आसान नहीं अब अफगान महिलाओं की जिंदगी: तालिबानी लड़ाके ने दफ्तर में घुसकर न्यूज एंकर से की यह हरकत
punjabkesari.in Friday, Aug 20, 2021 - 10:02 AM (IST)
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद वहां पर तालिबानी शासन लागू हो गया है। जहां तालिबानी प्रवक्ता लगातार अपनी नई छवि पेश करने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी तरफ उनके किए गए दावे खोखले दिखाई दे रहे है। दरअसल, अपनी पहली प्रैस कांफ्रेंस में तालिबान के प्रवक्ता ने कहा था कि हम लोकतंत्र के मुताबिक नहीं शरिया कानून के हिसाब से सरकार चलाएंगे वहीं सभी विरोधियों को माफी देकर किसी के भी साथ भेदभाव नही करेंगे। इतना ही नहीं इस बार उनका यह भी कहना है कि महिलाओं को भी शरिया कानून के मुताबिक आजादी देंगे।
लेकिन वहां के स्थानीय लोगों को तालिबान के इन दावों पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है। इसी बीच एक महिला न्यूज एंकर ने भी बताया है कि तालिबान की कथनी और करनी में कितना अंतर है।
कानून अब बदल चुका है, महिलाओं को काम करने की आजादी नहीं
रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान के लिए काबुल में कार्यरत एक न्यूज एंकर ने बताया कि किस तरह जब वह दफ्तर पहुंचीं तो तालिबान लड़ाकों ने उन्हें यह कहते हुए वहां से बाहर निकाल दिया कि वह एक महिला हैं। यहां तक कि जब उसने अपना आई-कार्ड दिखाया तो भी तालिबान लड़ाकों ने उनकी एक न सुनी और कहा, 'घर जाओ।' जब उन्होंने कारण पूछा तो तालिबान लड़ाकों ने उनसे कहा कि कानून अब बदल चुका है और RTA में महिलाओं को काम करने की आजादी नहीं है।
न्यूज एंकर ने की दुनिया से मदद की अपील
इस घटना के बाद न्यूज एंकर शबनम दवरान ने पश्तो भाषा में सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है। जिसके जरिये उन्होंने बताया है कि किस तरह तालिबान की इस घोषणा के बाद नए राज में महिलाओं को शिक्षा और कामकाज की आजादी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि जब वह दफ्तर पहुंची तो वहां हालात बिल्कुल अलग थे। तालिबान की इस घोषणा ने उनकी कई शंकाओं को दूर किया था, लेकिन दफ्तर में उनके साथ जो कुछ भी हुआ, उसने तालिबान के शासन पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है।
Taliban didn't allow my ex-colleague here in @TOLOnews and famous anchor of the State-owned @rtapashto Shabnam Dawran to start her work today.
— Miraqa Popal (@MiraqaPopal) August 18, 2021
" Despite wearing a hijab & carrying correct ID, I was told by Taliban: The regime has changed. Go home"#Afghanistan #Talban pic.twitter.com/rXK7LWvddX
अफगान महिलाओं को सता रही है इज्जत और आबरू की चिंता
आपको बता दें कि जुलाई की शुरूआत में ही अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद से, तालिबान ने तेजी से देश के बड़े हिस्से पर अपना कब्जा करना शुरू कर दिया था। जिसके बाद अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी देश छोड़ कर भाग गए हैं और सरकार गिर गई है। अफगान बलों के सरेंडर और अंतरराष्ट्रीय दबाव कम होने के बाद तालिबान ने अपनी हिंसा और तेज कर दी है। इस समय लोग तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए एयरपोर्ट पर भाग रहे हैं ताकि वह भी मुल्क छोड़ सकें। तालिबान लड़ाकों की बढ़ती ताकत के बाद अफगान महिलाओं के भीतर भी डर पैदा हो गया है, उन्हें अपनी इज्जत और आबरू की चिंता सता रही है।
15 साल से लेकर 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की मांगी थी लिस्ट
दरअसल, जुलाई में, बदख्शां और तखर के प्रांतों पर नियंत्रण करने वाले तालिबान नेताओं ने स्थानीय धार्मिक नेताओं को तालिबान लड़ाकों के साथ विवाह के लिए 15 साल से लेकर 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की लिस्ट मांगी थी ताकि तालिबानी जबरन विवाह करवा महिलाओं और लड़कियों को पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जा सके और फिर से तालीम देकर प्रामाणिक इस्लाम में उन्हें परिवर्तित किया जाएगा।