केमिकल वाले केले की पहचान कैसे करें? घर पर ही ऐसे पहचानें

punjabkesari.in Sunday, Dec 07, 2025 - 12:09 PM (IST)

नारी डेस्क: बाजार में मिलने वाले फलों में मिलावट और केमिकल का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है। खासकर केले, जिन्हें जल्दी पकाने के लिए कार्बाइड या एथिलीन गैस का उपयोग किया जाता है। ऐसे केले दिखने में तो ताजे और चमकदार लगते हैं, लेकिन सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं। इनसे शरीर में जहरीले रसायन जा सकते हैं, जिससे पेट खराब, सिरदर्द, उल्टी, चक्कर, सांस लेने में दिक्कत और लंबे समय में गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए जरूरी है कि आप केमिकल से पके केले की पहचान करना सीखें, ताकि परिवार की सेहत सुरक्षित रहे। यहां जानिए तीन बेहद आसान लेकिन भरोसेमंद तरीके।

केले का रंग और चमक देखकर पहचानें

अगर केले बहुत ज्यादा पीले, चिकने और असामान्य रूप से चमकदार दिखते हैं, तो समझ लीजिए कि यह नैचुरल तरीके से नहीं पके हैं। कार्बाइड से पके केले का रंग एक जैसा होता है पूरी तरह पीलापन और हल्का सुनहरा। जबकि प्राकृतिक रूप से पकने वाले केले का रंग थोड़ा-थोड़ा अलग होता है, यानी कहीं हल्का, कहीं गहरा पीला। इसके अलावा नैचुरल केले की सतह थोड़ी खुरदरी और धब्बेदार होती है। उनमें हल्के भूरे धब्बे दिखना सामान्य है। अगर केले हाथ में लेते ही बहुत मुलायम हो जाएं या छिलका दबाने पर फिसलन महसूस हो, तो समझ लें कि वह केमिकल से जल्दी पकाए गए हैं।

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केले के सिरे (डंठल) को ध्यान से देखें

केमिकल से पके केले का सबसे बड़ा संकेत उसका डंठल यानी ऊपर का हिस्सा होता है। अगर पूरे केले का पीला रंग एक जैसा है, लेकिन डंठल काला, सूखा और सिकुड़ा हुआ है, तो यह लगभग तय है कि उस पर कार्बाइड या एथिलीन का इस्तेमाल हुआ है। प्राकृतिक रूप से पके केले में डंठल हल्का हरा या हल्का पीला रहता है और उसमें थोड़ी नमी दिखती है। वह पूरी तरह काला या सड़ा हुआ नहीं होता। इसके अलावा रसायन से पकाए गए केले का छिलका पतला और जल्दी फटने वाला होता है, जबकि नैचुरल केले का छिलका थोड़ा मोटा और मजबूत रहता है।

केले की स्मेल और स्वाद से पहचानें

केमिकल से पकाए हुए केले की खुशबू हल्की, कृत्रिम और कभी-कभी बिल्कुल न के बराबर होती है। वहीं नैचुरल केले में एक मीठी, ताजी और तेज सुगंध आती है। स्वाद में भी फर्क साफ महसूस होता है रसायन वाले केले अंदर से कच्चे, बेस्वाद या हल्का कड़वाहट लिए हुए होते हैं। कई बार बाहरी हिस्सा पीला दिखता है, लेकिन अंदर गूदा सख्त और सफेद होता है। अगर केले मुंह में जाते ही मुलायम होकर चिपचिपे लगें, तो यह भी तेजी से पकाने वाले केमिकल का संकेत है।

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सेहत बचाने के लिए क्या करें?

हमेशा थोड़े कच्चे, हरे और पीले मिक्स रंग वाले केले खरीदें। बहुत ज्यादा चमकदार या साबुत एक समान पीले केले बिल्कुल न लें। केले घर लाने के बाद 1–2 दिन सामान्य तापमान पर रखें, ताकि वे नैचुरली पकें। संभव हो तो विश्वसनीय दुकानदार या ऑर्गेनिक स्टोर से खरीदें।
  

 


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Content Editor

Priya Yadav

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