दिवाली के दिन जिमीकंद क्यों खाया जाता है? जानिए इसके पीछे का कारण

punjabkesari.in Friday, Oct 17, 2025 - 01:00 PM (IST)

नारी डेस्क : दिवाली केवल रोशनी और खुशियों का त्योहार नहीं, बल्कि सेहत और परंपराओं से भी जुड़ा हुआ पर्व है। इस दिन घर की साफ-सफाई, पूजा-पाठ और मिठाइयों के साथ एक खास परंपरा निभाई जाती है। जिमीकंद (सुरन) खाने की। बहुत कम लोग जानते हैं कि दिवाली के दिन जिमीकंद खाने के पीछे का कारण।

क्या है जिमीकंद (सुरन)?

जिमीकंद एक जड़ वाली सब्जी है, जो जमीन के अंदर उगती है। इसका स्वाद थोड़ा कसैला होता है, लेकिन पकाने पर यह स्वादिष्ट और पौष्टिक बन जाती है। इसे आयुर्वेद में औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। आइए जानते हैं दिवाली पर जिमीकंद खाने की परंपरा का कारण।

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धार्मिक और पारंपरिक मान्यता

दिवाली को धन और समृद्धि का त्योहार माना जाता है। जिमीकंद (सुरन) को ऐसे कंद के रूप में देखा जाता है जो मिट्टी में छिपा होने के बावजूद बढ़ता और फलता-फूलता है, इसलिए यह समृद्धि और लगातार बढ़ते भाग्य का प्रतीक माना गया है। कुछ शास्त्रों में कहा गया है कि दिवाली के दिन जिमीकंद खाने से सालभर घर में अन्न-धन की बरकत बनी रहती है। माना जाता है कि यह मां लक्ष्मी की प्रिय सब्जी है, और इसे खाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

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कहावत है – “जैसे जिमीकंद मिट्टी में रहकर भी बढ़ता है, वैसे ही हमारे घर की समृद्धि भी बढ़े।”

इस कारण कई जगहों (जैसे बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड) में दिवाली के दिन या उसके अगले दिन जिमीकंद की सब्जी बनाकर माता लक्ष्मी को अर्पित की जाती है।

लक्ष्मी माता और पृथ्वी का आशीर्वाद

कहा जाता है कि जिमीकंद को ‘पृथ्वी पुत्र’ माना गया है, क्योंकि यह पूरी तरह धरती के भीतर उगता है। दिवाली की रात पृथ्वी देवी और लक्ष्मी माता दोनों की पूजा होती है, इसलिए इस दिन “धरती से निकले अन्न या कंद” (जैसे जिमीकंद) को खाने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण

दिवाली के बाद मौसम बदलता है। बरसात से सर्दी की ओर। इस समय शरीर को ऐसे भोजन की आवश्यकता होती है जो प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाए और पाचन को मजबूत करे। आयुर्वेद के अनुसार, जिमीकंद त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करता है और शरीर में गर्मी प्रदान करता है।

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जिमीकंद खाने के आयुर्वेदिक फायदे

पाचन शक्ति को बढ़ाता है और कब्ज, गैस की समस्या से राहत देता है।

स्किन पर होने वाली खुजली और एलर्जी को कम करता है।

शरीर में ऊर्जा और ताकत बढ़ाता है।

डायबिटीज और मोटापे को कंट्रोल में रखता है।

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कैसे खाएं जिमीकंद?

दिवाली के दिन इसे तला या सब्जी बनाकर खाया जाता है। तिल, नींबू और मसालों के साथ मिलाकर पकाने से इसका स्वाद बढ़ जाता है और यह पाचन में और भी फायदेमंद बनता है।

ध्यान दें: कच्चा जिमीकंद नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसमें ऑक्सालेट्स होते हैं जो गले में खुजली कर सकते हैं। हमेशा इसे पकाकर ही खाएं।

दिवाली के दिन जिमीकंद खाना सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। यह शरीर को मौसम के बदलाव के लिए तैयार करता है और मन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। इस दिवाली आप भी इस परंपरा को अपनाएं और स्वाद के साथ सेहत और शुभता को भी अपने जीवन में शामिल करें।


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Content Editor

Monika

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