राम-सीता के स्वयंवर से जानें सुखी वैवाहिक जीवन का राज

punjabkesari.in Sunday, Aug 18, 2019 - 03:57 PM (IST)

पति-पत्नी के बीच छोटे-मोटे लड़ाई-झगड़े तो होते ही रहते है लेकिन कई बार यह झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि दोनों में तलाक की नौबत आ जाती है। इसका एक कारण आजकल के युवाओं में होने वाला अंहकार है। मगर अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए आप रामायण में श्रीराम और सीता के जीवन से सीख ले सकते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि वाद-विवाद की स्थिति से बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए।

 

स्वयंवर में छिपा है सुखी वैवाहिक जीवन का संदेश

रामायण में माता सीता के विवाह के लिए उनके पिता जनक ने शर्त रखी थी कि उनका विवाह शिवजी के धनुष को तोड़ने वाले से ही किया जाएगा। कई राजाओं ने धनुष तोड़ने की कोशिश की लेकिन सभी नाकाम रहें। तब ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा का पलन करते हुए भगवान राम ने उन्हें नमक किया और फिर देखते ही देखते शिवजी के धनुष को उठाया और उसे तोड़ दिया।

PunjabKesari

धनुष है अहंकार का प्रतीक

कहा जाता है कि महाराज जनक ने धनुष तोड़ने की शर्त इसलिए रखी थी क्योंकि उसे अंहकार का प्रतीक है। जब तक हमारे अंदर अंहकार होगा, हम किसी के साथ अपनी जिंदगी नहीं बिता पाएंगे। इसलिए कहा जाता है कि सुखी जीवन के लिए अंहकार को त्यागना बहुत जरूर है, जिसे हर कपल को समझना बहुत जरूरी है।

PunjabKesari

यह सीख सिर्फ पहले के समय ही नहीं बल्कि आजकल के कपल्स के लिए भी बहुत जरूरी है क्योंकि आज पति-पत्नी के अलग होने का सबसे बड़ा कारण अंहकार ही है। अगर लड़का-लड़की अपने अंहकार और गुस्से पर काबू पा लें तो उनका वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमयी बना रहेगा और उनके बीच कभी झगड़ा नहीं होगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static