मां के हत्यारे बेटे को कोर्ट ने दी ये सजा कहा - मां ईश्वर के समान, हत्या माफी योग्य नहीं

punjabkesari.in Thursday, Jul 24, 2025 - 12:07 PM (IST)

 नारी डेस्क: श्योपुर से एक दर्दनाक मामला सामने आया है, जहां एक बेटे दीपक पचौरी ने अपनी मां की हत्या कर दी। कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर और अमानवीय अपराध माना और आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने साफ कहा कि मां का स्थान ईश्वर के समान होता है और उनकी हत्या कभी माफ नहीं की जा सकती।

हत्या की वजह थी संपत्ति की लालच

दीपक पचौरी ने अपनी मां उषा पचौरी की हत्या संपत्ति के लालच में की थी। उषा और उनके पति ने दीपक को अनाथालय से गोद लिया था। दीपक 25 साल का है और उसके पिता रिटायर्ड फॉरेस्ट कर्मचारी थे। पुलिस के अनुसार, दीपक को अच्छी पढ़ाई-लिखाई और परवरिश मिली, लेकिन फिर भी उसने इस संगीन अपराध को अंजाम दिया।

हत्या की वारदात का पूरा मामला

यह घटना 6 मई 2024 को हुई। उषा देवी बाथरूम की सीढ़ियों पर तुलसी के पौधे को पानी दे रही थीं, तभी दीपक ने पीछे से उन्हें धक्का दिया। इसके बाद उसने लोहे की रॉड से हमला किया और फिर साड़ी से गला घोंटकर उनकी हत्या कर दी। मृतका के शव को लाल कपड़े में लपेटकर बाथरूम की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया और फर्श को ईंटों से सील कर दिया। उस जगह पर बाद में कबाड़ भी रखा गया ताकि कोई शक न करे।

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गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस को हुआ शक

दो दिन बाद दीपक ने अपने मामा और रिश्तेदारों को फोन कर मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। लेकिन उसके बयान में कई चीजें सही नहीं लगीं, जिससे पुलिस को शक हुआ। पूछताछ के दौरान दीपक ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। बाद में बाथरूम से उषा देवी का शव बरामद हुआ।

दोषी को मिली सजा: मौत की सजा के साथ जेल और जुर्माना भी

विशेष न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने दीपक पचौरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत फांसी की सजा सुनाई। साथ ही धारा 201 के तहत सात साल की जेल और 1,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। कोर्ट ने इस अपराध को अमानवीय बताते हुए कहा कि दीपक किसी भी दया का हकदार नहीं है।

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हत्या से पहले भी कर चुका था मां को नुकसान पहुंचाने की कोशिश

पुलिस जांच में पता चला कि दीपक ने छह महीने पहले भी अपनी मां को मारने की कोशिश की थी। उसने मां के खाने में चूहे मारने की दवा मिलाई थी, लेकिन उषा देवी बच गई थीं। पिता की मौत के बाद बिगड़ी हालत, शेयर बाजार में भी लगा बड़ा घाटा

दीपक के पिता की 2021 में मौत हो गई थी। इसके बाद दीपक ने लगभग 16.85 लाख रुपये शेयर बाजार में गंवा दिए। पैसे खत्म होने के बाद वह घर वापस लौटा और मां से और पैसे मांगने लगा। पुलिस के मुताबिक, दीपक की नजर लगभग 1.5 करोड़ रुपए की संपत्ति पर थी, जिसमें 30 लाख की फिक्स्ड डिपॉजिट, 2 लाख नकद, 8 लाख के गहने और श्योपुर में दो मंजिला मकान शामिल थे।

UPSC की तैयारी के बीच ड्रग्स की लत ने बिगाड़ा जीवन

उषा देवी के भाई ने बताया कि दीपक पहले तो पढ़ाई में अच्छा था, उसने 12वीं में 94% अंक प्राप्त किए और दिल्ली में UPSC की कोचिंग भी ली थी। लेकिन बाद में वह ड्रग्स की लत और गलत संगत में फंस गया। हत्या से एक दिन पहले ही वह श्योपुर वापस आया था।

कोर्ट का कड़ा रुख: मां की हत्या अमानवीय, दोषी को कोई दया नहीं

कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के लिए बेटे द्वारा मां की हत्या करना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि इंसानियत के खिलाफ कृत्य है। इसलिए यह मामला 'दुर्लभतम' मामलों में आता है और दोषी को फांसी की सजा दी गई है। न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने साफ कहा कि दीपक को किसी भी प्रकार की दया नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि उसका अपराध अमानवीय है।

यह मामला मां-बेटे के रिश्ते की पवित्रता को तार-तार कर देने वाला है और हमें इंसानियत की अहमियत समझाता है। कोर्ट ने भी स्पष्ट संदेश दिया है कि मां की हत्या जैसा अपराध माफ नहीं किया जाएगा।  


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Content Editor

Priya Yadav

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