आगरा, फतेहपुरी सीकरी भी चाहिए क्या...? मुगलों की बहू ने मांगा लाल किला तो कोर्ट ने किया ये सवाल

punjabkesari.in Monday, May 05, 2025 - 12:25 PM (IST)

नारी डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महिला की याचिका खारिज कर दी, जिसने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर-द्वितीय के परपोते की विधवा होने का दावा करते हुए कानूनी 'उत्तराधिकारी' होने के नाते लाल किले पर कब्जे की मांग की थी।कोर्ट ने शुरू में ही याचिका को "गलत" और "निरर्थक" करार दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इससे पहले भी  इस महिला की याचिका खारिज हो चुकी है। 
 

 

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आगरा और फतेहपुरी सीकरी का भी हुआ जिक्र

पीठ ने याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम के वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं दी। वकील ने कहा- "याचिकाकर्ता देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी के परिवार की सदस्य हैं।" सीजेआई ने कहा कि अगर दलीलों पर विचार किया जाता है तो "केवल लाल किला ही क्यों, फिर आगरा, फतेहपुरी सीकरी आदि के किले क्यों नहीं।" दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने पिछले साल 13 दिसंबर को हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के दिसंबर 2021 के फैसले के खिलाफ बेगम की अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि चुनौती ढाई साल से अधिक की देरी के बाद दायर की गई थी, जिसे माफ नहीं किया जा सकता। बेगम ने कहा कि वह अपने खराब स्वास्थ्य और अपनी बेटी के निधन के कारण अपील दायर नहीं कर सकीं।
 

 दशकों की देरी के कारण याचिका खारिज

याचिका को कई दशकों की अत्यधिक देरी के कारण (एकल न्यायाधीश द्वारा) खारिज कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा -"  देरी की माफी के लिए आवेदन खारिज किया जाता है। नतीजतन, अपील भी खारिज की जाती है। यह समय-सीमा द्वारा वर्जित है," । 20 दिसंबर, 2021 को एकल न्यायाधीश ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अवैध रूप से लिए गए लाल किले पर कब्जे की मांग करने वाली बेगम की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि 150 से अधिक वर्षों के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाने में अत्यधिक देरी का कोई औचित्य नहीं था। याचिका में दावा किया गया है कि 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने परिवार को उनकी संपत्ति से वंचित कर दिया था, जिसके बाद बादशाह को देश से निर्वासित कर दिया गया था और लाल किले का कब्ज़ा मुगलों से जबरन छीन लिया गया था।
 

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 भारत सरकार पर भी लगा आरोप

याचिका में दावा किया गया है कि बेगम लाल किले की मालिक थीं क्योंकि उन्हें यह उनके पूर्वज बहादुर शाह ज़फ़र-द्वितीय से विरासत में मिला था, जिनकी मृत्यु 11 नवंबर, 1862 को 82 वर्ष की आयु में हुई थी, और भारत सरकार इस संपत्ति पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर चुकी है। याचिका में केंद्र को लाल किले को याचिकाकर्ता को सौंपने या पर्याप्त मुआवज़ा देने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में यह भी दावा किया गया था कि भारत सरकार इस संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा किए हुए है।
 


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vasudha

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