पूर्वजों के लिए खोलना है बैकुंठ का द्वार, तो श्राद्ध में तिल का जरूर करें दान
punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 06:52 PM (IST)

नारी डेस्क: श्राद्ध एक हिंदू अनुष्ठान है जो पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किया जाता है। इसमें पितरों को पिण्डदान (भोजन अर्पित करना) और तर्पण (जल अर्पित करना) शामिल होता है। श्राद्ध जो श्रद्धा शब्द से बना है, पितृपक्ष के दौरान या किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि पर किया जाता है। पितरों को तृप्त करने के लिए काले तिल, अक्षत् मिश्रित गंगा जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहा जाता है। तर्पण में काला तिल और कुश का बहुत महत्व होता है।
पितरों के तर्पण में तिल, चावल, जौ का महत्त्व
शास्त्रों में वर्णित विधि विधान का ना केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी हैं। पितृ पक्ष में किये जाने वाले अनुष्ठान भी ऐसे ही हैं लगभग सभी अवसरों पर किये जाने वाले हवन और तर्पण की सामग्रियां ना केवल वातावरण को शुद्ध करती हैं बल्कि स्वास्थ्य को भी पुष्ट करती हैं। पितरों के तर्पण में तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्त्व दिया जाता है। श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्त्व होता है। श्राद्ध के दौरान तर्पण करने वालों को पितृकर्म में काले तिल के साथ कुशा का उपयोग महत्वपूर्ण है।
बिना तिल अधूरा माना जाता है श्राद्ध
मान्यता है कि तर्पण के दौरान काले तिल से पिंडदान करने से मृतक को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसलिए श्राद्ध कार्य में इसका होना बहुत जरूरी होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि काला तिल भगवान विष्णु का प्रिय है और यह देव अन्न है। इसलिए पितरों को भी तिल प्रिय है। इसलिए काले तिल से ही श्राद्धकर्म करने का विधान है। अथर्ववेद के अनुसार तिल तीन प्रकार के श्वेत, भूरा और काला जो क्रमश देवता, ऋषि एवं पितरों को तृप्त करने वाला माना गया है। मान्यता है कि बिना तिल श्राद्ध किया जाए तो दुष्ट आत्माएं प्रभावी होकर ग्रहण कर लेती हैं।
काले तिल का दान करने से पुवर्ज देते हैं
अगर कोई व्यक्ति और कुछ दान न कर पाये तो कम से कम काले तिल जरूर दान करना चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन की मुश्किलें कम होने लगती हैं। माना जाता है कि काले तिल का दान करने से पूर्वज हमारी रक्षा करते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार माता के लिए नवमी और पिता के लिए अमावस्या को पिंडदान और तर्पण करना चाहिए । पित्रपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों के निधन की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है वैसे तो तिल चाहे सफेद हों या काले दोनों ही स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं मगर धार्मिक कार्यों मे काले तिल का ही उपयोग किया जाता है।