भारत की ये तिकड़ी है पैरालंपिक खिलाड़ियों के 'असली नायक', खुद Loan लेकर दे रहे फ्री ट्रेनिंग
punjabkesari.in Wednesday, Aug 28, 2024 - 08:54 PM (IST)
नारी डेस्क: भारत ने पैरिस पैरालंपिक्स 2024 के लिए एक मजबूत दल भेजा है, जिसमें 84 खिलाड़ियों को शामिल किया गया है। 2020 में टोक्यो पैरालंपिक्स में 19 पदक जीतकर भारत ने इतिहास रचा था, जिसमें 5 स्वर्ण पदक भी शामिल थे। इस बार भारत का लक्ष्य स्वर्ण पदकों की संख्या को दोहरे अंकों में पहुंचाना और कुल 25 से अधिक पदक जीतना है। इस विशेष रिपोर्ट में हम उन असली नायकों की कहानियाँ पेश कर रहे हैं, जो पर्दे के पीछे से इन पैरालंपिक खिलाड़ियों को तैयार कर रहे हैं।
एक हादसे ने खत्म किया करियर, लोन लेकर खोली गौरव खन्ना ने पैरा बैडमिंटन एकेडमी
भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के हेड कोच गौरव खन्ना की कहानी प्रेरणा से भरी है। घुटने की इंजरी के कारण 1998 में उनका करियर समय से पहले ही समाप्त हो गया। इसके बाद उन्होंने लखनऊ में 2 करोड़ रुपये का लोन लेकर एक पैरा बैडमिंटन एकेडमी खोली। आज भी वे बैंक को कर्ज चुका रहे हैं। उनके द्वारा ट्रैंड किए खिलाड़ियों ने टोक्यो पैरालंपिक्स में चार-चार मेडल जीते थे। इस बार पेरिस में उनकी उम्मीदें और भी ज्यादा हैं। खन्ना की एकेडमी में लगभग 80 पैरा खिलाड़ियों को फ्री ट्रेनिंग दी जाती है जो उनके समर्पण और मेहनत का प्रमाण है।
पोलियो भी नहीं हर पाया शिव प्रसाद की हौंसला, दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए पहल
साल 2016 में दिव्यांग माइथ्री स्पोर्ट्स अकादमी की शुरुआत करने वाले शिव प्रसाद ने दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए विशेष काम किया है। पोलियो के कारण बचपन में विकलांगता झेलने के बाद शिव ने व्हीलचेयर क्रिकेट और टेनिस में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अब रिटायर हो चुके शिव प्रसाद ने अपने ज्ञान और अनुभव को दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने में लगाया है। हालांकि, उन्हें बीसीसीआई या अन्य स्रोतों से समर्थन नहीं मिला है, लेकिन उनकी अकादमी कर्नाटक में विकलांग खिलाड़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान कर रही है।
एक्सीडेंट में आदित्य मेहता ने पैर गंवाया, साइक्लिंग को बनाया करियर
पेरिस ओलंपिक में पैरा साइक्लिस्ट शेख अरशद और ज्योति गडेरिया के प्रेरणा स्रोत आदित्य मेहता की कहानी भी दिलचस्प है। साल 2006 में एक बाइक हादसे में एक पैर गंवाने के बाद, आदित्य मेहता ने साइक्लिंग में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 11 साल पहले हैदराबाद में एक संस्था की शुरुआत की और कई खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया। आदित्य मेहता, जो साढ़े पांच घंटे में 100 किमी की यात्रा पूरी करने वाले पहले लिम्का बुक रिकॉर्ड होल्डर हैं, उनकी संस्था से जुड़े खिलाड़ी एशियाई और विश्व चैंपियनशिप में भी पदक जीत चुके हैं।
इनकी प्रेरणादायक कहानियां साबित करती हैं कि असंभव को संभव बनाया जा सकता है। इनकी मेहनत और समर्पण से भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ियों को वैश्विक मंच पर सफलता की नई ऊँचाइयां छूने का हौंसला मिला है।