एक श्राप की वजह से भगवान विष्णु को करना पड़ा था तुलसी से विवाह, जानिए पूरी कथा

punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2019 - 03:26 PM (IST)

देवउठनी एकादशी का दिन पूरे भारत से मनाया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक महीने की देवउठनी एकादशी को पूरे चार महीने तक सोने के बाद भगवान विष्णु जागते हैं, देवउठनी एकादशी पर ही भगवान विष्णु ने तुलसी से विवाह किया था। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय हैं, मगर क्‍या आप जानते हैं कि एक पत्‍नी लक्ष्‍मी के होते हुए आखिर किन परिस्थितियों में भगवान विष्‍णु को तुलसी से भी विवाह करना पड़ा। आइए जानते हैं इसकी कथा। 

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, जलंधर नामक शक्तिशाली असुर का विवाह वृंदा नाम की कन्‍या से हुआ था। जैसा कि  वृंदा भगवान विष्‍णु की परम भक्‍त थी जिनकी भक्ति के बल पर ही जलंधर अजेय हो गया था। अपनी पत्नी की बदौलत मिले इस वर्दान का जंलधर गलत इस्तेमाल करने लगा था जिस वजह से सारे देवता उससे तंग आ चुके थे। एक बार उसने माता पार्वती पर कुदृष्टि डाली तो त्रिदेवों ने उसके वध की योजना बनाई। मगर भगवान शिव भी उसे नहीं हरा पाए। इस बात से दुखी होकर सभी देवता भगवान विष्‍णु की शरण में पहुंचे। 

वृंदा ने दिया था भववान विष्णु को श्राप 

कहा जाता है कि विष्‍णु ने अपनी माया से जलंधर का रूप धरकर वृंदा के सतीत्‍व को भंग कर दिया जिस वजह से जलंधर की शक्ति भी धीरे-धीरे खत्म होने लगी और वह देवताओं के साथ युद्ध में मारा गया। जैसा कि भगवान विष्णु ने वंदा के पति को छल से मरवाया था तो उसने दुखी होकर भगवान विष्‍णु को पत्‍थर का बन जाने का श्राप दे दिया।

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एक शाप के बाद हुआ तुलसी विवाह

हालांकि देवताओं की विनती पर और माता लक्ष्‍मी की हालत को देखकर वृंदा ने अपना शाप तो वापस ले लिया। मगर भगवान विष्‍णु अपने किए का प्रायश्चित करना चाहते थे। उन्‍होंने वृंदा के शाप को जीवित रखने के लिए खुद का एक पत्‍थर स्‍वरूप प्रकट किया जो शालिग्राम कहलाया। दुखी वृंदा अपन‍े पति जलंधर के साथ ही सती हो गई मगर वृंदा की राख से तुलसी का पौधा निकला।वृंदा का मान बनाए रखने के लिए देवताओं ने शालिग्राम स्‍वरूपी विष्‍णु का विवाह तुलसी से करा दिया, बस तभी से इस दिन को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जा रहा है। 

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इसलिए भी किया जाता है तुलसी विवाह

बता दें कि देवउठनी एकादशी दिन लोग तुलसी के पौधे का श्रृंगार दुल्‍हन की तरह करते है। कहा जाता है तुलसी विवाह घर में संपन्‍न करवाने वाले भक्‍तों को भगवान विष्‍णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और यह दिन भगवान विष्‍णु को प्रसन्‍न करने के लिए श्रेष्‍ठ माना जाता है। चलिए जानते है तुलसी विवाह की तैयारी किस तरह की जाएं...

यूं करें तुलसी विवाह की तैयारियां

तुलसी विवाह के लिए तुलसी के पौधे के गमले को गेरु आदि से सजाएं। गमले के चारों ओर गन्ने का मंडप बनाएं। अब गमले के ऊपर ओढ़नी या सुहाग की प्रतीक चुनरी ओढ़ाएं या लाल वस्त्र चढ़ाएं। साथ ही कुछ चूड़ियां भी तुलसी के पौधे को पहनाएं। 

 


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Content Writer

Sunita Rajput

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