हर साल Cervical Cancer ले रहा है लाखों लोगों की जान, लिस्ट में भारत सबसे आगे
punjabkesari.in Thursday, Dec 15, 2022 - 11:29 AM (IST)
कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं। यह कई तरह का होता है जिसमें से एक है सर्वाइकल कैंसर। सर्वाइकल कैंसर के कारण भी मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। हाल में हुई शोध के अनुसार, 58% से ज्यादा केस एशिया में पाए गए हैं जिसमें से भारत में 21% और चीन में 18% केस का आंकड़ा बड़ा है। लैंसट स्टडी(Lancet Study) के अनुसार, 40% में होने वाली मौतों में से 23% भारत और चीन में सर्वाइकल कैंसर के कारण हुई हैं। इसके अलावा लैंसट स्टडी के अनुसार, अफ्रीका और एशिया में (20%), यूरोप(10%) और लेटिन अमेरिका में(10%) जिनमें से आधे से ज्यादा मौते एशिया में से थी। इसके अलावा सर्वाइकल कैंसर के कारण अफ्रीका (22%) और लेटिन अमेरिका में (9%)मौतें हुई थी।
2022 में रहा था यह आंकड़ा
वहीं 2022 में वैश्विक स्तर पर 600,000 नए सर्वाइकल कैंसर के केस आए थे जिनमें से 340,000 लोगों की मौत हो गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 4 थ्रेशोल्ड प्रति 100,000 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर पाया गया था, जिसके बाद इस बीमारी को पब्लिक हैल्थ प्रॉब्लम के रुप में बताया गया था। इन आंकड़ों के अनुसार, चीन में (100,000 महिलाओं प्रति 10.7), भारत में (18.0 केस), इंडोनेशिया(24.4 केस), रशिया (14.1 केस) और ब्राजील में (12.7)केस पाए गए थे। इन आंकड़ों के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2030 में थ्रेशोल्ड का यह आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता है यदि लोगों को बीमारी के प्रति उजागर न किया गया, एचपीवी वैक्सीन और इलाज के और अच्छे इंतजाम नहीं किए गए।
बढ़ सकता है आंकड़ा
2020 में सर्वाइकल कैंसर के केस 13 में से एक 100,000 महिलाओं के पूरे साल में से थे। इसके अलावा इन 100,000 महिलाओं में से केवल 7 की मौत हुई थी। इंसीडेंट रेट्स 172 में से 185 देशों का हर चौथे केस में से 100,000 महिलाओं का बढ़ गया है। इसके अलावा अगर साल 1988 से 2017 के आंकड़ों पर नजर डालें तो उस दौरान स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार, लेटिन अमेरिकन राज्य जिनमें ब्राजिल, कॉल्मबिया और कोस्टा रिचा में पाए गए थे। ऐसा ही कुछ हाल एशिया, भारत, थाइलैंड और साउथ कोरिया, इस्टर्न यूरोप के पौलेंड, स्लोवेनिया और कीजीचिया में थे। लेकिन इस्टर्न यूरोप के लटाविया, लिथुनिया, बलगरिया और इस्टर्न अफ्रीका, नीदरलैंड और इटली में भी बढ़े हैं।
इस्टर्न यूरोप में भी बढ़े केस
लगातार बढ़ते निम्न और मध्य आय वाले देशों में बढ़ते इस आंकड़े ने इस्टर्न यूरोप और सब साहारन अफ्रीका में भी समस्या बढ़ा दी है। 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के रुप में सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन में तेजी लाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य 2030 तक हर देश में प्रति वर्ष प्रति 100,000 महिलाओं पर चार मामलों की सीमा से नीचे की घटनाओं पर काम करता है। यह अध्ययन गर्भाश्य ग्रीवा के कैंसर की दरों में प्रगति को ट्रैक करता है और उन देशों और क्षेत्रों की पहचान भी करता है जहां प्रयासों को विश्व स्वास्थ्य संगठन लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए स्केलिंग की जरुरत होती है।
एचपीवी टीकाकरण और स्क्रीनिंग तकनीकों के जरिए रोका जा सकता है रोग
देशों के बीच दरों में काफी भिन्नता है। सर्वाइकस कैंसर के मामले में 40 गुणा अंतर और मौतों में 50 गुणा अंतर के साथ यह आगे बढ़ रहा है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी)/डब्ल्यूएचओ, फ्रांस के दीपेंद्र सिंह के अनुसार, एचपीवी टीकाकरण और स्क्रीनिंग तकनीकों का अर्थ यह है कि हम सर्वाइकल कैंसर को काफी हद तक रोक सकते हैं।