बिहार में दुल्हनें क्यों लगाती है नाक से सिर तक लंबा सिंदूर, जानिए लाल और नारंगी में क्या है अंतर

punjabkesari.in Friday, Jul 04, 2025 - 04:05 PM (IST)

नारी डेस्क:  बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में विवाहित महिलाएं लाल नहीं नारंगी सिंदूर लगाती हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, नारंगी सिंदूर पति के जीवन में आने वाले कष्टों और रोगों से बचाव करता है।  नारंगी सिंदूर और लाल सिंदूर दोनों ही हिंदू परंपरा में विवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ पारंपरिक, धार्मिक और सांस्कृतिक अंतर होते हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं। 

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लाल सिंदूर की विशेषता

इसमें अक्सर पारंपरिक पारा (Mercury) और सिंदूर का प्राकृतिक लाल रंग शामिल होता है। यह मांग में भरने का सबसे सामान्य और पारंपरिक रूप है। यह मंगलता, पति की लंबी उम्र, और शादीशुदा जीवन की सुरक्षा का प्रतीक है। खासकर उत्तर भारत, मध्य भारत और दक्षिण भारत की महिलाओं द्वारा उपयोग में लाया जाता है।


नारंगी सिंदूर

यह लाल के मुकाबले थोड़ा नारंगी या केसरी रंग का होता है। इसमें हल्दी, गेरुआ मिट्टी, और कभी-कभी आलता या प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का प्रयोग होता है। इसे बकरा सिंदूर भी कहा जाता है। यह विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, और कुछ बंगाली समुदायों में प्रचलित है। गांवों और ग्रामीण अंचलों में इसका धार्मिक महत्व अधिक देखा जाता है।

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नारंगी सिंदूर का धार्मिक महत्व

इसे देवी दुर्गा, मां भगवती, और लोक देवी-देवताओं की पूजा में खासतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यह ज्यादा शुभ, तेज और तांत्रिक प्रभाव वाला माना जाता है। नारंगी सिंदूर का उपयोग विवाह, छठ पूजा और अन्य शुभ कार्यों में किया जाता है।  माना जाता है कि बिहार में छठ पूजा या विवाह के दौरान नाक से माथे तक सिंदूर लगाना पति के लिए बहुत शुभ होता है। कहा जाता है कि सुहागन जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं उनके पति की आयु भी उतनी ही लंबी होती है। 


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vasudha

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