यह गई कि पिछले पांच दिनों से रोटी का एक टूकड़ा भी इन्हें नसीब नहीं हुआ। 

PunjabKesari

भूखे रहने के कारण पूरे परिवार के सदस्यों की तबियत बिगड़ी
पूरे परिवार के सदस्यों की भूखे रहने के कारण तबियत इतनी खराब हो गई क उन्हें अस्पताल ले जाया गया।  जिन्हें अब मलखान सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि अब उनका डॉक्टर्स ख्याल रख रहे हैं और एनजीओ ने भी कुछ मदद पहुंचाई है। 
 

महिला के पति की कोविड लॉकडाउन में गंभीर बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी-
जानकारी के मुताबिक, अलीगढ़ के थाना सासनी गेट इलाके के आगरा रोड स्थित मंदिर नगला में करीब 40 वर्षीय गुड्डी नाम की महिला अपने छोटे-छोटे पांच बच्चों 20 वर्षीय अजय, 15 वर्षीय विजय, 13 वर्षीय बेटी अनुराधा, 10 वर्षीय टीटू व सबसे छोटा बेटा 5 वर्षीय सुंदरम के साथ रहती है। गुड्डी के मुताबिक उसके पति विनोद की बीते वर्ष 2020 में कोविड लॉकडाउन से 2 दिन पूर्व ही गंभीर बीमारी के चलते मृत्यु हो गई। 


PunjabKesari
 

पति के निधन के बाद महिला ने फैक्ट्री में 4 हजार रुपए पर की नौकरी-
जिसके बाद परिवार का पेट पालने के लिए गुड्डी ने एक फैक्ट्री में 4 हजार रुपए महीने पर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री कुछ समय बाद घाटे के चलते पूरी तरह बंद हो गई। उसके बाद गुड्डी को कहीं काम नहीं मिल सका। घर में रखा राशन भी धीरे-धीरे खत्म हो गया। और नौबत लोगों द्वारा दिये गए खाने के पैकेट पर निर्भर होने पर आ गई। फिर गुड्डी के बड़े बेटे अजय ने पिछले लॉकडाउन खुलने के बाद मजदूरी/बेलदारी शुरू कर दी। 

पिछले 2 महीने से भरपेट खाना नसीब नहीं हुआ-
जिस दिन काम मिल जाता था तो उसी दिन घर में परिवार वालों को रोटी मिल जाती। जिस दिन काम न मिलता उस दिन भूखे पेट सोना पड़ता। भर पेट खाना न मिलने के कारण 13 वर्ष की बेटी अनुराधा की तबियत खराब रहने लगी। धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्य बीमारी की चपेट में आने शुरू हो गए। देखते ही देखते कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी और फिर से लॉकडाउन हो गया। जिसके चलते अजय को जो थोड़ा बहुत मजदूरी मिल जाती थी वह भी बंद हो गई। गुड्डी व अजय का कहना है कि पिछले 2 महीने से भरपेट खाना नसीब नहीं हो सका है। 


PunjabKesari

आसपड़ोस जो देते उससे गुजारा करते नहीं तो पानी पीकर सो जाते-
आसपड़ोस के लोग जो भी दे देते उसी से काम चला लिया करते थे। बाकी पानी पीकर सो जाया करते। नौबत यहां तक आ गई कि पिछले 10 दिनों से रोटी नहीं खाई। गुड्डी के मुताबिक इसकी जानकारी उसकी बड़ी बेटी जिसकी शादी हो चुकी है। उसको हुई तो उसके पति ने पूरे परिवार को मलखान सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया। हालांकि बेटी दामाद की भी आर्तिक हालात ठीक नहीं है।
 

एनजीओ ने मदद के लिए बढ़ाया हाथ-
वहीं, हैंड फ़ॉर हेल्प एनजीओ को इसकी जानकारी हुई तो उसके सदस्य भी मदद के लिए हॉस्पिटल पहुंच गए। एनजीओ के सुनील का कहना है कि वह भी हर सम्भव मदद देने की कोशिश कर रहे हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Recommended News

Related News

static