World Mental Health Day 2025: अगर ये 7 संकेत दिखें, तो समझ जाएं हो रही है मेंटल प्रॉब्लम

punjabkesari.in Saturday, Oct 11, 2025 - 11:50 AM (IST)

नारी डेस्क: हर साल 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (World Mental Health Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को यह याद दिलाना है कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) भी उतना ही जरूरी है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। सिरदर्द या बुखार की तरह मानसिक परेशानी भी एक गंभीर बीमारी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शुरुआती लक्षणों पर ध्यान दिया जाए, तो मानसिक बीमारियों का इलाज आसान हो सकता है। नीचे जानिए  मेंटल प्रॉब्लम के 7 प्रमुख लक्षण, जिन्हें कभी न करें नज़रअंदाज़ 

मूड का लंबे समय तक खराब रहना

अगर आपका मूड लगातार कई दिनों तक खराब रहता है, खुशी महसूस नहीं होती या हर चीज बेकार लगने लगती है, तो यह डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। WHO की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, हर 8 में से 1 व्यक्ति दुनिया में किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उदासी दो दिन से अधिक समय तक बनी रहे और चीज़ों में रुचि खत्म हो जाए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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अत्यधिक चिंता और डर

अगर आप हर छोटी बात पर घबराने लगते हैं, दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं या बेचैनी महसूस होती है, तो यह एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder) का संकेत हो सकता है। National Alliance on Mental Illness (NAMI) की रिपोर्ट के अनुसार, जब चिंता इतनी बढ़ जाए कि यह आपकी दिनचर्या को प्रभावित करने लगे, तो यह मानसिक बीमारी का प्रारंभिक संकेत है।

नींद और भूख में बदलाव

मानसिक परेशानी के दौरान नींद और भूख में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। कभी बहुत ज्यादा नींद आती है, तो कभी बिल्कुल नहीं आती। American Psychiatric Association (APA) के अनुसार, यह मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर का सबसे आम लक्षण है। इसी तरह, खाने में रुचि खत्म होना या बहुत ज्यादा खाना भी चिंता और डिप्रेशन से जुड़ा होता है।

सामाजिक जीवन से दूरी बनाना

अगर व्यक्ति दोस्तों, परिवार या सहकर्मियों से दूरी बनाने लगे और अकेले रहना पसंद करने लगे, तो यह मेंटल प्रॉब्लम का गंभीर संकेत हो सकता है। Healthdirect Australia की रिपोर्ट कहती है कि इस स्थिति में व्यक्ति खुद को अलग-थलग महसूस करने लगता है और समाज से कट जाता है, जिससे डिप्रेशन और बढ़ता है।

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ध्यान और याददाश्त में कमी

मानसिक समस्याओं का असर सीधे ब्रेन की कॉग्निटिव फंक्शनिंग पर पड़ता है। American Psychiatric Association के अनुसार, व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल, निर्णय लेने में दिक्कत और बार-बार भूलने जैसी दिक्कतें होती हैं। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे, तो यह किसी गंभीर मानसिक स्थिति की ओर इशारा करती है।

गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ना

अगर बिना वजह गुस्सा आने लगे, बात-बात पर चिढ़ हो और मूड अचानक बदलने लगे, तो यह मेंटल हेल्थ असंतुलन का परिणाम हो सकता है। कई रिसर्च रिपोर्ट्स में पाया गया है कि क्रॉनिक एंगर (Chronic Anger) और इरिटेबिलिटी (Irritability) अक्सर मानसिक विकारों जैसे डिप्रेशन या बाइपोलर डिसऑर्डर के शुरुआती संकेत होते हैं।

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आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने के विचार

Mayo Clinic की रिपोर्ट के मुताबिक, जब व्यक्ति के मन में बार-बार यह विचार आने लगे कि “जीने का कोई मतलब नहीं है” या “खुद को नुकसान पहुंचा दूं”, तो यह डिप्रेशन का सबसे खतरनाक चरण है। ऐसे में तुरंत मनोचिकित्सक (Psychiatrist) या हेल्पलाइन से संपर्क करना जरूरी है। भारत में किरण हेल्पलाइन (1800-599-0019) और अन्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं 24x7 उपलब्ध हैं।

मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज करना बेहद खतरनाक हो सकता है। अगर आपको या आपके किसी करीबी को इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो शर्म या डर की वजह से छिपाएं नहीं तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। याद रखें, मेंटल हेल्थ कोई कमजोरी नहीं, बल्कि इलाज़ योग्य समस्या है।   

 


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Content Editor

Priya Yadav

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