सूर्यग्रहण के साये में सोमवती अमावस्या, आज कुछ देर के लिए दिन में हो जाएगा अंधेरा
punjabkesari.in Monday, Apr 08, 2024 - 10:47 AM (IST)
साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण सोमवार यानी कि आज लगने जा रहा है। साल के पहले और 21वीं सदी के सबसे लंबे सूर्य ग्रहण को बेहद ही खास माना जा रहा है, इस दौरान कुछ समय के लिए अंधेरा हो जाएगा। हालांकि भारत में यह नहीं दिखेगा लेकिन मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा के बीच 185 किलोमीटर की दूरी में दिखेगा। इस दौरान उत्तरी अटलांटिक से लगे क्षेत्र में कुछ समय के लिए दिन में ही अंधेरा छा जाएगा।
50 साल बाद लगेगा सबसे लंबा सूर्य ग्रहण
इससे पहले 50 साल पहले इतना लंबा सूर्य ग्रहण देखा गया था।ये अमेरिका के 18 अलग-अलग राज्यों में भी देखने को मिलेगा, इसके लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने खास तैयारी कर रखी है। भारतीय समय के अनुसार सूर्य ग्रहण सोमवार की रात 9 बजकर 12 मिनट में शुरू होगा और ये मंगलवार की रात 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस दौरान हमारे सौर मंडल के कई ग्रह और धूमकेतु नंगी आंखों से देखे जा सकेंगे।
क्या होता है सूर्य ग्रहण
भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की। कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है।
आज स्नान करना होता है शुभ
सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगने से इसका महत्व और बढ़ गया है। ज्योतिष के मुताबिक सूर्य ग्रहण हर अमावस्या पर नहीं लगती है लेकिन जब भी सूर्य पर ग्रहण लगता है उस दिन अमावस्या जरूर होती है। ज्योतिषियों का कहना है कि चंद्रमा और सूर्य के संबंध के बिना कोई भी ग्रहण नहीं हो सकता। अमावस्या वह दिन है जब सूर्य और चंद्रमा एक ही डिग्री पर आते हैं। सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद भी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान किया गया दान राहु, केतु और शनि के गलत प्रभावों को भी सही करता है।
तीन प्रकार का होता है ग्रहण
पूर्ण सूर्य ग्रहण: पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण: आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।।
वलयाकार सूर्य ग्रहण: वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।