‘हम आपको भगवान मानते हैं’ जब एक फैन की बात ने अरुण गोविल को सिगरेट छोड़ने पर मजबूर कर दिया
punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 03:13 PM (IST)

नारी डेस्क: साल 1987 में जब रामानंद सागर की ‘रामायण’ दूरदर्शन पर प्रसारित हुई, तो इसने देशभर के करोड़ों दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। इस सीरियल में अरुण गोविल ने भगवान श्रीराम का किरदार निभाया था। उनकी सहज अदाकारी और शालीनता ने उन्हें दर्शकों के बीच भगवान का दर्जा दिला दिया। स्थिति यह थी कि लोग उन्हें पर्दे पर ही नहीं, असल जिंदगी में भी राम का स्वरूप मानकर सम्मान देते थे।
असल जिंदगी की एक बुरी आदत
लेकिन पर्दे पर आदर्श चरित्र निभाने वाले अरुण गोविल असल जिंदगी में एक बुरी आदत के शिकार थे। उन्हें सिगरेट पीने की लत थी। खुद अरुण ने साल 2020 में ‘कपिल शर्मा शो’ पर इस बात का खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि सिगरेट पीना उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था, लेकिन एक घटना ने उनकी आदत को हमेशा के लिए छुड़वा दिया।
जब अनजान शख्स ने लगाई फटकार
अरुण गोविल उस समय तमिल फिल्म ‘भानुमति’ की शूटिंग कर रहे थे। इस फिल्म में वह बालाजी तिरुपति का रोल निभा रहे थे। शूटिंग के दौरान एक दिन लंच करने के बाद उन्हें सिगरेट की तलब हुई और वह एक कोने में जाकर सिगरेट पीने लगे। तभी वहां एक अनजान व्यक्ति आया और उन्हें घूरने लगा। फिर वह गुस्से में लगातार कुछ कहता रहा। अरुण उसकी भाषा नहीं समझ पा रहे थे, लेकिन उसकी बॉडी लैंग्वेज से साफ था कि वह बहुत नाराज़ है। उसने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई और भला-बुरा कहा।
‘हम आपको भगवान मानते हैं’ – यह सुनकर हिल गए अरुण
उस शख्स के जाने के बाद अरुण ने किसी ऐसे व्यक्ति से उसका कहा समझने की कोशिश की, जो उस भाषा को जानता हो। तब उन्हें पता चला कि वह व्यक्ति यह कह रहा था – “हम आपको भगवान की तरह मानते हैं और आप यहां सिगरेट पी रहे हैं, यह हमारे लिए बहुत बड़ा धक्का है।”
यह सुनकर अरुण अंदर तक हिल गए। उन्हें अहसास हुआ कि जिन लोगों ने उन्हें भगवान का रूप मानकर पूजा है, वे उनके इस व्यवहार से कितना आहत होंगे। उसी पल उन्होंने ठान लिया कि अब कभी सिगरेट को हाथ नहीं लगाएंगे।
हमेशा के लिए छोड़ दी लत
उस दिन के बाद अरुण गोविल ने सिगरेट को हमेशा के लिए छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि कभी-कभी जीवन में किसी अनजान शख्स की बात इतनी गहरी चोट कर जाती है कि पूरी जिंदगी बदल देती है। आज दशकों बाद भी वह इस आदत से दूर हैं और मानते हैं कि यह उनकी जिंदगी का सबसे सही फैसला था।
यह घटना सिर्फ अरुण गोविल की नहीं, बल्कि उन सभी के लिए सीख है जो बुरी आदतों से जूझ रहे हैं। कभी-कभी दूसरों की उम्मीदें और उनका विश्वास ही हमें सही रास्ता दिखा देते हैं।