पितृपक्ष 2025: 7 सितंबर से शुरू हो रहा है पवित्र पितृपक्ष,भूलकर भी न करें ये 6 काम पितर हो जाएंगे नाराज
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 02:52 PM (IST)

नारी डेस्क: पितृपक्ष हिंदू धर्म का एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण समय होता है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। इस साल पितृपक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू हो रहा है और यह 15 दिनों तक चलेगा। मान्यता है कि इन 15 दिनों में हमारे पूर्वज (पितर) पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
पितृपक्ष क्यों मनाया जाता है?
पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, जो लोग विधि-विधान से पितरों का तर्पण करते हैं, उन्हें पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे उनके वंश की वृद्धि होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
पितृपक्ष में क्या करें और क्या न करें?
पितृपक्ष के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो पितृ नाराज हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि पितृपक्ष में कौन से 6 काम करने से बचना चाहिए:
मांगलिक कार्यों से दूरी रखें
पितृपक्ष के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश, नई दुकान या व्यवसाय शुरू करना, वाहन खरीदना आदि से बचना चाहिए। ये सभी काम पितृपक्ष के बाद ही करने चाहिए।
सत्य और शुद्ध भाषा का प्रयोग करें
इस पवित्र समय के दौरान किसी से भी झूठ न बोलें और न ही किसी को अपशब्द कहें। किसी के साथ छल-कपट या धोखा न करें। साथ ही इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना भी बहुत जरूरी है।
सही सामग्री का उपयोग करें
पितरों के तर्पण के लिए हमेशा काले तिल का ही उपयोग करें। सफेद तिल का उपयोग भूलकर भी न करें। श्राद्ध का खाना बनाने के लिए लोहे या स्टील के बर्तनों का उपयोग न करें। इसके लिए पीतल या कांसे के बर्तनों का उपयोग करना उचित है।
खाना बनाने और खाने के नियम
पितरों के लिए बनने वाले भोजन को बिना चखे ही बनाना चाहिए। खाना बनाने वाला व्यक्ति भी तर्पण के बाद ही भोजन करे। इस दौरान अगर आपके दरवाजे पर गाय, ब्राह्मण, कुत्ता या भिखारी आए, तो उनका सम्मान करें और उन्हें भोजन दें। उनका अपमान करने से पितृ नाराज हो सकते हैं।
सही समय पर करें तर्पण
पितरों का तर्पण करने के लिए दोपहर का समय सबसे उत्तम माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त (सुबह) में श्राद्ध न करें। अपराह्न (दोपहर) का समय तर्पण के लिए सबसे पुण्यदायी माना जाता है।
श्रद्धा और भावना से करें श्राद्ध
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप जो भी करें, उसे पूरी श्रद्धा और भावना से करें। बिना मन से किया गया श्राद्ध पितरों को प्रसन्न नहीं कर सकता।
पितृपक्ष में क्या करें?
प्रतिदिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पितरों के नाम से तर्पण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन और दान करें। पितरों के लिए पिंडदान करें। पितृपक्ष की कथाएं पढ़ें और उनके महत्व को समझें।
पितृपक्ष के दौरान इन सभी नियमों का पालन करने से आपके पितृ प्रसन्न होंगे और आपके परिवार पर उनकी कृपा बनी रहेगी। इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आएगी।