क्यों ''डमी'' स्कूलों पर भरोसा कर रहे हैं बच्चे? टीचर्स को सता रही चिंता
punjabkesari.in Friday, Mar 01, 2024 - 11:38 AM (IST)
पारंपरिक स्कूली शिक्षा के बजाय अब 'डमी' स्कूलों पर ज्यादा भरोसा किया जा रहा है। कई शीर्ष प्रदर्शन करने वाले छात्र बारहवीं बोर्ड के रूप में इस मार्ग को अपना रहे हैं। दरअसल माता-पिता मानते हैं कि 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा केवल साल के आखिर में होने वाला क्वालिफाईंग टेस्ट है इसलिए वह अपने बच्चों को "डमी" स्कूलों में भर्ती कर रहे हैं।
दो महीने बोर्ड परीक्षा पर देते हैं ध्यान
कई राज्यों के छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में उपलब्ध कोटा को ध्यान में रखते हुए डमी स्कूलों का चयन करते हैं। यह इसलिए किया जाता है ताकी वह बोर्ड परीक्षा से दो महीने पहले घर वापस जा सकें। कोचिंग कोर्स भी तब तक ख़त्म हो जाते हैं, फिर दो महीने बोर्ड परीक्षाओं और फिर मुख्य लक्ष्य के लिए रिवीजन के लिए समर्पित होते हैं।
प्राइवेट स्कूलों ने जताई चिंता
हालांकि प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपलों का मानना है कि डमी स्कूल एक बच्चे के ओवरओल डेवलमेंट से समझौता करते हैं जो एक ट्रेडिशनल स्कूल आदर्श रूप से प्रदान करता है। उन्होंने डमी स्कूलों के डेवलपमेंट पर अफसोस जताते हुए कहा- सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में प्लस टू-एडमिशन में गिरावट आई क्योंकि कई टॉपर स्टूडेंट्स दसवीं क्लास के बाद ट्रेडिशनल स्कूलों से अलग हो रहे थे।
क्या है डमी स्कूल
डमी स्कूल में स्टूडेंट्स के लिए रेगुलर स्कूल जाना जरूरी नहीं है। इसमें स्टूडेंट्स पर स्कूल के काम को कम करने के लिए कोचिंग सेंटरों ने रेगुलर स्कूलों के साथ टाइ-अप किया जाता है। इस तरह, उन्हें अपनी एडमिशन टेस्ट की तैयारी पर फोकस करने के लिए ज्यादा समय मिलता है। डमी स्कूलों में एडमिशन लेने का यह कॉन्सेप्ट भारत में साइंस के स्टूडेंट्स के लिए दो प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम, यानी JEE और NEET, के लिए सबसे पॉपुलर है।