16 करोड़ रु का इंजेक्शन भी बच्ची को नहीं बचा सका, जानिए इस दुर्लभ बीमारी के बारे में

punjabkesari.in Wednesday, Aug 04, 2021 - 01:50 PM (IST)

दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी जिसे rare genetic disease भी कहते हैं ऐसी ही बीमारी से जूझ रही एक मासूम बच्ची ने अपनी जान गंवा दी। एक साल की इस बच्ची की पुणे के एक अस्पताल में मौत हो गई। बच्ची की स्थिति के बारे में जानकर कई लोगों द्वारा दी गयी वित्तीय सहायता के बाद उसे 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन भी लगाया गया था, जिसके बावजूद भी बच्ची की जान को बचाया न जा सका। 

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मौत से कुछ घंटे पहले ही बच्ची की दी थी हेल्थ अपडेट
इतना ही नहीं बच्ची वेदिका शिंदे की मौत से कुछ घंटे पहले ही उसके परिजनों ने सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें और वीडियो अपलोड कर स्वास्थ्य में सुधार के बारे में बताया था,  बच्ची का पूर्व में इलाज कर चुके दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि दूध पीने में दिक्कत आने के कारण बच्ची की मौत हो गई।

मौत से कुछ समय पहले तक बच्ची की स्थिति में हो रहा था सुधार
वेदिका के परिजन के का कहना है कि  मौत से कुछ समय पहले तक उसकी स्थिति में सुधार हो रहा था। लेकिन दुर्लभ बीमारी और महंगे उपचार की जरूरत थी इसके लिए दान में मिले 14 करोड़ रुपए की मदद के बाद जून में दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में बच्ची को इंजेक्शन दिया गया था, रीढ़ की मांसपेशी से संबंधित गंभीर बीमारी ‘एसएमए टाइप-एक’ से पीड़ित वेदिका की पिंपरी चिंचवाड़ इलाके के भोसरी में एक निजी अस्पताल में रविवार को शाम में छह बजे मौत हो गई। घर पर सांस लेने में दिक्कतों के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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जानिए कौन सी थी बीमारी, जिसके लिए लगाया गया 16 करोड़ का इंजेक्शन
1 साल की वेदिका, जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित थी यह बीमारी शरीर में एसएमए-1 जीन की कमी के कारण होती है। इसके कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसके कारण शरीर में पानी की कमी, सांस लेने में दिक्‍कत होने लगती है।

इतना ही नहीं बच्‍चा दूध भी नही पी पाता। मांसपेशियों की कमजोरी के कारण बच्‍चा धीरे-धीरे शारीरिक गतिविधियां करना बंद कर देता है, बता दें कि ब्रिटेन में इस बीमारी के करीब 60 मामले सामने आते हैं।

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जानिए बच्ची को लगाए गए 16 करोड़ के इंजेक्शन के बारे में
जानकारी के अनुसार इसका इलाज जोलगेन्‍स्‍मा नामक इंजेक्‍शन से किया जाता है। इसका सिंगल डोज ही काफी होता है। इंजेक्‍शन को जीन थेरेपी पर काम करने के लिए तैयार किया जाता है, इंजेक्‍शन लगने के बाद जो दवा शरीर के भीतर जाती है, वह जीन थेरेपी के जरिए मांसपेशियों को मजबूत करती है,  यह इंजेक्‍शन अमेरिका, जापान और जर्मनी जैसे देश में ही बनाए जाते हैं।


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Content Writer

Anu Malhotra

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