जर्ना गर्ग की कहानी: अरेंज मैरिज से बचने के लिए छोड़ा भारत, अमेरिका में आकर गन गई मशहूर कॉमेडियन
punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 05:17 PM (IST)

जर्ना गर्ग एक भारतीय मूल की अमेरिकी महिला हैं, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के तमाम संघर्षों को पार करते हुए "स्टे-एट-होम मॉम" (घर संभालने वाली मां) से स्टैंड-अप कॉमेडियन बनने तक का अनोखा सफर तय किया। वे अपने मज़ाकिया अंदाज़, "आंटी ज़र्ना" के किरदार, और पारिवारिक अनुभवों पर आधारित कॉमेडी के लिए दुनियाभर में जानी जाती हैं। आज हम आपको बताते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी के बारे में विस्तार से।

बचपन और संघर्ष
ज़र्ना का जन्म भारत के मुंबई में हुआ था। किशोर अवस्था में उन्होंने एक जबरन तय की गई शादी (arranged marriage) को अस्वीकार कर दिया और भारत छोड़ दिया। उनकी मां का निधन हो चुका था, और वह अकेले ही अमेरिका चली गईं। ज़र्ना गर्ग ने एक बार कहा था कि- "मैंने तय किया कि मैं उस ज़िंदगी को नहीं जी सकती जिसे मेरे लिए किसी और ने तय किया हो।"
अमेरिका में नई शुरुआत
अमेरिका पहुंचने के बाद ज़र्ना ने एक इमिग्रेशन लॉयर (प्रवासी मामलों की वकील) से शादी की और एक बेटे की मां बनीं। लगभग 16 सालों तक वो एक घरेलू मां रहीं। लेकिन एक दिन उन्होंने खुद से पूछा- “मेरे सपने क्या हैं?” यहीं से शुरू हुई उनकी कॉमेडी की यात्रा। ज़र्ना ने 40 साल की उम्र के बाद स्टैंड-अप कॉमेडी करना शुरू किया। उन्होंने इंडियन आंटीज़ के मजेदार किस्से, मां-बेटे के संवाद, शादी-ब्याहऔर कल्चरल गैप को अपने ह्यूमर का हिस्सा बनाया। उनका सिग्नेचर स्टाइल "Aunty Zarna"आज सोशल मीडिया पर काफी मशहूर है।
उपलब्धियां
ज़र्ना ने "This American Life", Amazon Prime Special और कई बड़े स्टेज शो में परफॉर्म किया। Zarna Garg को NBC Comedy Showcase Winner और Top Emerging Comedians में शामिल किया गया। उनकी कहानियां भारतीय डायस्पोरा, खासकर महिलाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक हैं। ज़र्ना ने एक इंटरव्यू में कहा था-"मैं एक मुस्लिम लड़की थी, जो अमेरिका में एक हिंदू लड़के से शादी कर चुकी थी, और अब एक कॉमेडियन हूंमैंने हर दायरा तोड़ दिया।"
प्रेरणा क्यों हैं ज़र्ना गर्ग?
उन्होंने साबित किया कि उम्र, पृष्ठभूमि या सामाजिक भूमिका किसी के सपनों को रोक नहीं सकती। एक मां होते हुए भी उन्होंने अपने जुनून को अपनाया और दुनिया को हंसाने का ज़रिया बनीं। ज़र्ना उन लाखों महिलाओं की प्रतीक बन गई हैं जो परंपरा और दबाव के बीच अपनी पहचान तलाश रही हैं।