पति ने ही तेजाब डाल कर बिगाड़ दिया था चेहरा, फिर भी नहीं टूटी मीना सोनी की हिम्मत

punjabkesari.in Tuesday, Mar 23, 2021 - 01:22 PM (IST)

पति और पत्नी का रिश्ता बहुत खास होता है। जिंदगी में अगर कोई भी कठिनाई आए तो पति पत्नी ही एक दूसरे का सहारा बनते हैं। दो जिस्म एक जान यही परिभाषा देते हैं न पति और पत्नी के रिश्ते की? लेकिन उस समय क्या किया जाए जब पति ही पत्नी का कातिल बन जाए? आज हम आपको जिस महिला की कहानी बताने जा रहे हैं उनके साथ जो हुआ और किस तरह उनकी जिंदगी बर्बाद हुई इन सब के पीछे पूरी तरह से उनके पति का हाथ था लेकिन वो हारी नहीं उनके पति को शक था कि उनका अफेयर चल रहा है। 

एसिड अटैक सर्वाइवर मीना सोनी

हम जिस महिला की बात कर रहे हैं उनका नाम मीना सोनी है। मीना सोनी ने शायद अपनी जिंदगी में कभी इस बारे में नहीं सोचा होगा कि उनकी जान के पीछे का कातिल उनका पति बन जाएगा। समय जरूर मुश्किल था। दर्द भरा था लेकिन मीना भी हार मानने वालों में से कहां थी? वह हारी नहीं। चाहे वह तेजाब से 75 प्रतिशत झुलस चुकी थीं लेकिन उन्होंने जीने की इच्छा नहीं छोड़ी।

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महज 16 साल की उम्र में हुई शादी

मीना सोनी ने अपनी 10वीं की पढ़ाई अभी खत्म की ही थी कि घर वालों ने उनकी शादी करवा दी। वह तब महज 16 साल की थीं। मीना के पति सुनारी का काम करते थे लेकिन शादी के बाद उनके पति ने काम करना छोड़ दिया। 2 बेटियों की मां मीना के लिए यह समय भी बेहद मुश्किल था क्योंकि उनके पति ने भी काम करना बंद कर दिया था ऐसे में वह अपनी बेटियों की परविर कैसे करती। इसके लिए उन्होंने काम करना शुरू किया।

घर से बाहर जाने के लिए पति लगाता था रोक

खबरों की मानें तो मीना के पति पहले तो बीमार थे जिसके कारण वह काम नहीं कर पाते थे और वह पत्नी के पैसे पर ही जीते थे। लेकिन धीरे धीरे मीना के पति को इन सब की आदत पड़ गई। हालात इतने खराब होने लगे कि मीना का पति उसे ही बाहर नहीं जाने देता था सिर्फ इसलिए कि वह सुंदर थी लेकिन मीना ने कभी भी पति की इस जिद्द को पूरा नहीं किया। वह बाहर जाती और काम करती।

एक हाथ में छोटी बेटी और दूसरे हाथ से करती थी काम

मीना के लिए यह समय काफी मुश्किलों भरा था। वह एक हाथ में अपनी छोटी बेटी को लेकर जाती तो वहीं दूसरी बेटी को पति के पास छोड़ जाती। ऐसा करना उनके लिए बेहद मुश्किल था। फिर एक बाद उनका पति वापिस आया और उसने मीना को फिर से एक साथ रहने के लिए कहा इसके लिए मीना मान गईं लेकिन अलग घर में रहने के लिए।

फिर से शुरू हो गए पति के साथ मन मुटाव

मीना सोनी पेशे से रिपोर्टर थी और लोग उन्हें इस काम के लिए जानते थे। पति के साथ मीना ने रहना तो शुरू किया लेकिन देखते ही देखते मन मुटाव फिर से बढ़ने लगे। उस समय मीना को बेटा भी हुआ था ऐसे में घर के काम करना, बच्चों को संभालना और बाहर जॉब करना उनके लिए काफी मुश्किल था। इस बीच पति ने उनसे फिर यही जिद्द की कि वह काम पर नहीं जाएंगी मीना की मानें तो अगर वह ऐसा करती तो उनका घर परिवार कैसे चलता? उनके बच्चे भूखे मर जाते।

साल 2004 का वो दिन जब पूरी तरह बदल गई मीना की जिंदगी

साल 2004 दोपहर का समय और वो गर्मियों के दिन। मीना सो रही थी। वो इस बात से पूरी तरह अनजान थी कि आगे जो उनके साथ होने जा रहा है उनसे उनकी जिंदगी कैसे बदल जाएगी। वह सो रही थीं और उनके बच्चे बाहर खेल रहे थे कि इतने में मीना का पति आया और उसने मीना के चेहरे पर तेजाब फंक दिया। वो अचानक से उठी। वो दर्द  इतना ज्यादा था कि आज भी वो दिन याद कर उनकी राह कांप उठती है।

इस हालत में अकेले ही पुहंची अस्पताल

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एसिड अटैक के बाद उनके पति तो भाग गए लेकिन दर्द में मीना इधर उधर भटतकी रही लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वह अकेले ही अस्पताल पहुंची।  

जब पता लगा पति ने कर ली आत्महत्या

मीना पर तेजाब फेंकने के बाद जब वह अपना ट्रीटमेंट करवा रही थीं तो उन्हें पता चला कि उनके पति ने आत्महत्या कर ली है। मीना की मानें तो वह रोई नहीं क्योंकि उसी के कारण उनकी जिंदगी इस मुक्काम पर पहुंची। मीना का चेहरा-हाथ बुरी तरह से झुलस चुके थे और एक-दूसरे से जुड़ गए थे। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत से काम लिया।

2 साल तक बच्चों से रही दूर

धीरे-धीरे घाव भरने लगे और वह वापिस आईं लेकिन इस बीच वह अपने ही बच्चों से तकरीबन 2 साल तक दूर रहीं। उन्हें इसी बात की चिंता थी कि कहीं उनके बच्चे उन्हें देखकर डरे ना और उनसे दूर न भागे।

जिंदगी की हुई नई शुरूआत

इसके बाद मीना वापिस लखनऊ आई और अपनी जिंदगी जीना शुरू की। आज वह अपने जैसी महिलाओं के लिए किसी से मिसाल से कम नहीं है। वह जेल को-ऑर्डिनेटर का काम देख रही हैं। साथ ही उनके बच्चे भी आज अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

आज जिंदगी से नहीं है कोई शिकायत

मीना ने जिंदगी में इतना कुछ फेस किया लेकिन आज उन्हें किसी भी बात का गम नहीं है। वह कहती हैं कि मेरे पति ने जो मेरे साथ किया उसकी सजा उसे मिली। वह खुद को बहुत खुशनसीब मानती हैं तो वह बच गईं।

बेटियों की बनी हिम्मत

आज मीना न सिर्फ अपने काम के कारण जानी जाती है बल्कि वह पहले से अच्छी जिंदगी जी रही है। अपने बच्चों को पाल रही है। वह कहती हैं कि उनका एक सपना है कि वह अपनी बेटियों को हिम्मती बनाएं। वह उनकी शादी तब ही करेंगी जब वह अपने पैरों पर खड़ी हो जाएंगी।

वाकई आज समाज में ऐसी कितनी ही छोटी छोटी लड़कियां हैं जिनके घरवाले उनकी शादी महज 15 से 16 उम्र में कर देते हैं। ऐसे करके आप न सिर्फ उसकी आजादी छीन रहे हैं बल्कि उसके सपनों के पंखों को भी जला रहे हैं। एक बेटी को भी हक है कि वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने और कुछ करने के सपने देख सके।


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Content Writer

Janvi Bithal

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