बार-बार आते Negative विचारों से परेशान हैं? तो सदगुरू की ये बातें ध्यान से सुनें, यहां हो रही गलती

punjabkesari.in Wednesday, Aug 20, 2025 - 07:27 PM (IST)

नारी डेस्क : आज के समय में मानसिक शांति बनाए रखना अपने आप में एक चुनौती बन गया है। भागदौड़ भरी जिंदगी, काम का दबाव, रिश्तों में खटास, और भविष्य को लेकर चिंताएं। ये सब मिलकर हमारे मन में नकारात्मक विचारों को जन्म देते हैं। जब ये विचार बार-बार हमारे दिमाग में आने लगते हैं, तो हम खुद को कमजोर, तनावग्रस्त और असहाय महसूस करने लगते हैं। लेकिन क्या वाकई नकारात्मक सोच से छुटकारा पाना इतना मुश्किल है? सद्‌गुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार, इसका हल हमारे ही भीतर है। बस हमें अपने विचारों को समझने और संभालने की सही दिशा चाहिए।

विचार क्या होते हैं और क्यों आते हैं?

हमारा मन दिन-रात विचारों से भरा रहता है। हर पल कोई न कोई बात हमारे दिमाग में चलती रहती है। कभी भविष्य की चिंता, कभी अतीत की गलती, कभी किसी से तुलना, तो कभी खुद पर गुस्सा। ये विचार दो तरह के होते हैं।

विचार दो प्रकार के होते हैं : सकारात्मक और नकारात्मक। सकारात्मक विचार वे होते हैं जो हमें प्रेरणा देते हैं, आत्मविश्वास बढ़ाते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं। वहीं, नकारात्मक विचार ऐसे होते हैं जो हमारे भीतर डर, चिंता और असुरक्षा को जन्म देते हैं। ये विचार हमें मानसिक रूप से कमजोर कर देते हैं और जीवन की दिशा को भ्रमित कर सकते हैं। आमतौर पर देखा गया है कि अधिकतर लोग सकारात्मक की बजाय नकारात्मक सोच में ज्यादा उलझे रहते हैं। इसका कारण यह है कि मन स्वाभाविक रूप से उस ओर अधिक आकर्षित होता है जहां डर, असुरक्षा या असफलता का डर होता है। साथ ही, समाज, मीडिया और व्यक्तिगत अनुभव भी इस सोच को और मजबूत बना देते हैं। यही वजह है कि नकारात्मक विचारों से निकल पाना कई बार चुनौतीपूर्ण बन जाता है।

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नकारात्मक सोच क्यों हावी हो जाती है?

हमारा ध्यान ज्यादा उसी पर रहता है जो गलत हो रहा है।

हम अपने अनुभवों और समाज की धारणाओं से प्रभावित होते हैं।

हमने खुद को पीड़ित मानने की आदत बना ली है।

मन की गति बहुत तेज होती है और उसे शांत करना कठिन लगता है।

नकारात्मक विचारों को कैसे देखें?

सद्‌गुरु के अनुसार, “विचार, सिर्फ विचार होता है। न तो वह अच्छा होता है और न बुरा।” हम ही उसे लेबल लगाते हैं कि यह ‘नकारात्मक’ है या ‘सकारात्मक’। असल में, हर विचार बस मन का एक खेल है।

1. नकारात्मक को नकारात्मक मत मानो

जब आप किसी विचार को बार-बार "गलत" या "खराब" कहते हैं, तो आप उसे और मजबूत बना देते हैं। आपका मन उसी पर बार-बार लौटता है क्योंकि आपने उसे विशेष महत्व दे दिया है।

2. विचार इसलिए आते हैं क्योंकि आप उन्हें पसंद करते हैं

सद्‌गुरु कहते हैं, "आप सोचते हैं कि आप इन विचारों से छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन हकीकत ये है कि आप उन्हें भीतर ही भीतर पोषित कर रहे हैं।"

उदाहरण: अगर कोई बार-बार किसी से बदला लेने की सोचता है, तो असल में वह उस भावना को छोड़ना नहीं चाहता। वह उसे दोहराता है, जीता है और फिर दुखी होता है।

3. विचारों से लड़ो मत, उन्हें बहने दो

सद्‌गुरु कहते हैं, “मन के विचारों को रोकना ऐसा है जैसे नदी के बहाव को हाथों से रोकना।” जितना आप रोकने की कोशिश करेंगे, उतना ही वह तेज बहेगा। इसके बजाय, उसे आने दें, देखें, समझें लेकिन खुद को उससे जोड़ें नहीं।

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भोजन और विचारों का गहरा संबंध

बहुत कम लोग जानते हैं कि आप जो खाते हैं, वही आप सोचते हैं। अगर आप भारी, असंतुलित और अशुद्ध भोजन खाते हैं, तो वह आपके मन को भी अस्थिर कर देता है। इस लिए सात्विक भोजन लें, ताजे फल, हरी सब्जियां, हल्का और शुद्ध खाना खाएं, ज्यादा तला-भुना, मांसाहार, या प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें। भोजन के समय शांत रहें, मोबाइल या टीवी न देखें।

मन को स्थिर करने के उपाय

1. ध्यान (Meditation)

ध्यान करना मन की शांति के लिए एक प्रभावशाली अभ्यास है। रोजाना केवल 10–15 मिनट ध्यान करने से विचारों की गति धीमी होती है और उन पर नियंत्रण आने लगता है। ध्यान की मदद से आप अपने विचारों को बाहर से देख सकते हैं, बिना उनसे भावनात्मक रूप से जुड़े जिससे भीतर शांति और स्पष्टता बनी रहती है।

2. श्वास पर ध्यान देना

श्वास पर ध्यान केंद्रित करना मन को शांत करने का एक सरल लेकिन प्रभावशाली तरीका है। सद्‌गुरु कहते हैं कि जब आप अपनी सांसों को गहराई से महसूस करते हैं, तो विचारों का प्रभाव अपने आप कम होने लगता है। यह एक प्रभावशाली योगिक तकनीक है, जो मानसिक स्पष्टता और आंतरिक शांति लाने में मदद करती है।

3. प्राकृतिक वातावरण में समय बिताएं

प्राकृतिक वातावरण में समय बिताना मानसिक शांति के लिए बेहद फायदेमंद होता है। पेड़ों के बीच चलना, खुली हवा में गहरी सांस लेना और प्रकृति की सुंदरता को महसूस करना तनाव को कम करता है। इससे न केवल मन शांत होता है, बल्कि विचारों को भी एक नई और सकारात्मक दिशा मिलती है।

4. स्वस्थ दिनचर्या बनाएं

स्वस्थ और संतुलित जीवन के लिए एक अच्छी दिनचर्या का होना बेहद जरूरी है। समय पर सोना और जागना, रोजाना व्यायाम या योग करना न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को भी शांत करता है। साथ ही, मोबाइल और सोशल मीडिया से कुछ समय के लिए दूरी बनाना मानसिक तनाव को कम करता है और आपको अपने भीतर झांकने का अवसर देता है।

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आपकी शक्ति आपके भीतर है

आपकी असली शक्ति आपके भीतर छिपी होती है। सद्‌गुरु कहते हैं, "अगर आप अपने मन के मालिक नहीं हैं, तो आप जीवन में कभी आजाद नहीं हो सकते।" इसका मतलब है कि जब आप अपने विचारों से परेशान होते हैं, तो समाधान बाहर नहीं, बल्कि अंदर खोजना चाहिए। ध्यान, संतुलित भोजन, सकारात्मक सोच और जागरूकता के जरिए आप अपने मन पर नियंत्रण पा सकते हैं और एक शांत, संतुलित जीवन जी सकते हैं।

नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है, लेकिन उनसे डरना या उन्हें दबाना सही तरीका नहीं।
सद्‌गुरु के अनुसार, विचार को केवल विचार की तरह देखें। उस पर लेबल न लगाएं।
भोजन, ध्यान, सांस और दिनचर्या से आप अपने मन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।
सबसे ज़रूरी बात आप अपने मन के मालिक बनें, उसका गुलाम नहीं।
 


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Content Writer

Vandana

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