चाइनीज लाइट्स नहीं जलाएं मिट्टी के दीए, इस बार मनाएं Eco Friendly दिवाली

punjabkesari.in Saturday, Oct 26, 2019 - 11:49 AM (IST)

पटाखों, साज-सज्जा के सामान और मिलावटी मिठाइयों व उनकी पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले मैटीरियल के बिना भी खुशियों भर भाईचारे का पर्व दीपावली बड़ी धूमधाम से मनाया जा सकता है। पटाखों का धुआं इतना अधिक प्रदूषण पैदा कर देता है कि सांस लेने भी मुश्किल हो जाता है। वहीं इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती है। पटाखे सावधानी से न चलाने पर ये शरीर को जला भी सकते हैं। गलत तरीके से फोड़े जाने वाले बड़े हम व आतशबाजी से घरों या दुकनों में आग भी लग सकती है। वहीं इनकी आवाज कानों को नुकसन पहुंचाती है।

तो क्यों न इस बार हम सब मिलकर ईको-फ्रैंडली दीपावली मनाने को प्रथामिकता दें और अपने आस-पास के वातावरण के प्रदूषण मुक्त रखें। अगर हमें ग्रीन दीपावली मनानी है तो इन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है।

 

इस बार मनाएं ग्रीन दीपावली

दीपावली पर बाजारों में ढेर सारे आकर्षित करते घर को सजाने वाले उत्पाद देखकर हम खुद को रोक नहीं पाते। इसी चक्कर में हम यह भी भूल जाते हैं कि जिस मैटीरियल से यह चीजें बनी हैं वे रीसाइकिल हो सकती हैं या नहीं। इसकी जगह ईको-फ्रेंडली मटेरियल जैसे पेपर क्राफ्ट, बांस, मड आदि से बनी चीजों से सजावट करें।

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मिट्टी के दीए जलाए

मिट्टी के दीए जलाने की परंपरा आजकल लुप्ट होती जा रही है क्योंकि उनका स्थान डिजाइनर दीयों व लाइट्स ने ले लिया है जो बिजली बर्बाद करने के साथ-साथ नकारात्मक ऊर्जा भी फैलाते हैं। ऐसे में मिट्टी के दीएं जलाएं, जोकि देखने में तो खूबसूरत होते ही हं साथ ही अर्थ फ्रैंडली मैटीरियल के कारण ग्रीन दीपावली मनाने के लिए बेहतर विकल्प हैं। ये दीए चार-पांच घंटों तक जलते रहते हैं और घर को जगमगाते हैं। सबसे बड़ी खुशी और सच्ची खुशी आपको इसलिए भी होगी कि दीए बनाने वाले कारीगरों को रोजगार मिलेगा और वे भी इस पर्व को मना सकेंगे।

ईको-फ्रैंडली पटाखे

देखा जाए तो पटाखे छुड़ाना दीपावली की पहचान है लेकिन यही सब पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। बढ़ते प्रदूषण के कारण आजकल बाजार में ईको-फ्रैंडली पटाखें भी मिलते हैं। इनकी खासियत है कि ये री-साइकिल पेपर से बने होते हैं और इनकी आवाज भी पोल्यूशन बोर्ड द्वारा तय की गई डेसीबल लिमिट जितनी ही होती है जब ये पटाखे फटते हैं तो इनमें से रंगीन कागज व रंगीन रोशनी निकलती है। यह स्वास्थ्य के नजरिए से भी हानिकारक नहीं होते हैं।

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क्या है ईको-फ्रैंडली पटाखे?

ईको-फ्रैंडली पटाखे बारूद वाले पटाखों की तुलना में बहुत कम धुआं छोड़ते हैं। इन्हें बनाने का रासायनिकल फॉर्मूला अलग होता है। इनमें पुराने प्रदूषण बारूदों की जगह अन्य वैकल्पिक रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इनसे निकलने वाली आवाज भी कम होती है। सामान्य पटाखे प्रदूषण को बढ़ाते हैं वहीं चकाचौंध रोशनी, उच्च डेसीबल की वजह से वे अंधता और बहरापन की वजह भी बनते हैं जबकि ईको-फ्रैंडली पटाखे पर्यावरण तथा हमारे दोनों के ही हितैषी हैं।

कैमिकल वाली रंगोली से दूरी

रंगोली बनाने के लिए फूलों, रसोई घर में इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे आटा, हल्दी, चावल आदि का प्रयोग करें। प्रवेश द्वार व अन्य द्वारों पर प्लास्टिक या थर्मोकोल से बने बंदवारों के स्थान पर गेंदे, गुलाब व आम के पत्तों से इन्हें तैयार करें। यह खुशबू देने के साथ सुदंर तो दिखेंगे ही वातावरण को भी सकारात्मकता प्रदान करेंगे।

न करें प्लास्टिक फूलों का इस्तेमाल

दिवाली के दिन लोग अपने घर को अच्छे से सजाते हैं। इसके लिए लोग प्लास्टिक के फूल का इस्तेमाल करते हैं। प्लास्टिक की जगह फूलों की माला से डेकोरेशन करें।

कम आवाज में गाने सुनें

दिवाली पर लोगों को फ्रेंड्स और फैमली के साथ डांस करना पसंद है। ऐसे में आप को दूसरों की सुविधा का भी ध्यान रखना चाहिए। इसलिए दिवाली पर कम आवाज में गाने चलाए। जिससे दूसरों को भी परेशानी नही होगी और ना ही ध्वनि प्रदूषण होगा।

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Content Writer

Anjali Rajput

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