यही कारण है जो पहलगाम में हुआ' – सोनू निगम की परफॉर्मेंस में हुआ हंगामा...
punjabkesari.in Thursday, May 01, 2025 - 02:18 PM (IST)

नारी डेस्क: मशहूर गायक सोनू निगम हाल ही में बेंगलुरु के ईस्ट पॉइंट कॉलेज में एक लाइव म्यूजिक परफॉर्मेंस के दौरान गुस्से में आ गए। इस कार्यक्रम में भीड़ में मौजूद एक शख्स ने उनसे जबरदस्ती कन्नड़ भाषा में गाना गाने की मांग की और कथित तौर पर उन्हें धमकाया, जिससे सोनू का मूड खराब हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में सोनू निगम इस मामले में नाराज़गी जताते हुए दिखाई दिए।
सोनू निगम ने जताया दुख
“मुझे कन्नड़ भाषा से बहुत प्यार है, मैं जहां भी परफॉर्म करता हूं, वहां अगर एक भी कन्नड़ फैन होता है तो मैं उसके लिए गाना जरूर गाता हूं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कोई मुझे जबरदस्ती गाने के लिए धमकाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे ही व्यवहार की वजह से "पहलगाम जैसी घटनाएं होती हैं"। हालांकि सोनू ने पहलगाम में क्या हुआ था, इसका जिक्र विस्तार से नहीं किया, लेकिन इतना जरूर कहा कि यह असहिष्णुता का उदाहरण है।
सोनू निगम का प्यार सभी भाषाओं से
सोनू निगम ने यह भी बताया कि वह कई भाषाओं में गा चुके हैं और हर क्षेत्रीय भाषा का सम्मान करते हैं। उन्होंने हिंदी और कन्नड़ के अलावा बंगाली, मराठी, तेलुगू, तमिल, उड़िया, अंग्रेज़ी, असमिया, मलयालम, गुजराती, भोजपुरी, नेपाली, तुलु, मैथिली और मणिपुरी जैसी भाषाओं में भी गाने गाए हैं।
दिल्ली में भी की परफॉर्मेंस
इससे पहले सोनू निगम ने हाल ही में दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में भी एक लाइव शो किया था। वहां भी उन्होंने यही बात दोहराई कि वे सभी भाषाओं और दर्शकों का सम्मान करते हैं और जब-जब कोई उनसे किसी खास भाषा में गाने की गुजारिश करता है, तो वे मना नहीं करते। लेकिन जब कोई धमकी या जबरदस्ती करता है, तो वह गलत है।
सोनू निगम का करियर
सोनू निगम ने अपने म्यूज़िक करियर की शुरुआत 1992 में टीवी सीरियल ‘तलाश’ के गाने ‘हम तो छैला बन गए’ से की थी। बाद में वे बॉलीवुड में आए और 'बॉर्डर' फिल्म का गाना ‘संदेशे आते हैं’ और 'परदेस' का ‘ये दिल दीवाना’ जैसे गानों से बहुत प्रसिद्ध हुए।
सोनू निगम जैसे अनुभवी और बहुभाषी गायक का यह बयान साफ दिखाता है कि कलाकारों को सभी दर्शकों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, लेकिन दर्शकों को भी कलाकारों के प्रति आदर और समझ बनाए रखना चाहिए। किसी भी भाषा या संस्कृति का सम्मान तभी होता है जब उसे जबरदस्ती नहीं थोपा जाए।