शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले जान ले जल अभिषेक करने का सही न‍ियम

punjabkesari.in Monday, Aug 11, 2025 - 11:07 AM (IST)

 नारी डेस्क: भगवान शिव को जल अर्पित करना हिंदू धर्म की सबसे सरल और प्रभावशाली उपासना विधियों में से एक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिकतर भक्त केवल शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ही रुक जाते हैं, जबकि सनातन धर्म में पूरी शिव परिवार की पूजा के साथ अभिषेक की संपूर्ण विधि बताई गई है? इस लेख में हम आपको बताएंगे शिवलिंग पर जल अभिषेक की सही और पारंपरिक विधि, जिससे आपकी भक्ति पूर्ण और फलदायी हो सके।

 शिवलिंग पर जल अभिषेक की पारंपरिक न‍ियम

 श्री गणेश को जल अर्पित करें (दाहिनी ओर)

शिव पूजन से पहले श्री गणेश जी की पूजा अनिवार्य मानी गई है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं। सबसे पहले शिवलिंग के दाहिने भाग में स्थित गणेश जी को जल चढ़ाएं। ध्यान करते हुए “ॐ गं गणपतये नमः” या गणेश गायत्री मंत्र का जाप करें।  यह चरण आपके पूजन को विघ्नों से मुक्त करता है और आगे की साधना में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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स्कंद कुमार (कार्तिकेय) को जल अर्पित करें (बाईं ओर)

गणेश जी के बाद पूजा करें शिव पुत्र भगवान कार्तिकेय (स्कंद कुमार) की, जो शिवलिंग के बाईं ओर विराजते हैं। उन्हें जल अर्पित करते हुए मंत्र जपें: “ॐ श्री स्कन्दाय नमः”  कार्तिकेय ज्ञान और विजय के देवता हैं, इनकी कृपा से साधक को आत्मबल और साहस की प्राप्ति होती है।

अशोक सुंदरी और माता पार्वती की पूजा करें (मध्य व आधार पर)

बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवलिंग के मध्य भाग में अशोक सुंदरी और आधार भाग में माता पार्वती का स्पर्शमुद्रा (हाथ) स्थित है। यहां जल अर्पण करते हुए मंत्र बोलें: “नमः श्री जगदंबिकायै नमः” यह चरण आपको मातृ शक्ति की कृपा दिलाता है और जीवन में सौंदर्य, समृद्धि और संतुलन लाता है।

अब शिवलिंग पर जल अर्पित करें (मुख्य अभिषेक)

अंत में भगवान शिव को जल अर्पित करें, जो इस पूरी साधना का केंद्र हैं। जल अर्पण करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 3, 7 या 11 बार जाप करें (जैसा आपकी श्रद्धा और समय हो)। यह पंचाक्षरी मंत्र शिव साधना का मूल है और आत्मिक शांति व शक्ति का स्रोत है।  इस चरण में आप शिव से साक्षात्कार करते हैं परम शून्यता, करुणा और अद्वैत के स्वरूप से।

 अन्य अभिषेक विकल्प

यह विधि जल के अलावा दूध, गन्ने का रस, शहद, दही, घी या बेलपत्र मिश्रित जल से भी की जा सकती है। हर सामग्री का अलग-अलग महत्व है, पर विधि वही रहनी चाहिए पूरे शिव परिवार के साथ महादेव की आराधना।

पूजा के लाभ

मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति

परिवार में प्रेम और एकता

रोग, भय और दुखों का नाश

आध्यात्मिक उन्नति और आत्मसाक्षात्कार

सच्ची भक्ति सिर्फ़ अर्पण में नहीं, विधि और भावना के समन्वय में होती है।

जब आप शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, तो यह केवल एक कर्म नहीं, बल्कि एक आत्मिक यात्रा है  जो गणेश से शुरू होकर शक्ति और शिव में समाहित होती है। इस बार जब भी आप शिवलिंग पर अभिषेक करें, तो इस पूर्ण विधि से शिव परिवार को स्मरण कर, अपने जीवन में शांति, शक्ति और शिवत्व का स्वागत करें।

हर हर महादेव!
  
 

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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