भिगा हुआ 1 Dry Fruit पूरा करेगा Vitamin D, शाकाहारी लोगों के लिए 4 सबसे बेस्ट चीजें

punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2024 - 08:20 PM (IST)

नारी डेस्कः हैल्दी रहने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप पोषक तत्वों से भरपूर खाना खाते रहे। शरीर में विटामिन्स होना भी बहुत जरूरी है और इनमें विटामिन डी भी बहुत अहम रोल रखता है। विटामिन डी आपकी हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी है। इसे "सनशाइन विटामिन" भी कहा जाता है क्योंकि आपका शरीर इसे तब बना सकता है जब आपकी त्वचा सूरज की रोशनी के संपर्क में आती है। जब आपकी त्वचा को पर्याप्त धूप नहीं मिलती तो शरीर में इसके अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है या विटामिन डी कुछ खास आहारों में भी पाया जाता है जिसे आप नहीं खाते तो भी  विटामिन डी की कमी का खतरा बढ़ जाता है। कुछ फूड आइटम्स जैसे मछली, मछली के लिवर का तेल, अंडे की जर्दी , डेयरी प्रॉडक्ट्स और संतरे के जूस मे विटामिन डी भरपूर पाया जाता है। 

विटामिन डी क्यों जरूरी है? | Vitamin D Kyu Jaruri Hai

विटामिन डी लेना बहुत जरूरी है क्योंकि यह हड्डियों को मजबूती देने के साथ उसे स्वस्थ बनाए रखता है। शरीर को भोजन से कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फेट को अवशोषित करने उपयोग करने का काम विटामिन डी करता है। विटामिन डी हड्डियों और रक्त में कैल्शियम के स्तर को संतुलित रखता है अगर आप विटामिन डी नहीं लेते तो शरीर में कैल्शियम का लेवल भी कम होता जाएगा क्योंकि विटामिन डी के बिना कैल्शियम शरीर में अवशोषित नहीं हो पाता। विटामिन डी नर्वस सिस्टम, इम्यून सिस्टम और मांसपेशियों के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विटामिन डी की कमी के लक्षण | Vitamin D Ke lakshan | Vitamin D Symptoms

विटामिन डी की आपके शरीर में कमी होगी तो सबसे पहले हड्डियों की समस्या शुरू होगी। जोड़ दर्द कोहनियों में दर्द, हड्डियों की मजबूती कम हो सकती है। हड्डियों की समस्या जैसे ऑस्टियोपोरोसिस (वयस्कों में) और रिकेट्स (बच्चों में) हो सकती है।  विटामिन डी की कमी के लक्षण बच्चों में अधिक स्पष्ट होते हैं क्योंकि वे विकास के चरण में होते हैं और उन्हें हड्डियों से जुड़ी समस्याएं ज्यादा दिखती हैं।
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बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण | Vitamin D Deficiency In Kids 

कमजोर मांसपेशियां या मासंपेशियों में दर्द
हड्डियों में झुकाव या टेढ़ापन, इससे उनका विकास सही से नहीं होता।
जोड़ों में विकृति जैसे हड्डियां टेढ़ी होना।

बड़े लोगों में विटामिन डी की कमी के लक्षण

लगातार थकान और कमजोरी महसूस होना।
हड्डियों और जोड़ों में दर्द खासकर पीठ में।
हड्डियों की बॉन डेंसिटी कम होना (हड्डी का घनत्व कम होना)।
मांसपेशियों की कमजोरी, दर्द या ऐंठन।
डिप्रैशन और मूड स्विंग्स होना। 

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विटामिन डी की कमी क्यों होती है? Vitamin D Ki Kami Kyu Hoti hai 

जो लोग धूप बिलकुल नहीं सेंकते। सूर्य की रोशनी से दूर रहते हैं। जिनकी डाइट में विटामिन डी आहार शामिल नहीं होते, उन्हें विटामिन डी की कमी हो जाती है। आपका चेहरा, बाजु हाथ और टांगों पर 5 से 30 मिनट तक सूरज की रोशनी पड़नी चाहिए। 
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विटामिन डी की कमी के कारण

धूप ना सेंकनाः सूरज की रोशनी में कम रहने वाले जो लोग धूप में कम समय बिताते हैं, उनमें विटामिन डी की कमी हो जाती है।

डार्क स्किन वाले लोगः जिन लोगों की स्किन डार्क होती है उन्हें भी विटामिन डी की कमी हो जाती है क्योंकि डार्क स्किन वाले लोगों में मेलानिन अधिक होता है। मेलानिन का मुख्य काम त्वचा को पराबैंगनी बी (UVB) किरणों से बचाना है जो सूर्य की रोशनी से आती हैं लेकिन मेलानिन विटामिन डी के निर्माण में भी बाधा डालता है क्योंकि विटामिन डी तभी बनता है जब त्वचा सूर्य की रोशनी के संपर्क में आती है। मेलानिन अधिक होने के चलते सूर्य की किरणें त्वचा की गहराई तक नहीं पहुंच पातीं और विटामिन डी का उत्पादन कम हो जाता है।

अधिक वजन होनाः शरीर में जमी एक्सट्रा फैट, विटामिन डी को अलग कर देती है, जिससे यह शरीर के उपयोग के लिए कम उपलब्ध हो जाता है।

उम्रदराज लोगों में कमीः उम्र बढ़ने से भी विटामिन डी की कमी होने लगती हैं। 50 प्लस के बाद त्वचा में विटामिन डी को संश्लेषित करने की क्षमता कम हो जाती है। 

किडनी या लिवर प्रॉब्लमः जिन लोगों को किडनी या लिवर से जुड़ी दिक्कत है उनके शरीर में भी विटामिन डी नहीं बन पाता। उनके शरीर में विटामिन डी बनाने की क्षमता घट जाती है।

इसके अलावा पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या जैसे गैस्ट्रिक बायपास,आईबीडी (इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज) जैसे रोग विटामिन डी को अवशोषित करने की क्षमता को कम कर देते हैं। थायरॉयडाइटिस, लुपस और आर्थराइटिस जैसे ऑटोइम्यून रोग शरीर में विटामिन डी के स्तर को कम कर सकते हैं। कुछ दवाइयों के सेवन, वेट लॉस सर्जरी के चलते भी विटामिन डी की कमी दूर होगी। 

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विटामिन डी के लिए टेस्ट | Vitamin D Test 

विटामिन डी टेस्ट में, खून में मौजूद 25 हाइड्रोक्सीविटामिन डी या 25(OH)D की मात्रा मापी जाती है। यह जांच ब्लड टेस्ट के जरिए की जाती है और इस टेस्ट में आमतौर पर पाँच मिनट से भी कम का समय लगता है।

विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग | Vitamin D se hone wale Rog

अगर खून में  विटामिन डी कम हो जाते तो कैंसर, हृदय रोग और स्ट्रोक, डिप्रेशन, मल्टीपल स्केलेरोसिस टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। चलिए थोड़ा विस्तार में बताते हैं। 

1. हड्डियों से जुड़ी समस्याएंः
ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis): हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। 
रिकेट्स (Rickets): बच्चों में हड्डियां मुलायम हो जाती हैं और उनका विकास सही से नहीं होता।
ऑस्टियोमलेशिया (Osteomalacia): वयस्कों में हड्डियां दर्दनाक और कमजोर हो जाती हैं।

2. मांसपेशियों की कमजोरीः  मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी महसूस हो सकती है। संतुलन बनाए रखने में दिक्कत हो सकती है, जिससे गिरने का खतरा बढ़ जाता है।

3. इम्यूनिटी कमजोरः बार-बार सर्दी-जुकाम या इंफेक्शन होना। शरीर वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में कमजोर हो सकता है।

4. थकान और डिप्रैशनः विटामिन डी की कमी से लगातार थकान महसूस हो सकती है। डिप्रेशन और मूड स्विंग्स की समस्या।

5. दिल से जुड़ी दिक्कतेंः विटामिन डी की कमी हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर का कारणभी बन सकती है।

6. त्वचा और बाल खराबः विटामिन डी की कमी से स्किन बहुत ड्राई रह सकती हैं और बाल झड़ सकते हैं। 

अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटीज, कैंसर और इससे ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। प्रैग्नेंसी के दौरान कॉम्पलिकेशन आ सकते हैं। 

शरीर में कितना विटामिन डी होना चाहिए ? Body mein Vitamin D kitna hona chahiye

विटामिन डी का स्तर जानने के लिए, डॉक्टर आपके खून में 25-हाइड्रॉक्सीविटामिन डी की मात्रा को मापते हैं। इसका लेवल उम्र, लिंग, स्वास्थ और डॉक्टर द्वारा किए गए परीक्षण के प्रकार पर निर्भर करता है हालांकि, फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड (FNB) की एक विशेषज्ञ समिति के अनुसार:

50 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर या उससे अधिक: विटामिन डी का यह लेवल बहुत अधिक हो सकता है और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

20 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर या उससे अधिक: विटामिन डी का यह लेवल अधिकांश स्वस्थ लोगों को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए पर्याप्त माना जाता है।

12 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर या उससे कम: इसे विटामिन डी की कमी (डिफिशिएंसी) माना जाता है।

विटामिन डी की कमी को इस तरह कैटेगिरी में रखा गया है।

हल्की कमी (Mild Deficiency): 20 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर से कम।
मध्यम कमी (Moderate Deficiency): 10 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर से कम।
गंभीर कमी (Severe Deficiency): 5 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर से कम।

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विभिन्न आयु समूहों के लिए विटामिन डी की दैनिक आवश्यकता:

नवजात शिशु (जन्म से 12 महीने तक):10 माइक्रोग्राम (400 IU)
बच्चे (1 वर्ष से 13 वर्ष की आयु): 15 माइक्रोग्राम (600 IU)
किशोर (14 वर्ष से 18 वर्ष की आयु): 15 माइक्रोग्राम (600 IU)
वयस्क (19 वर्ष से 70 वर्ष की आयु): 15 माइक्रोग्राम (600 IU)
वरिष्ठ वयस्क (71 वर्ष और उससे अधिक): 20 माइक्रोग्राम (800 IU)
गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली किशोरियां/महिलाएं: 15 माइक्रोग्राम (600 IU)
नोट: IU (International Units) विटामिन डी के मापन की एक इकाई है।
अगर आपके शरीर में विटामिन डी का लेवल इससे कम है तो आपको डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए और सप्लीमेंट्स शुरू करने चाहिए। 

विटामिन डी कम होने का किन्हें खतरा|  Vitamin D Deficiency Risk Factors

जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा है।
जिनका बीएमआई 30 या 30 से ज्यादा है।
जिनकी स्किन डार्क है।
धूम्रपान और विटामिन डी आहार बहुत कम खाते हैं।
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विटामिन D के लिए सप्लीमेंट्स | Vitamin D Supplements

विटामिन D के लिए कोई भी सप्लीमेंट शुरु करने से पहले डाक्टरी सलाह ले। विटामिन डी दो फॉर्म में आता है एक डी2 (D2) और दूसरा डी3 (D3)। डी2 के लिए आपको डाक्टरी सलाह से लेना चाहिए जबकि डी3 का सेवन आप कर सकते हैं। डी 3 आपके शरीर में आसानी से अवशोषित हो जाता है लेकिन विटामिन डी की ज्यादा मात्रा आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए डॉक्टरी सलाह के बिना इसका सेवन ना करें तो बेहतर है। 

विटामिन डी की कमी कितने दिनों में पूरी हो जाती है?

विटामिन डी की कमी कितने दिनों में पूरा होगी ये तो आपके शरीर में विटामिन डी डेफिशेंसी यानि कमी कितनी है, इस पर ही निर्भर करता।  विटामिन D दवा लेने की अवधि कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे कि आपकी कमी का स्तर, आपकी उम्र, और आपके शरीर की जरूरत आदि।आमतौर पर, डॉक्टर 8 से 12 हफ्तों तक हाई डोज वाली विटामिन D दवा लेने की सलाह देते हैं। यह दवा लिक्विड और टैबलेट्स दोनों के रूप में हो सकती है। वैसे ज्यादातर मामलों में 6-8 हफ्ते सप्लीमेंट्स लेने से विटामिन डी का लेवल नॉर्मल हो जाता है हालांकि लेवल नॉर्मल आने के बाद भी डाक्टर सप्लीमेंट्स देना चालू रख सकते हैं ताकि विटामिन डी का लेवल दोबारा कम ना हो। 

कौन सा ड्राई फ्रूट विटामिन D से भरपूर होता है? Vitamin D ke Liye Best Dry Fruit

विटामिन डी के लिए आप अंजीर खाएं क्योंकि अंजीर में विटामिन-डी के साथ ही और भी कई जरूरी विटामिन पाए जाते हैं। रात को 3 से 4 अंजीर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इनका सेवन करें।
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मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा विटामिन D कम है?

अगर आपकी हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द लगातार बना हुआ है तो यह विटामिन डी की कमी के संकेत हैं। कुछ अध्ययनों के मुताबिक, विटामिन डी की कमी मस्कुलोस्केलेटल दर्द और मांसपेशियों की कमजोरी के उच्च स्तर से संबंधित हो सकती है।

विटामिन D की कमी में क्या नहीं खाना चाहिए?

विटामिन डी की कमी है तो कैफीन और अल्कोहल का सेवन ना करें। आयरन रिच फूड्स जैसे की रेड मीट, फिश, अंडे और चिकन का सेवन विटामिन डी की दवाई लेने के बाद नहीं करना चाहिए। अधिक जानकारी डाक्टर से लें। 

विटामिन D सबसे ज्यादा क्या खाने से मिलता है?

मछली, मशरूम और फोर्टिफाइड दूध जैसे खाद्य पदार्थ विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं। जिन लोगों को विटामिन डी की कमी होने की संभावना अधिक होती है उन्हें खासतौर पर विटामिन डी वाले आहार लेने चाहिए, जैसे स्तनपान करने वाले शिशु, वृद्ध वयस्क, बच्चे और पाचन संबंधी विकार वाले लोग आदि।
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विटामिन D के लिए कौन सी सब्जी खाएं? Vitamin  D Best Vegetable

मूली के पत्ते, मशरूम और मछली विटामिन डी के सबसे स्त्रोत है। मूली के पत्ते आप सलाद में शामिल करके खा सकते हैं। इसके अलाव आप इनकी सब्जी बना सकते हैं। इसके अलावा कई तरह की मछली जैसे कि सैलमन, ट्राउट, मैकरल विटामिन D का अच्छा स्रोत होती हैं। मशरूम की सब्जी और सूप पीने से भी फायदा मिलेगा।

कौन सा शाकाहारी भोजन विटामिन डी से भरपूर होता है? Best Vitamin D Veg Foods

यह शाकाहारी और वेगन लोग विटामिन डी के लिए नैचुरल सोर्स ले सकते हैं। फोर्टिफाइड फूड्स में विटामिन डी भरपूर होता है। इन खाद्य पदार्थों में विटामिन डी अलग से डाला जाता है। मार्केट से संतरे का जूस, नाश्ते के अनाज, ओटमील, दूध, सोया दूध, मशरूम, बादाम आदि खरीद सकते हैं, जिसमें आर्टिफिशियल विटामिन डी डला हुआ हो। 

विटामिन डी से भरपूर फलों का सेवन शाकाहारी लोगों के आहार में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। रोजाना आहार में केला, कीवी, पपीता, सेब, अनानास और संतरे जैसे फलों को शामिल करें। संतरे में कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन डी भी होता है। अनानास में विटामिन डी, कैल्शियम, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। संतरे में विटामिन डी के साथ विटामिन सी भी होता है। सेब में विटामिन सी, विटामिन डी, विटामिन ए जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
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विटामिन डी पूरा करने के नैचुरल तरीके | Vitamin D Natural Sources 

विटामिन डी को 'सनलाइट प्रोटीन' भी कहा जाता है, क्योंकि आपका शरीर धूप के संपर्क में आने पर शरीर में मौजूद कोलेस्ट्रॉल से विटामिन डी का उत्पादन करता है इसलिए सबसे नैचुरल तरीका है। सूर्य की किरणें हैं। अधिक समय धूप में बिताएं ताकि आपका शरीर स्वाभाविक रूप से विटामिन डी का निर्माण कर सके लेकिन धूप में जाने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं। 

विटामिन डी की कमी से कैसे बचे रहें?

इसकी कमी से बचे रहने के लिए विटामिन डी भरपूर आहार जरूर खाएं और धूप के संपर्क में जरूर रहें। 5 से 30 मिनट की धूप तो जरूर सेंके जो सुबह की ताजी धूप हो तो ज्यादा बेहतर है। विटामिन डी भरपूर आहार जैसे फैटी फिश, कॉड लिवर ऑयल, मशरूम, अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड संतरे का जूस, अनाज और डेयरी प्रॉडक्ट्स खाएं। 


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Content Writer

Vandana

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