खुद की और अपनों की मौत का सोचकर बार- बार लगता है डर? तो आपको घेर लिया है इस बीमारी ने

punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2024 - 07:52 PM (IST)

नारी डेस्क: मौत निश्चित है, इसे कोई टाल नहीं सकता। ये जानने के बावजूद कुछ लोग मौत के नाम पर डरते रहते हैं। वह मौत से इतना डरने लगते हैं कि जीना ही भूल जाते हैं।  मौत से इस कदर डरने की स्थिति को ‘थेनाटोफोबिया’ कहते हैं। यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है।  यह शब्द ग्रीक शब्द "थानाटोस" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "मृत्यु," और "फोबिया" का मतलब है डर।  इसे कभी-कभी डेथ एंग्जायटी  (Death Anxiety) भी कहा जाता है। थेनाटोफोबिया में व्यक्ति को मृत्यु या मरने के विचारों से अत्यधिक भय और चिंता होती है, जो उसकी दैनिक जीवन की गतिविधियों में बाधा डालती है।

 

थेनाटोफोबिया के कारण

थेनाटोफोबिया का कोई एक निश्चित कारण नहीं होता, बल्कि यह कई कारकों के संयोजन से उत्पन्न हो सकता है। कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

अज्ञात का डर: मृत्यु को लेकर एक बड़ा कारण अज्ञात (अनजान) होता है, क्योंकि कोई भी यह निश्चित रूप से नहीं जानता कि मृत्यु के बाद क्या होता है। यह अनिश्चितता डर पैदा करती है।
   
स्वयं की मृत्यु: व्यक्ति को अपनी मृत्यु का विचार परेशान करता है। उसे लगता है कि उसकी पहचान, उसका जीवन अचानक समाप्त हो जाएगा, और यह विचार डर का स्रोत बनता है।

स्वास्थ्य समस्याएं: अगर व्यक्ति गंभीर बीमारी से जूझ रहा हो या कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हों, तो मृत्यु का डर और भी गहरा हो सकता है।

प्रेमजनों को खोने का डर: कुछ लोग अपने परिवार के सदस्यों या करीबी लोगों को खोने के डर से भी मृत्यु का भय महसूस करते हैं।

दुखद अनुभव: अगर व्यक्ति ने अपने जीवन में किसी करीबी की मृत्यु का सामना किया है, तो इसका मानसिक प्रभाव उसे मृत्यु के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बना सकता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं: कुछ लोगों में धार्मिक विश्वास और मृत्यु के बाद जीवन की धारणाओं के कारण मृत्यु का डर होता है। कुछ को नरक या पुनर्जन्म जैसी अवधारणाएं डराती हैं।
 

थेनाटोफोबिया के लक्षण

थेनाटोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं

- व्यक्ति मृत्यु या उससे जुड़ी बातों के बारे में सोचते ही असहज महसूस करता है, और उसमें घबराहट पैदा होती है।
   
-मृत्यु के डर से व्यक्ति को नींद में परेशानी हो सकती है, उसे बुरे सपने आ सकते हैं या सोने से डर लग सकता है।

-घबराहट, सांस लेने में कठिनाई, पसीना आना, तेज दिल की धड़कन आदि लक्षण थेनाटोफोबिया के शारीरिक संकेत हो सकते हैं।

-व्यक्ति बार-बार मरने के बारे में सोचता है और उसे यह चिंता सताती रहती है कि कब और कैसे उसकी मृत्यु होगी।

- व्यक्ति की मृत्यु का भय उसकी सामाजिक, व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को भी प्रभावित कर सकता है। वह सामान्य कामकाज में असमर्थ हो सकता है।
 

थेनाटोफोबिया का उपचार

थेनाटोफोबिया को प्रबंधित करने और उसका उपचार करने के लिए कई तरीके उपलब्ध हैं:

कॉग्निटिव-बिहेवियरल थेरेपी (CBT): यह थेरेपी व्यक्ति की नकारात्मक सोच को पहचानने और उसे बदलने में मदद करती है। इसमें थेरेपिस्ट व्यक्ति को धीरे-धीरे मृत्यु से जुड़े विचारों का सामना करने और उन पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशिक्षित करता है।
   
मेडिटेशन और रिलैक्सेशन तकनीक: ध्यान और गहरी सांस लेने की तकनीकें व्यक्ति को उसकी चिंता और डर को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।

मनोवैज्ञानिक परामर्श: थेनाटोफोबिया के गहरे मानसिक और भावनात्मक कारणों का पता लगाने के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श मददगार हो सकता है। यह व्यक्ति को अपने डर को समझने और उससे निपटने के तरीकों पर काम करने में सहायता करता है।

धार्मिक या आध्यात्मिक मार्गदर्शन: जिन लोगों को मृत्यु के बाद की जीवन की धारणा या धार्मिक मान्यताओं से डर लगता है, वे किसी धार्मिक या आध्यात्मिक मार्गदर्शक से परामर्श ले सकते हैं, जो उन्हें इस विषय पर शांति और समझ दिला सकता है।

दवाएं: अगर थेनाटोफोबिया गंभीर रूप से व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर रहा है, तो डॉक्टर एंटी-एंग्जायटी या एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं दे सकते हैं।


थेनाटोफोबिया एक गंभीर मानसिक स्थिति हो सकती है, लेकिन इसे सही उपचार और थेरेपी के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है। मृत्यु जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है, और इस डर को समझने और नियंत्रित करने के प्रयास से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक शांतिपूर्ण और सार्थक बना सकता है।
 


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Content Writer

vasudha

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