भगवान राम की इकलौती बहन थी शांता लेकिन रामायण में क्यों नहीं हुआ जिक्र?

punjabkesari.in Sunday, May 03, 2020 - 04:02 PM (IST)

लॉकडाउन के चलते सरकार ने रामानंद सागर की रामायण को दूरदर्शन पर रिटेलीकास्ट किया था, जिसका जनता को काफी प्यार मिला। यही नहीं, रामायण ने ना सिर्फ 7.7 करोड़ की कमाई बल्कि यह दुनियाभर में सबसे अधिक देखा जाने वाला मनोरंजन धारावाहिक बन गया है।

लोगों ने रामायण के सभी एपिसोड इतने ध्यान से देखें कि उन्हें इसके सभी चरित्रों के बारे में भी जानकारी होगी। सबको पता है कि भगवान राम के 3 भाई थे, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। मगर, शायद ही किसी को पता हो कि भगवान राम की एक बहन भी थी जिनका नाम शांता था। हालांकि रामायण में शांता का बहुत कम जिक्र किया गया है।

कौन थी शांता?

राजा दशरथ और कौशल्या की बेटी शांता चारों भाईयों की इकलौती व बड़ी बहन थी। मगर, जन्म के कुछ समय बाद ही उन्हें वर्षिणी और उनके पति रोमपद ने गोद ले लिया था। बड़े होने के बाद शांता की शादी ऋषि श्रृंग के साथ की गई, जो श्रृंग के वंशज सेंगर राजपूत थे। इन्हें एकमात्र ऋषि वंशी राजपूत कहा जाता है।

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शांता की कहानी

कथाओं के अनुसार, वर्षिणी की कोई संतान नहीं थी। एक बार वर्षिणी अपने पति के साथ अपनी बहन से मिलने अयोध्या आई थीं कि तभी उन्होंने मजाक में शांता को गोद लेने की इच्छा जताई। मगर, उनकी बात सुनने के बाद राजा दशरथ ने अपनी बेटी शांता को उन्हें देने का वचन दे दिया और इस तरह वो अयोध्या से शांता अंग की राजकुमारी बन गईं।

भाइयों के जन्म में सहायक

शांता के बाद राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी। राजवंश को आगे बढ़ाने के लिए वो एक पुत्र चाहते थे इसलिए उन्होंने ऋषि श्रृंग को पुत्रकामेष्टि यज्ञ करने के लिए बुलवाया। इसके बाद भगवान राम, भरत और जुड़वां लक्ष्मण वशत्रुघ्न का जन्म हुआ।

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शांता के विवाह की कहानी

वेद, कला और शिल्प में निपुण शांता बेहद सुंदर भी थी। एक दिन राजा रोमपद शांता के साथ बातचीत कर रहे थे कि तभी एक ब्राह्मण मॉनसून के दिनों में राजा से खेती में मदद मांगने आया। मगर, राजा रोमपद ने ब्राह्मण की याचना पर ध्यान नहीं दिया और ब्राह्मण वहां से नाराज होकर चले गए। इंद्रदेव भी अपने भक्त के अपमान से नाराज हुए इसलिए मानसून में वहां बहुत कम वर्षा हुई। सूखा पड़ने की वजह से वहां हाहाकार मच गया।

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तभी राजा रोमपद ऋषि शृंग के पास मदद मांगने गए और उनसे यज्ञ करने की विनती की। ऋषि शृंग के यज्ञ करने के बाद अंग देश में वर्षा हुई और वहां सूखे की समस्या खत्म हो गई। इससे प्रसन्न होकर रोमपद ने अपनी पुत्री शांता का विवाह ऋषि श्रृंग से कर दिया।

कहानी का एक और पहलू

टीवी पर प्रसारित धारावाहिक के एक संस्करण में दिखाया गया था कि शांता को किसी को भी गोद नहीं दिया गया था। अयोध्या में एक बार भयंकर सूखा पड़ने के बाद ऋषि श्रृंग यज्ञ करने आए थे। उनके द्वारा यज्ञ किए जाने पर जोरदार बारिश होती है और तबी राजा दशरथ ऋषि श्रृंग को पुरस्कृत करने की इच्छा जताते हैं। इस पर ऋषि श्रृंग शांता से विवाह की इच्छा जताते हैं।


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Content Writer

Anjali Rajput

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