दशहरे में क्यों खाई जाती है जलेबी और पान? भगवान राम से इसका कनैक्शन

punjabkesari.in Thursday, Oct 14, 2021 - 04:08 PM (IST)

दशहरे के दिन गुजरात का एक विशेष व्यंजन जलेबी और फाफड़ा खाना अच्छा माना जाता है। जलेबी मैदे से बनी मिठाई है जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में बेहद लोकप्रिय है। उत्तर भारत में कुछ जगहों पर जलेबी को रबड़ी, समोसे और कचौरी के साथ भी खाया जाता है। गुजरात में, बहुत से लोग फाफड़ा के साथ जलेबी खाना पसंद करते हैं, जो बेसन से बनी एक तली हुई नमकीन डिश है। हालांकि दशहरे के दिन फाफड़ा और जलेबी क्यों खाई जाती है इसके पीछे कई अलग-अलग कारण हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।

दशहरे पर क्यों खाई जाती है जलेबी?

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम को शशकुली नामक मिठाई बहुत पसंद थी जिसे अब जलेबी के नाम से जाना जाता है। इस मिठाई के लिए उनका प्यार इतना था कि उन्होंने जलेबी खाकर रावण पर अपनी जीत का जश्न मनाया। यही वजह है कि रावण दहन के बाद भगवान राम की जीत का जश्न मनाने के लिए हर कोई जलेबी का आनंद लेता है।

PunjabKesari

जलेबी के साथ फाफड़ा क्यों खाया जाता है?

किंवदंतियां हैं कि श्री हनुमान अपने सबसे प्यारे भगवान राम के लिए बेसन से बने फाफड़ा के साथ गर्म जलेबी तैयार करते थे। तब से यह माना जाता है कि बेसन (फाफड़ा) और जलेबी से खाकर ही दशहरे का व्रत समाप्त करना चाहिए।

पुराणों में भी जिक्र

पुराने जमाने में जलेबी को 'कर्णशष्कुलिका' कहा जाता था। एक मराठा ब्राह्मण रघुनाथ ने 17वीं सदी की ऐतिहासिक दस्तावेज में जलेबी बनाने की विधि का उल्लेख किया है, जिसमें उसका नाम कुण्डलिनि है।" कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तब पूरे राज्य में जलेबी बंटवाई गई थी, जिसका जिक्र भोजनकुतूहल नामक किताब में मिलता है। कई जगहों पर इसे शश्कुली के नाम से भी वर्णित किया गया है।

PunjabKesari

जलेबी की बहन इमरती

बता दें कि इमरती जलेबी से भी ज्यादा पतली और मीठी होती है। कहा जाता है कि इमरकती जलेबी की छोटी बहन है। ऐसे में आप रावण दहन के बाद इमरती भी खा सकते हैं।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

हालांकि, जैहिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित सिद्धांतों और अनुष्ठानों के अलावा दशहरे पर जलेबी-फाफड़ा खाने के कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी होते हैं। दरअसल, दशहरा ऐसे मौसम में पड़ता है जब दिन गर्म और रातें ठंडी होती हैं। चिकित्सकीय दृष्टि से इस मौसम में जलेबी का सेवन करना अच्छा माना जाता है। गर्म जलेबी कुछ हद तक माइग्रेन का इलाज करने में कारगार है। वहीं, इससे आप बैड कार्ब्स से भी बचे रहते हैं।

दशहरे पर क्यों खाते हैं पान ?

रावण दहन से पहले श्री हनुमान जी को बीड़ा या पान चढ़ाया जाता है। संस्कृति में बीड़ा शब्द को 'बुराई पर अच्छाई की जीत' से जोड़कर देखा जाता है। यह वजह है कि रावण दहन के बाद बीड़ा खाया जाता है। वहीं वैज्ञानिकों की मानें तो 9 दिन के उपवास खत्म करने के बाद पाचन क्रिया कम हो जाती है। ऐसे में पान का सेवन उसे दुरुस्त रखने और भोजन को पचाने में मदद करता है। साथ ही इससे इम्यूनिटी भी बढ़ती है, जो बदलते मौसम में बहुत जरूरी है।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Related News

static