नहीं कंट्रोल हुआ Air Pollution तो बढ़ सकता है Antibiotic Resistance, स्टडी में हुआ खुलासा

punjabkesari.in Thursday, Aug 10, 2023 - 04:48 PM (IST)

बढ़ता वायु प्रदूषण कई तरह की समस्याओं को जन्म दे रहा है। उन्हीं में से एक है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस जिसे लेकर कई सारे अध्ययनों में एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का अर्थ होता है जिन बैक्टीरिया को मारने के लिए उसे डिजाइन किया गया है वह रोगाणु उसी दवाई के साथ मिल जाएं। ऐसा होने पर यदि आपको किसी तरह की इंफेक्शन होती है तो इसके लिए एंटीबायोटिक दवाईयां दी जाती है उससे रोगाणु नहीं मरते बल्कि और बढ़ते रहते हैं। गंभीर संक्रमण की स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। माना जाता है कि एंटीबायोटिक दवाईयां ज्यादा इस्तेमाल करने से यह समस्या ज्यादा बढ़ रही है।

इस कारण बढ़ रहा है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस 

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस क्यों बढ़ रहे हैं इसके लिए वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया और अध्ययन में खुलासा किया कि वायु प्रदूषण इस जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। वहीं यदि इसका जोखिम कम करना है तो वायु प्रदूषण को कंट्रोल रखना पड़ेगा। प्रकाशित हुए शोध की मानें तो वायु प्रदूषण को नियंत्रि करने से एंटीबायोटिक प्रतिरोध को कम करने में मदद मिल सकती है। पीएम 2.5 वायु प्रदूषण और एंटीबॉयोटिक प्रतिरोध में वृद्धि के बीच संबंध समय के साथ बढ़ रहा है। साल 2000 से 2018 के देशों में जब डेटा विश्लेष्ण किया गया तो पता चला कि वातावरण में पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि के कारण हाल ही के वर्षों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध में काफी वृद्धि हुई है। जैसे प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हुई है। इसका खतरा समय के साथ और भी बढ़ सकता है। 

PunjabKesari

शोधकर्ताओं ने दी सलाह 

शोधकर्ताओं ने बताया कि एंटीबायोटिक्स रेजिस्टेंस पर चर्चा करना जरुरी इसलिए भी है क्योंकि वैश्विक स्तर पर कई तरह की इंफेक्शन वाली बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। डेली रुटीन में ऐसे कई सारे स्त्रोत हैं जो वायुमंडल में पीएम 2.5 बढ़ने के पीछे का कारण हो सकते हैं। वैसे तो अभी तक वायु प्रदूषण और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को स्थापित करने का कोई सबूत नहीं मिला है परंतु अध्ययन में इस बात की कोशिश की जा रही है कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का कोई फायदा मिल सके।  

वातावरण में बढ़ा PM 2.5 का स्तर 

इसके अलावा वातावरण में PM 2.5  बढ़ने के कई कारण है जैसे औद्योगिक प्रक्रियाएं, सड़क, परिवहन, कोयला लकड़ी जलाना। वहीं पिछले शोध की मानें तो दुनिया की 90% आबादी पीएम 2.5 स्तरों के सीधे संपर्क में जिनमें से 80 % निम्न और मध्यम आय वाले देश भी शामिल हैं। इन सारी चीजों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का खतरा भी बढ़ रहा है। 

PunjabKesari

भविष्य में बढ़ सकता है खतरा 

शोध के अनुसार, निष्कर्षों  से यह पता चला है कि पीएम 2.5  के साथ एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ते है जिसके कारण वायु प्रदूषण में प्रत्येक 1% वृद्धि रोग जनकों के आधार पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध में 0.5 से लेकर 1.9% की वृद्धि हो सकती है। समय के साथ यह आंकड़ा बढ़ा है और पीएम 2.5 के स्तर में भी बदलाव हुए हैं जिसके कारण हाल के वर्षों में एंटीबॉयोटिक प्रतिरोध में भी वृद्धि हुई है। अध्ययन के निष्कर्ष से यह पता चलता है कि वायु प्रदूषण से पैदा होने वाली एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण साल 2018 में करीबन 480,000 बिना कारण मौते हुई हैं। ऐसे में भविष्य में इस समस्या का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है। 

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

palak

Related News

static