सुपर मॉम मैरी कॉम ने जीता एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट का खिताब
punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2019 - 11:18 AM (IST)
भारतीय की बेटियां लगातार दुनिया में साबित कर रही है वह किसी से कम नही हैं, पीवी सिंधू, कोमालिका के बाद अब मैरी कॉम ने साबित कर दिया हैं। भारत की इस बेटी को एशियन स्पोर्ट्सराइटर्स यूनियन द्वारा एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट का खिताब देकर सम्मानित किया गया है। यह न केवल एक एथलीट है बल्कि सुपर मॉम भी है जिन्होंने बच्चों को जन्म देने के बाद न केवल उनकी मां को रोल अदा किया बल्कि एक सच्चे एथलीट का पहचान दिखाते हुए एक साल के अंदर ही खुद रिंग के लिए भी तैयार किया। चलिए जानते है उनके अब तक के सफर के बारे में...
36 साल में जीते 7 इंटरनेश्नल पदक
मैरी कॉम इकलौती महिला मुक्केबाज है जिन्होंने 36 साल में विश्व चैम्पियनशिप में सात पदक जीत लिए हैं। मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर में हुआ था। उनका पूरा नाम एमसी मेरीकॉम (Mangte Chungneijang Mary Kom) है। उनके पिता खेती कर घर का गुजारा करते थे। घर में सबसे बड़ी भाई- बहन होने के बावजूद भी वह काफी शैतान होते थी। लड़कों के साथ मिलकर खेलती थी। लड़कों के साथ खेलते समय कई बार झगड़ा होता तो वह उनसे लड़ाई करती थी। 2000 में बॉक्सिंग की शुरुआत करते हुे मणिपुर के बॉक्सिंग कोट एम. नरजित से ट्रेनिंग की शुरुआत की।

ससुराल ने भी दिया सहयोग
शादी के बाद मैरीकॉम ने बॉक्सिंग छोड़ी नहीं, बल्कि उनके ससुराल ने उनका पूरा साथ दिया। मैरीकॉम को सुपर मॉम के नाम से भी जाना जाता हैं। 2005 में उनकी शादी ओनलर कॉम से हुई उसके बाद 2007 में उनके जुड़वां बच्चे हुए। बच्चे होने के बाद भी उनका खेल के प्रति प्रेम कम नही हुआ था, इसके एक साल बाद ही 2008 में उन्होंने मैग्नीफिशेंट मैरीकॉम की उपाधि से नवाजा गया। खेल के लिए विदेश जाने के कारण वह बच्चों को अधिक समय नही दे पाती हैं लेकिन जब भी घर आती है तो बच्चों को पूरा प्यार देती हैं।

उनकी शादी के लिए घरवाले खिलाफ थे क्योंकि उन्हें लगता था कि शादी के बाद वह घर पर बैठ जाएगी साथ ही समाज क्या कहेगा लेकिन शादी के बाद एकदम इसका उल्टा हुआ। शादी के बाद उन्होंने शादी के बाद ही 2005 में रूस में आयोजित हुए विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर सबको गलत साबित कर दिया। शादी के बाद उनके पति ने हमेशा न केवल उनका साथ दिया बल्कि ट्रेनिंग का भी हिस्सा बनते थे। उनकी ट्रेनिंग के दौरान वह नौकरी पर भी जाते व घर का भी ध्यान रखते थे।
उपलब्धियां
इंटरनेश्नल स्तर पर 7 मेडल जीतने के साथ उन्होंने कई अन्य पुरस्कार भी हासिल किए। 2003 में अर्जुन पुरस्कार, 2006 में पद्मश्री पुरस्कार, 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न, 2013 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। तीन बच्चों की मां ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और पोलैंड में हुए ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट में भी गोल्ड मेडल जीता था। ओलंपिक गेम्स 2012 में ब्रॉन्ज, बुल्गारिया में हुए Strandja मेमोरियल में सिल्वर मेडल, 2001 में हुए महिला वर्ल्ड चैंपियनशिप के पहले संस्करण में सिल्वर मेडल हासिल किया था।


