वैद्यनाथ है भगवान शिव का नौवां ज्योतिर्लिंग, कभी रावण ले जाना चाहता था लंका

punjabkesari.in Monday, Jul 20, 2020 - 11:57 AM (IST)

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक हैं। यह उनके नौवें शिवलिंग के स्वरूप के तौर पर माना जाता है। यह एक प्रमुख्य धार्मिक स्थान होने से दूर-दूर से लोग इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और भगवान शिव की कृपा पाने आते हैं। यह झारखंड राज्य के देवघर पर स्थापित है। देवघर को देवताओं का घर भी माना जाता हैँ। यह एक पवित्र तीर्थ होने के नाते वैद्यनाथ धाम से भी जाना जाता हैं। मान्यता है कि यहां पर कोई भी भक्त खाली बाथ नहीं जाता है। ऐसे में सभी की कामना पूरी होने पर इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहते हैं।

 nari,travelling,PunjabKesari

स्थापना के पीछे छिपी कथा    

राक्षस जाति में पैदा होने के बावजूद भी रावण शिव जी का परम भक्त था। कहा जाता है कि एक दिन उसने भगवान शिव को खुश करने के लिए घोर तपस्या की। जैसे कि सभी जानते ही है कि उसके पास 10 सिर थे। इसी कारण वह दशानन के नाम से भी जाता था। उसने तपस्या के बाद उसने भगवान की कृपा पाने के लिए अपने सिर एक-एक कर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू किए। इस तरह उसने अपने नौ सिर शिव जी को अर्पित कर दिए। जब वह दसवाँ सिर भी काटने लगा तो शिवजी ने खुश होकर उसे दर्शन दिए। साथ ही वरदान माँगने को कहा। तब रावण ने उनसे रावण नगरी लंका में जाकर उस लिंग को स्थापित करने की आज्ञा माँगी। शिवजी ने इसके लिए अनुमति तो दे दी पर साथ में इस चेतावनी देते हुआ कहा कि इस शिवलिंग को यदि रास्ते में पृथ्वी पर रखा तो वह वहीं स्थापित हो जाएगा।  रावण उनकी बात मान कर शिवलिंग लेकर चला पर मार्ग में उसे लघुशंका निवृत्ति की आवश्यकता हुई। उस समय रावण को  एक अहीर जिनका नाम बैजनाथ मिला उसने उसे शिवलिंग पकडाया और लघुशंका-निवृत्ति करने को चला गया। मगर उशके पीछे से अहीर को ज्योतिर्लिंग बहुत अधिक भारी लगने पर उसने उसे  भूमि पर रख दिया। इस तरह शिवलिंग धरती पर जम गया। जब रावण लौटा उसने अपनी पूरी शक्ति लगाई। मगर फिर भी शिवलिंग को हिला न पाया। फिरस निराश होकर उसपर अपना अँगूठा गड़ाकर लंका की ओर चला गया।

nari,travelling,PunjabKesari

ब्रह्मा और विष्णु ने की पूजा

रावण के चले जाने के बाद देवलोक से ब्रह्मा, विष्णु  और अन्य  देवताओं आए। उन्होंने उस शिवलिंग की पूजा की। उसके बाद भगवान शिवजी ने सभी देवी देवताओं को दर्शन दिए। फिर देवताओं द्वारा ने शिवलिंग को उसी स्थान पर प्रतिस्थापना कर शिव-स्तुति करते हुए वापस स्वर्ग की ओर चले गए। 

मनोकामनाएं होती है पूर्ण

मान्यता है कि इस भगवान शिव के इस ज्योर्लिंग की सच्चे मन से पूजा करने से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। भगवान शिव जल्दी ही अपने भक्तों की इच्छाएं पूरी कर उनका कल्याण करते हैं। सावन के महीने में खासतौर पर यहां शिव भक्तों की भीड़ जमा होती है। 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

neetu

Related News

static