स्कूल जाने वाले बच्चों में बढ़ रहा है Eye Flu का रिस्क, इन 5 तरीकों से करें बचाव
punjabkesari.in Wednesday, Aug 09, 2023 - 12:42 PM (IST)
इन दिनों भारी बारिश के बाद से पूरे देश में आई फ्लू काफी तेजी से फैल रहा है। इसे पिंक आई फ्लू भी कहा जाता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये संक्रमण एक ऐसी बीमारी है जिससे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। ऐसे में स्कूल जाने वाले बच्चों का ख्याल रखना ज्यादा जरूरी है....
बच्चों को इसलिए होता है पिंक आई फ्लू का ज्यादा खतरा
ये फ्लू छूने से फैलता है। बच्चे स्कूल में एक दूसरे के संपर्क में ज्यादा आते हैं। छोटे बच्चों के हाथ बार-बार गंदे हो जाते हैं और उनकी आंखों को रगड़ने और छूने की संभावना ज्यादा हो जाती है , इसीलिए बच्चों में इस फ्लू से संपर्क में आने का खतरा ज्यादा रहता है।
बच्चों में ये होते हैं आई फ्लू के लक्षण
-लालपन
- पानी आना
-जलन
-पलकें चिपकना
-आंखों में तेज दर्द
- सूजन
- खुजली
बच्चों आई फ्लू से कैसे बचें
हाथों की सफाई
अपने बच्चों के हाथों में साफ रखें और उन्हें नियमित रूप से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि इस फ्लू के फैलने का सबसे बड़ा कारण गंदे हाथ होते हैं।
क्लियर ग्लास का करें इस्तेमाल
बच्चों को क्लियर ग्लास यानी कि बिना पावर का चश्मा पहना दें। इससे बच्चे खुद भी अपनी आंखों को नहीं छूएंगे और उन्हें याद भी रहेगा कि आंखों को छूने से पहले हाथों को धोना बहुत जरूरी है। वायरस की संभावना को कम करने के लिए बच्चे को अपनी आंखों को छूने से बचना सिखाएं।
पर्सनल सामानों को रखें साफ
चश्मे, कॉटैक्ट लेंस और आंखों के संपर्क में आने वाली किसी भी सामान को नियमित रूप से साफ करें और बच्चों को भी इसकी चीज की आदत लगाएं। सेनेटाइजर देकर बच्चों को स्कूल भेजें।
बच्चों की आंखों की सफाई
जब भी बच्चे स्कूल से आएं तो उन्हें तुरंत नहलाएं और उसके बाद उसकी आंखों को एक मग पानी में एक चुटकी नमक डालकर धुलाएं, फिर उसकी आंखों को गर्म पानी से सेंक दें। एहतियात के तौर पर ऐसा
टिशू का करें इस्तेमाल
हवा में फैले वायरस के संपर्क को कम करने के लिए छींकते या खांसते समय टिशू का इस्तेमाल करना बच्चों को सीखाएं। टिशू कपड़े के रूमाल से ज्यादा सुरक्षित होता है।
ना करें आंखों में स्टेरॉयड वाले आई ड्रॉप्स डालने की गलती
स्टेरॉयड वाले आई ड्रॉप्स के ज्यादा इस्तेमाल से ग्लूकोमा और मोतियाबंद का खतरा हो सकता है। दोनों ही आंखों के लिए गंभीर है। इनसे आंखों की रोशनी जाने का खतरा भी रहता है।