वियोग में दुखी होकर श्री कृष्ण ने तोड़ फैंकी थी अपनी अतिप्रिय बांसुरी

punjabkesari.in Sunday, Jan 24, 2021 - 10:26 AM (IST)

जब भी प्रेम की मिसाल दी जाती है तो सबसे पहले लोग राधे-कृष्ण का स्मरण करते हैं दोनों के अमर प्रेम को लोग राधे राधे, राधे-कृष्णा जाने कितने नामों से याद करते हैं। भले ही दोनों का मिलन नहीं हो पाया लेकिन श्रीकृष्ण के रोम रोम में बसी थी राधा।

बचपन का प्यार थी राधा

राधा श्रीकृष्ण का बचपन का प्यार थी। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को दो ही चीजें अति प्रिय थी जो एक दूसरे से जुड़ी हुई थी। एक राधा दूसरी उनकी बांसुरी। जब भी श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते राधा मंत्रमुग्ध हो श्रीकृष्ण की ओर खींची चली आती इसीलिए श्रीकृष्ण बांसुरी को हमेशा अपने साथ रखते थे जो उन्हें एक सूत्र में बांधे रहीं।

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श्रीकृष्ण के लिए इसलिए महत्वपूर्ण थी बांसुरी

श्रीकृष्ण से जुड़े हर चित्रण में बांसुरी जरूर रहती हैं क्योंकि वह राधे कृष्ण के प्यार का प्रतीक मानी जाती है।  वास्तुशास्त्र के अऩुसार, जिन पति-पत्नी में आपसी अनबन रहती है उन्हें बांसुरी सिराहने रखकर सोने के लिए कहा जाता है। जिन्हें संतान सुख चाहिए उन्हें बाल स्वरुप लल्ला के साथ बांस की बांसुरी रखने को कहा जाता है।

फिर क्यों तोड़ दी श्रीकृष्ण ने बांसुरी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि राधा के आखिरी वक्त में श्रीकृष्ण ने बांसुरी तोड़ कर फैंक दी थी। राधा से जुड़े कई विवरण है उन्हीं में से एक विवरण इस तरह है...

श्रीकृष्ण राधा से उस समय अलग हुए जब वह अपने मामा कंस के आमंत्रण पर मथुरा पहुंचे थे। जाने से पहले वह राधा से मिले थे और वादा किया था कि वह वापिस आएंगे लेकिन श्रीकृष्ण वापिस नहीं आए। श्रीकृष्ण  के वृंदावन छोड़ने समय राधा ने कहा था भले ही वह दूर हो लेकिन श्रीकृष्ण हमेशा उनके मन में बसे रहेंगे।

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रुकमिणी व राधा एक ही स्वरुप

मथुरा में कंस व बाकी राक्षसों का खात्मा कर वह आगे द्वारिकाधीश बने और अपने देवीय कर्तव्य को निभाते गए। श्रीकृष्ण का विवाह रुकमिणी से हुआ वह भी उन्हें अत्यंत प्रेम करती थी। हालांकि कई मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि रुकमिणी व राधा एक ही स्वरुप थीं।

श्रीकृष्ण नहीं सह पाए राधा का वियोग

कथाओं के अनुसार, आखिरी समय जब राधा अकेले हुई तो उन्होंने श्रीकृष्ण का स्मरण किया। श्रीकृष्ण ने उनसे कुछ मांगने का अनुरोध किया। श्रीकृष्ण के अनुरोध करने पर राधा ने कहा कि वह बांसुरी बजाए। श्रीकृष्ण ने दिन रात बांसुरी बजाई, जब तक राधा आध्यात्मिक रुप से श्रीकृष्ण में विलीन नहीं हो गई। श्रीकृष्ण जानते थे कि उनका प्रेम अमर है बावजूद इसके वह राधा की मृत्यु को बर्दाश्त नहीं कर पाए और श्रीकृष्ण ने प्रेम के प्रतीकात्मक अंत के रुप में बांसुरी को तोड़ कर वहीं फैंक दिया। उसके बाद श्रीकृष्ण ने कोई वादक यंत्र नहीं बजाया।

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राधे-कृष्ण का प्रेम अमर है और बैडरुम में राधे कृष्ण की तस्वीर लगाना अत्यंत शुभ भी माना जाता है इससे दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है।


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Content Writer

Vandana

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