आखिर क्यों होते हैं ट्रेन के कोच नीले, लाल और हरे? जानें इन सभी रंगों का मतलब
punjabkesari.in Friday, Dec 09, 2022 - 06:43 PM (IST)
भारतीय रेलवे एशिया में दूसरा सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा बड़ा रेलवे नेटवर्क है। अगर आप ज्यादातर रेल से ही सफर करते हैं, तो कभी आपने गौर किया है आखिर ट्रेन के कोच के कलर अलग-अलग क्यों होते हैं? साथ ही इन हरे, लाल और नीले रंग के डब्बों का कारण क्या है? चलिए आपको इन अलग-अलग रंग के कोच का मतलब बताते हैं।
नीले रंग के डिब्बे
आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर रेलवे कोच नीले कलर के होते हैं, कहते हैं कि ये आईसीएफ या एकीकृत कोच, जिनकी स्पीड 70 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच होती है। नीले रंग के कोच वाली गाड़ियां मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट होती हैं। इसमें कई सुविधाएं मौजूद होती हैं।
लाल रंग के डिब्बे वाली ट्रेन
भारतीय रेलवे के लाल डिब्बे लिंक हॉफमैन बुश से भी फेमस हैं। ये कोच एल्युमिनियम के बनाए जाते हैं और इनका वजन अन्य कोचों से हल्का होता है। ये ट्रेनें 200 किमी प्रति घंटे की स्पीड में दौड़ सकती हैं। लाल डूबूं का इस्तेमाल खास तौर से राजधानी रो शताब्दी में होता है।
हरे रंग के कोच वाली ट्रेन
हरे रंग के डिब्बों का इस्तेमाल गरीब रथ में होता है। मीटर गेज ट्रेन की गाड़ियां हरे रंग की होने के साथ-साथ भूरे रंग की भी होती हैं। नैरो-गेज ट्रेनें हल्के रंग की गाड़ियों का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि देश में अब नैरो-गेज ट्रेनें अब सेवा में नहीं हैं।
ट्रेन में धारियां
रंग के अलावा आईसीएफ कोचों पर आपको अलग-अलग रंग की धारियां भी दिखाई देंगी, जिनका मतलब कई कार्यों से जुड़ा हुआ है, जैसे नीले रेलवे कोच पर सफेद पट्टियां, खास ट्रेन के सेकेंड क्लास की पहचान करवाते हैं।
हरे रंग और लाल रंग की धारियों का मतलब
हरे रंग की धारियां ग्रे कोच वाली वीमेन कोच को दर्शाती हैं। इसके अलावा, ग्रे डिब्बों पर लाल धारियां ईएमयू/एमईएमयू ट्रेन में फर्स्ट कला को दर्शाती हैं।