क्या आपका बच्चा भी बार- बार हिचकी से हो रहा है परेशान तो ये तरीके दिलाएंगे आराम

punjabkesari.in Wednesday, Nov 09, 2022 - 12:22 PM (IST)

नवजात शिशु बहुत ही कोमल होते हैं। ऐसे में माता-पिता को उनकी देखभाल के प्रति ओर भी सर्तक होना पड़ता है। शिशु के साथ की गई एक भी लापरवाही उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकती है। खासकर नवजात को बहुत हिचकियां आती है। बार-बार हिचकियां बच्चे को बहुत परेशान करती हैं जिसके कारण मां भी परेशान हो जाती है। लेकिन बच्चे को बार-बार हिचकी क्यों आती है इसके क्या कारण है आपको आज इसके बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में...

हिचकी आने के कारण 

शिशु को हिचकियां मां के पेट में आनी शुरु हो जाती हैं। प्रेग्नेंसी के दूसरी तिमाही में शिशु को हिचकियां आ सकती है। जन्म के बाद भी शिशु को हिचकियां आती है जिसके कारण कुछ इस प्रकार हैं। 

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बच्चे के पेट में मौजूद खाना भोजन नली में वापस चला जाता है। इस दौरान शिशु का रिफ्कस पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता। खाने का वापस भोजन नली में जाने से  नसों की कोशिकाओं में एसिड ट्रिगर होने पर डायफ्राम में परेशानी होने लगती है जिससे बच्चे को हिचकियां आने लगती हैं। 
 
. इसके अलावा मां का दूध या फिर बोतल का दूध भी पीने से बच्चे का पेट फूल जाता है। अचानक से पेट फूल जाने के कारण डायफ्राम खिंच जाता है जिससे ऐंठन शुरु हो सकती है। इसी समस्या के कारण भी बच्चे को हिचकियां आने लगती हैं। 

एलर्जी और आस्थमा से भी हो सकती है एलर्जी 

. इसके अलावा बच्चे फॉर्मूल मिल्क या ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद प्रोटीन के कारण भोजन नली में सूजन आ सकती है। इससे भी बच्चे को डायफ्राम में समस्या आ सकती है। डायफ्राम में समस्या आने से हिचकियां की परेशानी होती है। 

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. अस्थमा के कारण फेफड़ों की ब्रोंकाइल ट्यूबों में सूजन आती है जिसके कारण फेफड़ों में हवा नहीं पहुंच पाती। इस समस्या से बच्चे को सांस लेने में समस्या होती है घरघराहट जैसी समस्या होने लगती है। इसके कारण डायफ्राम में ऐंठन उठती है और हिचकियां शुरु हो जाती है। 

कैसे रोके हिचकियां? 

. यदि आपने शिशु को ठोस आहार देना शुरु कर दिया है तो हिचकी आने पर उसकी जीभ पर थोड़ी सी चीनी रख दें। अगर शिशु छोटा है तो उसके पैसिफायर में ताजा शुगर सिरप रखकर मुंह में डाल दे। 

. हिचकी आने पर शिशु को अपनी गोद में उल्टा लिटाएं और उन्हें अपने कंधे पर रखें। इस दौरान उनकी पीठ को सर्कुलर मोशन में हाथ मलें। 

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. दूध पिलाने के बाद बच्चे को कंधे पर रखकर डकार जरुर दिलवाएं। इससे शिशु को डायफ्राम सही पोजीशन में रहेगा। डकार दिलवाने के लिए आप उनकी पीठ को जरुर थपथपाएं। 

. हिचकियां रोकरने के लिए आप शिशु को ग्राइप वाटर जरुर पिला दें। साफ पानी में आप ग्राइप वाटर मिलाएं। 

ज्यादा हिचकियां आने पर क्या करें? 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, शिशुओं और छोटे बच्चे को हर रोज कुछ मिनट और घंटे के लिए हिचकियां आती है। यदि बच्चा खुश है और उसे हिचकियों के दौरान कोई समस्या नहीं हो रही तो कोई समस्या नहीं है। लेकिन यदि हिचकियां कम नहीं हो रही तो यह भी परेशानी की संकेत हो सकता है। 

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नोट: शिशु की हिचकियां आते समय यदि घरघराहट की आवाज आ रही है तो उससे डॉक्टर से सलाह ले लें। 


 


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palak

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