ओवेरियन सिस्ट की समस्या दूर होगी बस रोज करें ये 5 योगासन
punjabkesari.in Sunday, Sep 15, 2024 - 09:48 AM (IST)
नारी डेस्क: बिगड़ी लाइफस्टाइल, तनाव और गलत खानपान की वजह से महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह समस्या हार्मोनल असंतुलन और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी समस्याओं से भी जुड़ी हो सकती है। ओवेरियन सिस्ट एक ऐसी स्थिति है जिसमें ओवरी में तरल से भरी छोटी-छोटी थैली (सिस्ट) बन जाती हैं। यह अक्सर गंभीर नहीं होती, लेकिन कई मामलों में इसके कारण दर्द, अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना और फर्टिलिटी से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। हालांकि, सही जीवनशैली और योगाभ्यास से इस समस्या में राहत पाई जा सकती है। योग न केवल शारीरिक बल को बढ़ाता है बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है, जो ओवेरियन सिस्ट की स्थिति में बेहद महत्वपूर्ण है। यहां हम पांच योगासन बता रहे हैं, जो ओवेरियन सिस्ट के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
भुजंगासन (Cobra Pose)
भुजंगासन से पेट के निचले हिस्से में खिंचाव होता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। यह आसन ओवरी और गर्भाशय को स्वस्थ रखने में मदद करता है, साथ ही मेटाबॉलिज्म को भी बूस्ट करता है। पेट के बल लेटें और अपने हाथों को कंधों के पास जमीन पर रखें। सांस लेते हुए धीरे-धीरे अपने ऊपरी शरीर को ऊपर उठाएं। कुछ सेकंड इस मुद्रा में रहें और फिर वापस आ जाएं।
धनुरासन (Bow Pose)
यह आसन पूरे शरीर को सक्रिय करता है और विशेष रूप से ओवरी और गर्भाशय में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। यह ओवेरियन सिस्ट के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है। पेट के बल लेटकर अपने पैरों को घुटनों से मोड़ें और हाथों से एड़ियों को पकड़ें। सांस लेते हुए शरीर को ऊपर की ओर खींचें, जिससे आपका शरीर धनुष की तरह दिखे। कुछ देर इस स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे वापस आएं।
पश्चिमोत्तानासन (Seated Forward Bend)
यह आसन पेट और निचले हिस्से में खिंचाव पैदा करता है, जिससे ओवरी और गर्भाशय में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। यह दर्द से राहत देता है और सिस्ट के लक्षणों को कम करता है। बैठकर पैरों को आगे की ओर फैलाएं। धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और हाथों से पैरों को पकड़ने की कोशिश करें। जितना हो सके, अपने माथे को घुटनों के पास लाएं और कुछ सेकंड इस स्थिति में रहें।
सुप्त बद्ध कोणासन (Reclining Bound Angle Pose)
यह आसन पेट के निचले हिस्से में खिंचाव लाकर ओवरी और गर्भाशय को टोन करता है। इससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है और ओवेरियन सिस्ट की समस्या से राहत मिलती है। पीठ के बल लेटें और अपने पैरों को घुटनों से मोड़ें। पैरों के तलवों को एक साथ लाएं और घुटनों को बाहर की ओर ढीला छोड़ें। इस स्थिति में आराम से कुछ देर रहें और गहरी सांसें लें।
बालासन (Child's Pose)
बालासन पेट और पीठ के निचले हिस्से में खिंचाव लाता है, जिससे शरीर को आराम मिलता है और ओवेरियन सिस्ट के कारण होने वाले दर्द से राहत मिलती है। घुटनों के बल बैठें और धीरे-धीरे अपने शरीर को आगे की ओर झुकाएं। अपने माथे को जमीन पर रखें और हाथों को सामने की ओर फैलाएं। कुछ देर इस स्थिति में आराम करें और गहरी सांस लें।
ओवेरियन सिस्ट की समस्या में योगाभ्यास बेहद लाभकारी हो सकता है। यह न केवल शारीरिक लाभ देता है बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है, जो इस समस्या से जूझ रही महिलाओं के लिए जरूरी है। नियमित रूप से इन योगासनों का अभ्यास करने से आप ओवेरियन सिस्ट के लक्षणों में राहत पा सकती हैं। हालांकि, किसी भी योगासन को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित खानपान और योग से आप अपनी सेहत को बेहतर बना सकती हैं और ओवेरियन सिस्ट जैसी समस्याओं को कम कर सकती हैं।