अफगानिस्तान में जन्मीं सलमान खान की एक्ट्रेस का छलका दर्द, ‘जहां बचपन एंजॉय किया वहां अब रहना मुश्किल''

punjabkesari.in Monday, Aug 23, 2021 - 11:38 AM (IST)

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जहां स्थानीय लोग अपना देश छोड़ने पर मजबूर हो गए है वहीं तालिबानियों की हिंसा और अत्याचारों को देख पूरी दुनिया में चिंता का माहौल बना हुआ है। दुनिया के कई देशो ने अपना साझा बयान जारी कर अफगान लोगों के लिए इंसाफ की मांग की है। 

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इसी बीच बाॅलीवुड अभिनेता सलमान खान की फिल्म में काम कर चुकीं बॉलीवुड अभिनेत्री वरीना हुसैन ने भी अफगानिस्तान के बिगड़े हालात पर चिंता जताई है। बता दें कि वरीना हुसैन का जन्म अफगानिस्तान में हुआ है इसी बीच अपने देश के संकट को देखते हुए उनसे भी रहा नहीं गया और बिगड़े हालातों  पर अपनी चिंता व्यक्त की।

20 साल पहले जब अफगानिस्तान के हालात बिगड़े थे तब उनके परिवार ने देश छोड़ दिया था और उज्बेकिस्तान चला गया था। बता दें कि वरीना हुसैन 10 साल पहले भारत आईं और यहीं अपना घर बना लिया। फिल्म ‘लवयात्री’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने वालीं वरीना ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि  तालिबान के कब्जे के बाद वह वहां के हालात समझ सकती हैं कि क्यों लोग काबुल छोड़ना चाह रहे हैं। हालांकि वरीना का परिवार अमेरिका में रहता है और वह खुद मुंबई में काम कर रही हैं।

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कई सालों के संघर्ष के बाद सलमान सर ने मुझे लॉन्च किया
वरीना ने बताया कि मेरी जिंदगी भी उनकी तरह है जो युद्धग्रस्त देश से पलायन के परिणामों से जूझ रहे हैं। एक बेहतर जिंदगी की तलाश में मेरा परिवार एक देश से दूसरे देश को खोजने लगा। आखिरकार हम भारत पहुंचे, एक उदार और प्यार करने वाला देश, जिसने हमारा स्वागत किया और हमने इसे अपना घर बना लिया। अस्तित्व के लिए लड़ने वाले लोगों की तरह मैंने भी कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था। मुझे नहीं पता था कि मैं एक दिन बॉलीवुड अभिनेत्री बन जाऊंगी। कई सालों के संघर्ष के बाद सलमान सर ने मुझे लॉन्च किया और अपनी फिल्म ‘लवयात्री’ में काम करने का मौका दिया।

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 जहां पिकनिक एंजॉय किया वहां अब लड़की रात में अकेले बाहर नहीं जा सकती 
वरीना ने बताया कि मैं अफगानिस्तान में रही हूं जहां परिवार के साथ पिकनिक एंजॉय किया है और आजादी की खुशबू थी। हालांकि तब भी तालिबान के प्रभाव की वजह से वहां बहुत नियम थे। जैसे एक लड़की रात में अकेले बाहर नहीं जा सकती थी। कई बार हम अपनी मां की दवा लेने के लिए रात में अकेले नहीं निकल पाते थे। यह कई वर्षों के युद्ध का नतीजा था। 

शांतिपूर्ण अफगानिस्तान चाहते हैं तो हमें अपने पूर्वजों के दौर मे जाना होगा
वरीना ने कहा कि अगर हम वाकई एक शांतिपूर्ण अफगानिस्तान चाहते हैं तो हमें अपनी दादी और उनके पूर्वजों के दौर मे जाना होगा, जब काबुल अपने फैशन, कला, संस्कृति, पर्यटन, व्यापार और स्वतंत्रता के लिए जाना जाता था। 

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 इतने सालों में जो प्रगति हुई है महिलाओं को जो अधिकार मिले हैं वह खत्म हो जाएंगे
अफगानिस्तान की महिलाओं की हालक पर वरीना ने बताया कि मुझे डर है कि इतने सालों में जो प्रगति हुई है वह गायब हो जाएगी। सालों की लड़ाई के बाद महिलाओं को जो अधिकार मिले हैं वह खत्म हो जाएंगे और वह एक बार फिर से दूसरे दर्जे की नागरिक के रूप में हो जाएंगी 
 


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Content Writer

Anu Malhotra

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