आज पुरी के हर घर-मंदिर में मिले रगसुल्ले, रथयात्रा के समापन पर मनाया जाता है  रसगुल्ला दिवस

punjabkesari.in Friday, Jul 19, 2024 - 06:53 PM (IST)

वार्षिक रथ यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ के 'नीलाद्रि बीजे' (मंदिर में प्रवेश से संबंधित अनुष्ठान) के अवसर पर ओडिशा में शुक्रवार को 'रसगुल्ला दिवस' मनाया गया जो राज्य के लोगों के लिए मिष्ठान्न के महत्व को रेखांकित करता है। इस दिन को 'रसगुल्ला दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ अपनी रूठी पत्नी देवी लक्ष्मी को रसगुल्ला खिलाकर मनाते हैं।

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 श्री जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी रथयात्रा में साथ नहीं ले जाए जाने की वजह से भगवान जगन्नाथ से नाराज हो जाती हैं। तीन जुलाई 2015 से ओडिशा के लोग 'नीलाद्री बीजे' अनुष्ठान को 'रसगुल्ला दिवस' के रूप में मनाते आ रहे हैं।

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 इस अवसर पर, भगवान को 'रसगुल्ले' का भोग लगाया जाता है और उसके बाद उन्हें औपचारिक 'पहांडी' शोभा यात्रा के जरिए गर्भगृह में ले जाया जाता है। पुरी के जगन्नाथ धाम में सिर्फ यही एक दिन होता है, जब महाप्रभु को विशेष रूप से सफेद रसगुल्ले का भोग लगता है और वह देवी लक्ष्मी के साथ इसका भोग स्वीकार करते हैं। इस दिन आपको पुरी के हर चौक-चौराहे, घर-मंदिर में बेहिसाब रगसुल्ले का प्रसाद मिलेगा। 

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पुरी में आज ज़्यादातर दुकानों पर रसगुल्ले की बिक्री में तेज़ी देखी गई क्योंकि पुरी आने वाले लगभग सभी भक्त अपनी भक्ति के प्रतीक के रूप में देवताओं को यह मिठाई चढ़ाते हैं। बंगाल को नवंबर 2017 में “बांग्लार रसगुल्ला” के लिए जीआई टैग मिला था, जबकि ओडिशा की स्वादिष्ट मिठाई को जुलाई 2019 में “ओडिशा रसगुल्ला” के लिए जीआई टैग मिला था। भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री के अनुसार, ओडिशा और बंगाल की मिठाइयों का स्वाद और संरचना अलग-अलग होती है। विश्व व्यापार संगठन के तहत जीआई टैग किसी उत्पाद की पहचान किसी खास जगह से होने के रूप में करता है।


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vasudha

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