Janmashtami के मौके पर कान्हा जी का चाहिए आशीर्वाद तो जरूर करें इन 5 मंदिरों के दर्शन
punjabkesari.in Thursday, Aug 31, 2023 - 04:49 PM (IST)
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन Janmashtami का त्योहार मनाया जाता है। इस बार ये पावन पर्व 6 और 7 सिंतबर को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की उपसाना का विशेष महत्व है। वहीं देश में श्री कृष्ण के कई सारे मंदिर हैं जिनकी अगर इस मौके पर आप दर्शन भर कर लो तो सारे दुख दूर हो जाएंगे। तो इस Janmashtami में इन 5 मदिंरों के दर्शन कर इस त्योहार को मनाएं...
मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मंदिर
धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में स्थित है। भागवत पुराण के मुताबिक श्री कृष्ण जी का जन्म अपने मामा कंस की कारागार में हुआ था और उसी जगह पर आज मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का बहुत बड़ा मंदिर बनाया गया है।
गोकुल का मंदिर
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म हालांकि मथुरा में हुआ था, लेकिन बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना जैसी जगहों पर बीता था। बता दें कि मथुरा से गोकुल 15 किलोमीटर ही दूर है। गोकुल में चौरासी खम्भों का मंदिर, नंदेश्वर महादेव, मथुरा नाथ जैसे मंदिर बहुत फेमस है। ऐसे में अगर आप गोकुल की ओर जाते हैं, तो यहां एक बार दर्शन अवश्य करें।
वृंदावन का मंदिर
वृंदावन भी मथुरा के पास ही स्थित है। यहां रमण रेती पर बांके बिहारी का प्रसिद्ध मंदिर है। भगवत पुराण के अनुसार मथरा के वृंदावन में भगवान कृष्ण गोप, गोपियों के साथ गाय चराते, बांसुरी का मधुर तान पर रास रचाते थे। इतना ही नहीं, यहीं पर प्रसिद्ध प्रेम मंदिर और इस्कॉन मंदिर भी स्थित है। जहां, देशभर पर लोगों की भीड़ यहां भगवान के दर्शन को पहुंचते हैं। बता दें कि बृज क्षेत्र में गोवर्धन पर्वत भी स्थित है, जिसे भगवान ने अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था।
द्वारिका मंदिर
भागवत पुराण में बताया गया है कि जरासंध के कारण श्रीकृष्ण मथुरा छोड़कर गुजरात के समुद्री तट पर स्थित कुशस्थली नगरी आ गए थे, और यहां आकर उन्होंने द्वारिका नामक नगर की स्थापना कर दी। इस जगह का एक बड़ा हिस्सा आज भी समुद्र में डूबा हुआ है। बता दें कि गुजरात में श्री कृष्ण को द्वारकाधीश कहा जाता है। इसके अलावा गुजरात के दाकोर में रणछोड़राय मंदिर भी जग प्रसिद्ध है।
श्रीकृष्ण निर्वाण स्थल
गुजरात में प्रभास नामक क्षेत्र में स्थित भगवान कृष्ण का निर्वाण स्थल मंदिर है, जो कि लोगों में जग विख्यात है। पौराणिक कथा के अनुसार यदुवंशियों ने आपस में ही लड़ाई करके अपने कुल का अंत कर दिया। भागवत कथा के अनुसार भगवान कृष्ण इस जगह पर चिंता में लेटे थे कि उनके पीताम्बर को हिरण समझ कर एक बहेलिए ने बाण चला दिया। इसी जगह पर पैर में लगे बाण का बहाना बना कर इस जगह पर प्राण त्याग दिए।