Uttarkashi में सीटियों ने बचा ली कुछ लोगों की जान, मुसीबत में सीटी बजाना नहीं है बुरी बात
punjabkesari.in Wednesday, Aug 06, 2025 - 02:37 PM (IST)

नारी डेस्क: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक दिन पहले अचानक आयी बाढ़ में फंसे करीब 150 को बचा लिया गया है लेकिन सेना के 11 जवान अब भी लापता हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें कुछ लोगों को सीटियां बजाते सुना गया। शायद इन सीटियों ने कई लोगों की जान बचा भी ली हों, हालांकि कुछ लोगों का कहना है इतनी बड़ी मुसीबत में सीटी क्यों बजाई गई। अगर आपके भी मन में इस तरह का सवाल उठ रहा है तो समझिए पूरी बात।
सीटी बजाना: एक प्रभावी चेतावनी संकेत
"सीटी बजाना" एक आम और आसान क्रिया है जिसका उपयोग किसी को सतर्क करने या ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है। यह एक सरल, तेज और तुरंत समझ में आने वाला तरीका है, जो कई बार किसी खतरे या गड़बड़ी की सूचना देने के लिए काम आता है। चाहे वह कोई सार्वजनिक स्थान हो, खेल का मैदान, या कोई आपात स्थिति, सीटी की आवाज़ लोगों को तुरंत सचेत कर देती है। इसी कारण से, इसे एक प्रभावी चेतावनी संकेत (Warning Sign) माना जाता है।
बेहद पुरानी है ये परंपरा
सीटी की तीव्र ध्वनि न केवल ध्यान खींचती है, बल्कि यह बिना किसी शब्द के यह भी कह देती है कि "कुछ गड़बड़ है, सतर्क हो जाइए। "यह परंपरा उस दौर से चली आ रही है कि जब न कोई मोबाइल नेटवर्क था न लाउडस्पीकर और न ही कोई वार्निंग सिस्टम। पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश, बर्फबारी या हिंसक पशुओं के दिखने पर इस तरह का अलर्ट सिस्टम बनाया जाता था ताकि युवा, चरवाहे और महिलाएं सतर्क हो जाएं।
बाढ़ से कई गांव हुए तबाह
मंगलवार दोपहर करीब दो बजे उत्तरकाशी के कई गांवों में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। ऊंचाई वाले इलाके में एक झील बन गई है, लेकिन पानी कम होने के कारण वह क्षेत्र सुरक्षित है। इस बीच, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने कहा कि उसने राज्य में किन्नौर कैलाश यात्रा मार्ग पर फंसे 413 तीर्थयात्रियों को बचा लिया है। आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने बताया कि पर्वतीय मार्ग का एक बड़ा हिस्सा बह गया था और तीर्थयात्रियों को रस्सी-से ‘ट्रैवर्स क्रॉसिंग' तकनीक के जरिए बचाया गया।