शिव-पार्वती से जुड़ा होता है हरतालिका का व्रत, जानिए पौराणिक कथा

punjabkesari.in Tuesday, Aug 30, 2022 - 04:14 PM (IST)

हरतालिका तीज का व्रत आज सारे भारत में मनाया जा रहा है। यह व्रत पूर्ण रुप में मां पार्वती और भगवान शिव को अर्पित होता है। इस व्रत और कठोर तपस्या के साथ मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त किया था। व्रत कथा में इसका जिक्र भी किया गया है। यह व्रत भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष की हस्त नक्षत्र की सयुंक्त तृतीया तिथि को किया जाता है। इसे हरतालिका तीज, कजरी तीज भी कहा जाता है। इस व्रत को भी करना किसी तपस्या से कम नहीं होता। क्योंकि न इस व्रत में कुछ खाया जाता है न ही पानी पीया जाता है। अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है। आप व्रत के दिन शाम को कथा पढ़कर फल खा सकते हैं...

मां पावर्ती और शिव को समर्पित होता है हरतालिका का व्रत 

यह व्रत मां पार्वती और भगवान शिव को समर्पित होता है। व्रत की कथा सुनने का भी खास महत्व होता है। शाम को पूजा करके कथा की जाती है। इसके बाद रात को जागरण भी किया जाता है। व्रत में मिट्टी के शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। मां पार्वती को बांस की डलिया में डालकर सुहाग का सामान भी चढ़ाया जाता है। तीनों देवताओं को वस्त्र चढ़ाने के बाद हरतालिका तीज व्रत की कथा की जाती है। 

PunjabKesari

हरतालिका तीज की कथा 

हरतालिका तीज की कथा के मुताबिक, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए बहुत ही कठोर तपस्या की थी। मां पार्वती का बचपने से ही भगवान शिव के साथ बहुत ही अटूट प्रेम था। कई जन्मों से मां पार्वती भगवान शिव को पति के रुप में पाना चाहती थी। भगवान शिव को पाने के लिए उन्होंने हिमालय पर्वत के गंगा किनारे पर बचपन से ही कठोर तपस्या शुरु कर दी थी। माता पावर्ती ने इस तप के दौरान अन्न और जल का भी त्याग कर दिया था। वह खाने में सिर्फ सूखे पत्ते खाया करती थी। मां पार्वती की यह हालत देखकर उनके पिता भी बहुत ही दुखी हो गए थे। एक दिन देवऋषि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती के विवाह का प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास आए। माता पार्वती के माता-पिता उनके इस प्रस्ताव से काफी प्रसन्न भी हुए थे। इसके बाद उन्होंने यह प्रस्ताव मां पार्वती को भी बताया था। माता पार्वती समाचार सुनकर बहुत दुखी हुई क्योंकि वह अपने मन में भगवान शिव को ही अपना पति मान चुकी थी। माता पार्वती ने अपनी यह समस्या अपनी सखी को बताई। जिसके बाद मां पार्वती ने शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। 

सखी की सलाह से मां पार्वती ने की भगवान शिव की अराधना

पार्वती जी ने यह सारी बातें अपनी सखी को बताई। पार्वती जी ने अपनी सखी को यह भी बताया कि वह मन में भोलेनाथ को अपना पति मान चुकी हैं। सखी की सलाह से पार्वती जी ने घने जंगल में एक गुणा में भगवान शिव की अराधना की थी। भाद्रपद महीने की तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजा की और सारी रात जगराता भी किया। पार्वती जी के इस कठोर तप को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उन्हें पत्नी के रुप में स्वीकार किया था। 

PunjabKesari

 वैवाहिक औरतें सुहाग की लंबी उम्र के लिए रखती हैं व्रत 

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, जैसे कठोर तपस्या के साथ मां पार्वती जी ने भगवान शिव को पाया था। वैसे ही हरितालिका तीज का व्रत करने से सभी महिलाएं सुहाग की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन को खुश रखने के लिए यह व्रत करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत को पूरे श्रद्धाभाव के साथ करती हैं। उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। 

PunjabKesari
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

palak

Related News

static