यूट्रस में रसौली होने के संकेत, क्या रसौली का इलाज सिर्फ बच्चेदानी निकालना?
punjabkesari.in Tuesday, Nov 21, 2023 - 08:30 PM (IST)
ऐसे बहुत से रोग है जो महिलाओं के पीरियड्स से जुड़े होते हैं और पीरियड्स की गड़बड़ी होने पर संकेत भी देते हैं। जैसे पीरियड्स के समय बहुत ज्यादा क्लोंटिग यानि की खून की बनी गांठें बनना, दर्द होना आदि यह सब यूट्रस में रसौली होने के लक्षण हो सकते हैं। एक समय ऐसा था जब रसौली की समस्या उम्रदराज औरतों में ही सुनने को मिलती थी लेकिन आज तो हर उम्र की महिला को ये दिक्कतें आ रही हैं। चलिए इस आर्टिकल में रसौली से जुड़ी ही जानकारी आपको देते हैं। रसौलियां जिसे फाइब्रॉइड्स, यूट्रस सिस्ट, बच्चेदानी की गांठ भी कहा जाता । ऐसा होने की मुख्य वजह, महिला के शरीर में हार्मोनल गड़बड़ी है और हार्मोंन्स की गड़बड़ी की वजह बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल है। छोटी उम्र में यह समस्या होना भी लाइफस्टाइल का खराब होना माना जाता है।
रसौली क्या हैं ?
रसौलियां यूट्रस या बच्चेदानी में फाइब्रस टिश्यूज से बनती है। महिला का गर्भाश्य तीन भागों में बंटा है और यह यूट्रस के किसी भी हिस्से में हो सकती है। जिसका साइज भी अलग-अलग हो सकता है। यह मटर के दाने से लेकर टैनिस बॉल के साइज की भी हो सकती है।
रसौली होने पर क्या-क्या दिक्कतें आती हैं?
रसौली होने पर महिला की प्रेगनेंसी में दिक्कत आती है। पीरियड के दौरान हैवी ब्लीडिंग-दर्द होता है। बार-बार मिसकैरेज हो सकता है। पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं। इससे पेट के निचले हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द, भारीपन महसूस होता है। इंटरकोर्स के समय दर्द होता है।बार-बार यूरिन पास होना और वेजाइना में बदबूदार डिस्चार्ज होना। हर समय कमजोरी महसूस होना, पैरों में दर्द होना और कब्ज की शिकायत भी रह सकती है।
क्या रसौली के बाद निकलवानी पड़ती है यूट्रस?
पहले इस बीमारी में जब यूट्रस निकालना ही एकमात्र इलाज माना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। डॉक्टर मरीज की रसौली का साइज देखकर उसी प्रकार से ट्रीटमेंट करते हैं। कई बार तो यह दवाइयों से ही ठीक हो जाती है जबकि कई बार सर्जरी की जरूरत पड़ती है लेकिन सर्जरी में यूट्रस नहीं निकाली जाती। मेनॉपॉज महिला को भी सर्जरी नहीं की जाती क्योंकि मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉइड्स के टिश्यूज की ग्रोथ खुद-ब-खुद बंद हो जाती है। आपका लाइफस्टाइल सहीं होगा तो आपकी यूट्रस स्वस्थ रहेगी। जो भी खाएं हैल्दी खाएं।
ज्यादा पानी पीएं। वजन पर कंट्रोल रखें।
आंवला जूस- आंवला के एंटी ऑक्सीडेंट गुण यूट्रस में रसौलियां नहीं बनने देते। रोजाना सुबह आंवला का जूस में 1 चम्मच शहद डालकर खाली पेट पीने आपको फायदा मिलेगा।
ग्रीन टी- ग्रीन टी भी रसौली की कोशिकाओं को फैलने से रोकता है। इसके लिए रोज 2 से 3 कप ग्रीन टी का सेवन करें।
हल्दी- हल्दी में मौजूद एंटीबॉयोटिक गुण शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। साथ ही इससे गर्भाश्य कैंसर का खतरा भी कम होता है।
लहसुन- खाली पेट 1 से 2 लहसुन की कलियों का सेवन करें। लगातार 2 महीने तक इसका सेवन इस समस्या को जड़ से खत्म कर देता है।
लाइफस्टाइल का हैल्दी होना बहुत जरूरी है। अच्छा खाएं और एक्सरसाइज व योग करें ताकि आप ऐसी समस्याओं से बची रहें। पैकेज अच्छा लगे तो इसे लाइक और शेयर करना ना भूलें।