बहुत अधिक ज्ञान और पढ़ाई फायदे से ज्यादा दे सकती है नुकसान ! यहां विस्तार से समझिए पूरी बात
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 01:47 PM (IST)

नारी डेस्क: "A lot of learning is a dangerous thing" यह कहावत दरअसल चेतावनी देती है कि बहुत अधिक ज्ञान या पढ़ाई कभी-कभी नुकसानदेह हो सकती है, खासकर जब उसे सही तरीके से इस्तेमाल न किया जाए। अगर कोई व्यक्ति केवल किताबों में या थ्योरी में डूबा रहे और वास्तविक दुनिया की समझ न हो, तो उसके निर्णय गलत हो सकते हैं। कभी-कभी अत्यधिक अध्ययन या विशेषज्ञता दूसरों के साथ तालमेल बिगाड़ सकती है। इसका मूल अर्थ यह भी है कि ज्ञान शक्ति है, लेकिन बिना समझ के ज्ञान खतरनाक भी हो सकता है।
शिक्षा और राजनीति
एक अखबार में छपे लेख में बताया गया है कि चुनावों में लोग कितने शिक्षित हैं, यह उनकी राजनीतिक सोच पर बड़ा असर डालता है। उदाहरण के तौर परअमेरिका में जिन लोगों ने कॉलेज की डिग्री तक नहीं ली, उन्होंने ट्रम्प को 14% अधिक वोट दिए। पोस्टग्रेजुएट (अधिक पढ़े-लिखे) लोग, जैसे कि कमला हैरिस के पक्ष में, 32% ज्यादा वोट दिए गए। ब्रेक्सिट में भी इसी तरह की पैटर्न दिखी। यानी कि शिक्षा स्तर, जनता की प्रवृत्ति और जनता के “पॉपुलिस्ट” विचारों को समझने में सबसे बड़ा संकेतक है।
शिक्षा का विस्तार
2000 तक विशेषज्ञ सोचते थे कि पढ़े-लिखे लोग अधिकतर उदार (liberal) होंगे और पारंपरिक/ conservative विचार धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ पढ़े-लिखे लोग बेरोजगार या अधूरी क्षमता वाले बने, और उनका समूह अपनी संस्कृति और भाषा में इतना अलग हो गया कि बाकी समाज के साथ टकराव हुआ। इसने “वोक” (woke) संस्कृति और उसका विरोध पैदा किया। लेखक कहते हैं कि शिक्षा ने समाज को दो हिस्सों में बांट दिया। पहल पढ़े-लिखे लोग – जो अपनी दुनिया में रहकर एक अलग संस्कृति और विचार प्रणाली बनाते हैं। बाकी लोग जो इससे अलग और कभी-कभी हाशिए पर महसूस करते हैं। इससे समाज में तनाव और दूरी बढ़ी है।
मुख्य संदेश
शिक्षा समाज के लिए अच्छी है, लेकिन इसके विस्तार के अप्रत्याशित नकारात्मक परिणाम भी हैं। पढ़े-लिखे और अनपढ़ लोगों के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक दूरी बढ़ सकती है। “अधिक पढ़ाई” कभी-कभी समाज को विभाजित कर सकती है, और यही लेखक का चिंताजनक निष्कर्ष है।
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