प्लेन हादसे में बेटी का दर्द: टाटा समूह से कहा- मैं 2 करोड़ रुपए दूंगी, मेरे पिता को वापस ला दीजिए
punjabkesari.in Saturday, Jun 14, 2025 - 03:29 PM (IST)

नारी डेस्क: अहमदाबाद में एयर इंडिया 171 विमान हादसे के बाद परिजनों का दर्द बेहिसाब है। हादसे में अपने पिता को खो चुकी फाल्गुनी का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपने दर्द को बयां करती नजर आ रही हैं। बीजे मेडिकल कॉलेज में डीएनए सैंपल देने पहुंची फाल्गुनी ने मुआवजे को लेकर सवाल उठाए और कहा कि उनके लिए पैसे से ज्यादा अपने पिता की वापसी अहम है।
पिता की याद में फूटा बेटी का दर्द
फाल्गुनी ने बताया कि उनके पिता हमेशा एयर इंडिया से ही सफर करते थे। वह अपनी मां के लिए पिता की देखभाल करती थीं, जो बीमार हैं। फाल्गुनी की आंखों में आंसू थे और वह भावुक होकर कह रही थीं, "टाटा समूह ने 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है, लेकिन क्या इससे मेरे पापा वापस आ जाएंगे? अगर वे मेरे पापा को वापस ला सकते हैं, तो मैं उन्हें 2 करोड़ रुपये देने को भी तैयार हूं।" उनके ये शब्द इस दर्दनाक हादसे में अपनों को खोने वाले हर परिवार की वेदना को बखूबी दर्शाते हैं।
बीजे मेडिकल कॉलेज में ममता और मातम का माहौल
अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हादसे के बाद भारी मातम का माहौल है। परिजनों ने अपने अपने रिश्तेदारों की पहचान के लिए डीएनए सैंपल देना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को यहां कुल 219 लोगों के डीएनए सैंपल लिए गए। अधिकारियों के मुताबिक, यह प्रक्रिया 48 से 72 घंटे में पूरी हो जाएगी और शनिवार से शुरुआती पहचान की खबरें मिलनी शुरू हो जाएंगी। इस दौरान गुजरात और देशभर से कई परिजन अपने अपनों की पहचान के लिए अस्पताल पहुंचे हैं। कुछ विदेशी नागरिकों ने भी डीएनए सैंपल दिए हैं।
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डीएनए जांच ही सबसे भरोसेमंद तरीका
डॉक्टरों ने बताया कि जले हुए शवों की पहचान के लिए डीएनए जांच सबसे कारगर और विश्वसनीय तरीका है। यह प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि अगर किसी शव के कई टुकड़े हों, तो सभी टुकड़ों से सैंपल लेना पड़ता है। डीएनए सैंपल मुंह के अंदर से लिया जाता है क्योंकि मुंह की दीवार और दांत जलने के बावजूद अक्सर सुरक्षित रहते हैं। साथ ही, गहरे मांसपेशियों के टिशू से भी सैंपल लिए जाते हैं। इस तरह के सैंपल से ही शवों की सही पहचान संभव होती है।
हादसे का गहरा असर
इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिवारों का दुख बयान करना मुश्किल है। फाल्गुनी जैसे परिवारों की पुकार इस बात की याद दिलाती है कि मुआवजा केवल एक संख्या भर नहीं है, बल्कि जिन रिश्तों और सपनों को खोया गया है, उनकी कीमत कोई नहीं चुका सकता। परिवार चाहते हैं कि उनकी आंखों के सामने अपना अपनों को वापस ला सकें, न कि सिर्फ मुआवजे की रकम मिले।
यह हादसा हम सभी के लिए एक झटका है और इससे जुड़े परिवारों के लिए संवेदनाएं व्यक्त करने का वक्त है। हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित अधिकारियों और कंपनियों द्वारा हर संभव मदद और सहारा परिजनों को मिले ताकि वे इस दर्द से थोड़ा बेहतर तरीके से उबर सकें।