Diabetes को कर लें टाइम पर कंट्रोल, नहीं तो 4 गुना बढ़ जाएगा फेफड़ों की बीमारी का खतरा
punjabkesari.in Tuesday, Aug 05, 2025 - 05:46 PM (IST)

नारी डेस्क: डायबिटीज़ (मधुमेह) और टीबी (क्षय रोग) दोनों ही गंभीर बीमारियां हैं। जब ये एक साथ होती हैं, तो स्थिति और भी जटिल हो जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो मधुमेह लगातार प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे तपेदिक (टीबी) के रोगियों में स्वास्थ्य खराब होता है और मृत्यु का उच्च जोखिम होता है। आइए समझते हैं इसके बारे में विस्तार से।
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डायबिटीज़ टीबी को कैसे बढ़ा देती है?
डायबिटीज शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को कमजोर कर देती है। इससे शरीर टीबी के बैक्टीरिया से ठीक तरह से लड़ नहीं पाता। हाई ब्लड शुगर लेवल टीबी के बैक्टीरिया को पनपने का अनुकूल माहौल देता है, इससे टीबी तेजी से फैल सकती है। डायबिटीज़ होने पर शरीर में दवाओं का असर कमजोर हो जाता है। टीबी की दवाएं उतनी प्रभावी नहीं होतीं जितनी सामान्य रोगियों में होती हैं। डायबिटिक मरीजों में टीबी का इलाज अधिक समय लेता है और रिकवरी धीमी होती है। कई अध्ययन यह बताते हैं कि टीबी + डायबिटीज वाले मरीजों में मृत्यु दर अधिक होती है, खासकर अगर ब्लड शुगर ठीक से कंट्रोल न हो।
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ये है देश का आंकड़ा
भारत में टीबी का बोझ एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है, जिसमें 28 लाख टीबी मामले हैं - जो 2024 में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक, 26 प्रतिशत है। देश में अनुमानित 3.15 लाख टीबी से संबंधित मौतें भी हुई हैं, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों का 29 प्रतिशत है। देश में मधुमेह का बोझ भी लगातार बढ़ रहा है, वर्तमान में 10 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। आईसीएमआर-राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान, चेन्नई के वरिष्ठ चिकित्सा वैज्ञानिक हेमंत डी. शेवाडे ने आईएएनएस को बताया- "मधुमेह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर करता है, जिससे टीबी का ख़तरा बढ़ जाता है।
सुझाव और बचाव के उपाय
- ब्लड शुगर को सख्ती से कंट्रोल करें
-टीबी के लक्षण दिखें तो तुरंत जांच करवाएं (खांसी, वजन घटना, बुखार आदि)
-टीबी के साथ डायबिटीज़ हो तो डॉक्टर की सलाह से दवाओं की डोज़ तय करें
-पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम करें
-दोनों बीमारियों के लिए निरंतर निगरानी रखें
डब्ल्यूएचओ ने किया अलर्ट
अध्ययनों से पता चला है कि मधुमेह के रोगियों में टीबी का खतरा 3.5-5.0 गुना अधिक होता है, जो विशेष रूप से टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों में अधिक होता है। इन रोगियों में टीबी-रोधी दवाओं के बाद भी बीमारी के दोबारा होने की दर अधिक होती है और देर से निदान होने पर मृत्यु दर भी अधिक होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश है कि मधुमेह और दो सप्ताह से अधिक खांसी वाले रोगियों को टीबी की संभावना के लिए आगे के मूल्यांकन की आवश्यकता है। डायबिटीज़ टीबी को अधिक खतरनाक बना देती है। इससे टीबी का इलाज मुश्किल हो जाता है, मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि डायबिटीज़ वाले लोग टीबी से विशेष सावधानी बरतें, और यदि दोनों रोग हों तो इलाज को बेहद गंभीरता से लें।