इस देश में पतली नहीं मोटी लड़कियों की होती है जल्द शादी, जानिए वजह
punjabkesari.in Thursday, Sep 24, 2020 - 06:16 PM (IST)
वजन के बढ़ते ही लड़कियां उसे कम करने के लिए कई कोशिशें करती है। मगर आपको सुनने में हैरानी होगी कि दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां पर शादी के लिए लड़कियों को अपना वजन बढ़ाना पड़ता है। यहां के लोगों को मानना है कि वड़की जितनी मोटी होगी उसकी मैरिड लाइफ उतनी ही खूबसूरत होगी। इसके लिए इस देश में बचपन से ही लड़कियों को मोटा करने के लिए खास डाइट दी जाती है। ताकि शादी की उम्र की होते ही उसका काफी वजन बढ़ जाए।
उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी भाग में बसा है यह देश
बता दें, हम जिस जगह की बात कर रहें हैं वह उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी भाग में बसा एक देश है। इसका नाम मौरीटानिया है। यहां के लोगों इसे परंपरा के तौर पर मानते हैं। ये लोग अपनी बेटियों को अच्छे से खिलाते- पिलाते हैं कि ताकि उसकी शादी होने में कोई परेशानी न आए। माना जाता है कि अगर लड़की का वजन ज्यादा नहीं होगा तो उसे शादी के लिए लड़का मिलने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
मोटापे को खूबसूरती के साथ जोड़ा जाता है
इस देश के लड़कियों का मोटापा उनकी सुंदरता के साथ जोड़ा जाता है। अगर कहीं कोई लड़की पतली पाई गई तो उन्हें गरीब व दुर्भाग्यशाली कहा जाता है।
मोटा होने के लिए लड़कियों को भेजते हैं फैटनिंग फार्म
शायद आपको सुनकर हैरानी होगी। मगर इस देश में लड़कियों को उनका वजन बढ़ाने के लिए 5-6 साल की उम्र में ही फैटनिंग फार्म में भोजा जाता है। बात इस फार्म की करें तो यहां कि महिलाएं लड़कियों को दिन- रात खाना खिलाती है। अगर कहीं लड़कियों का खाने का मन न हो या पेटभर गया हो इस बात पर ध्यान न देते हुए उन्हें जबरन खाना खिलाया जाता है। उसके बाद उसे अच्छे आराम करवाया जाता है। उसके बाद फिर से उन्हें खाना खिलाया जाता है। इस दौरान लड़कियों को कोई भी फिजिक्ल एक्टिविटी नहीं करनी दी जाती है।
डाइट में शामिल होता है हाई कैलोरी फूड
लड़कियों का तेजी से वजन बढ़ाने के लिए उन्हें हैवी डाइट दी जाती है। इसमें खजूर, बकरी और ऊंट का दूध, चावल, ऑलिव ऑयल आदि कैलोरी से भरा भोजन खिलाया जाता है। इन्हें 1 दिन में करीब 1 हजार कैलोरी से भरी डाइट दी जाती है। मगर अब इस परंपरा को थोड़ा बदल कर सभी की सेहत पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। आज के समय में लोग खुद को फिट एंड फाइन रखने लगे है। साथ ही अब इस परंपरा को मानने वाले लोगों की संख्या बहुत ही कम हो गई है।