रोहतक की बेटी ने बढ़ाया परिवार का मान, एनडीए महिला बैच की टॉपर बन रचा इतिहास

punjabkesari.in Thursday, Jun 23, 2022 - 01:24 PM (IST)

कड़ी मेहनत और बुंलद हौंसलों के साथ जीवन में कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। अगर कुछ कर दिखाने के जज्बा हो तो आप कोई भी काम कम सकते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप लड़की हैं या लड़का। कुछ करना का जज्बा आपको मंजिल दिलाने में मदद करता है। ऐसा ही एक जज्बा रोहतक की लड़की शनन ढाका ने दिखाया है। शनन ने भारतीय सेना में महिलाओं के पहले एनडीए के बैच में टॉप किया है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारत सरकार ने एनडीए में लड़कियों को प्रवेश करने की अनुमति दी थी। जिसमें शनन ने ओवरऑल रैंक 10 प्राप्त किया है। 

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सिर्फ 40 दिनों में की थी तैयारी 

शनन में मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि- 'उन्होंनें एनडीए परिक्षा की तैयारी सिर्फ 40 दिनों में की थी। उन्हें तैयारी करने के लिए 40 दिन मिले थे। जिसमें उन्होंने बीते 10 सालों के प्रश्न पत्रों को बार-बार सॉल्व किया था। उन्होंने बताया कि एनडीए की परिक्षा में केवल ढाई घंटे का समय ही दिया जाता है।' शनन का लक्ष्य मात्र दो घंटों में पेपर को सॉल्व करना था। लिखित परीक्षा को पास करने के बाद उनका इंटरव्यू हुआ था। इंटरव्यू 5 दिनों तक चले और इस दौरान उन्होंने अपना आत्मविश्वास कमजोर नहीं होने दिया। शनन के इसी हिम्मत और आत्मविश्वास ने उनके सपनों को पूरा कर दिया। उन्होंने बताया कि मैंने परीक्षा के परिणामों को ध्यान में रखते हुए ही तैयारी की थी। इसके अलावा मैंने जॉगिंग और अन्य व्यायाम करने भी शुरु कर दिए थे। 

 शनन को परिवार से मिली देश सेवा की सीख

शनन ने कक्षा 12वीं में 98.2 प्रतिशत और कक्षा 10वीं में 97.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर विमेन में शनन ने बीए की डिग्री हासिल की। इसी दौरान ही उन्होंने सेना में जाने का फैसला कर लिया था। उनके सेना में जाने का कारण फैमिली बैकग्राउंड भी था। शनन के दादा चंद्रभाना ढाका जो कि सेना में सूबेदार थे, उनके पिता विजय कुमार ढाका ने भी भारतीय सेना में नायक सूबेदार के पद पर रहकर देश की सेवा की थी। 

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नौकरी नहीं  सेवा करना चाहती हैं शनन 

शनन ने बताया कि- 'सेना में काम करना उनके लिए नौकरी नहीं बल्कि सेवा करना है। पुराने दिनों को याद करते हुए शनन ने बताया कि- एक बार स्कूल में एनडीए मॉक टेस्ट में लड़कियां बैठना चाहती थीं, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं थी। केवल लड़के ही इस परिक्षा में भाग ले सकते थे। अब मुझे जब भी वह दिन याद आते हैं तो बहुत ही अच्छा लगता है।' 

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palak

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