शादी दिन में करें या रात में? सच जानकर रह जाएंगे हैरान!

punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 01:27 PM (IST)

नारी डेस्क : आजकल आपने देखा होगा कि ज्यादातर शादियां रात को होती हैं। लेकिन बचपन से हम सुनते आए हैं कि भगवान राम और माता सीता की शादी दिन में हुई थी, और भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी दिन के समय ही हुआ था। तो फिर सवाल ये उठता है कि आजकल रात में ही शादियां क्यों होती हैं? क्या शास्त्र इसकी इजाजत देते हैं? और क्या दिन की शादी ज्यादा शुभ होती है? आइए जानते हैं इस बदलाव का कारण और शास्त्रों की राय।

प्राचीन समय में दिन में होते थे विवाह

पुराने जमाने में शादी को एक पवित्र यज्ञ की तरह माना जाता था। उस समय विवाह सिर्फ एक सामाजिक रस्म नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान होता था, जिसमें अग्नि को साक्षी मानकर देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता था। चूंकि देवताओं का पूजन और यज्ञ आमतौर पर दिन में ही किए जाते थे, इसलिए विवाह भी दिन में ही संपन्न होता था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम और माता सीता का विवाह दोपहर (मध्यान्ह) में हुआ था। इसका प्रमाण इस श्लोक में मिलता है।

"ततो वैवाहिकं कृत्यं जनकेन महात्मना।
रामादिभिः कृतं सर्वं ब्राह्मणैः वेदपारगैः॥"
(बालकाण्ड, सर्ग 73)

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इसी तरह, शिव पुराण में भी उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह दिन में ही हुआ था। सूरज की रोशनी, अग्नि की उपस्थिति और यज्ञ की परंपरा को देखते हुए उस समय दिन के विवाह को अत्यंत शुभ और उचित माना जाता था।

क्या शास्त्र रात में विवाह की अनुमति देते हैं?

अब सवाल ये उठता है कि क्या शास्त्रों के अनुसार रात में विवाह करना सही है? तो इसका जवाब है – हां, बिल्कुल सही है। हालांकि पुराने समय में दिन में विवाह की परंपरा थी, लेकिन शास्त्रों में रात के विवाह को वर्जित नहीं किया गया है। आश्वलायन गृह्यसूत्र में स्पष्ट लिखा है कि विवाह दिन या रात किसी भी समय हो सकता है, बस मुहूर्त और नक्षत्र शुभ होने चाहिए। मनुस्मृति में भी समय (दिन या रात) की कोई मनाही नहीं है, बस विवाह शुभ तिथि और चंद्रमा की अनुकूल स्थिति में होना चाहिए। बता दे की नारद पुराण में तो यहां तक कहा गया है कि अगर रात की शुभ तिथि में विवाह होता है, तो दंपत्ति को सुख और लंबी आयु प्राप्त होती है। इसका मतलब यह है कि रात्रिकालीन विवाह शास्त्रों के अनुसार भी पूरी तरह से मान्य और शुभ होता है।

ज्योतिष के अनुसार रात में विवाह क्यों शुभ माना जाता है?

विवाह का संबंध सिर्फ रस्मों से नहीं, बल्कि ग्रह-नक्षत्रों से भी होता है और यही कारण है कि रात का समय कई बार ज्योतिष की दृष्टि से ज्यादा शुभ होता है।
विवाह के लिए जो राशि समय शुभ माने जाते हैं। जैसे वृषभ, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और मीन वे अक्सर रात्रि में मिलते हैं। विवाह का मुख्य ग्रह चंद्रमा होता है, और चंद्रमा का प्रभाव रात में अधिक होता है, इसलिए रात को किया गया विवाह भावनात्मक स्थिरता और सुखद दांपत्य जीवन देने वाला माना जाता है।बता दे की दांपत्य जीवन के लिए शुक्र ग्रह भी जिम्मेदार होता है, और वह भी रात्रि में अधिक प्रभावशाली होता है। दिन के समय राहुकाल, यमगंड और गुलिक काल जैसे दोष होते हैं, जो शादी के शुभ प्रभाव को बिगाड़ सकते हैं। लेकिन रात को इनसे बचना आसान होता है। इसलिए कई बार पंडित और ज्योतिषाचार्य विशेष रूप से रात्रिकालीन विवाह का सुझाव देते हैं।

रात की शादी का सामाजिक और व्यावहारिक पक्ष

रात्रिकालीन विवाह के चलन के पीछे केवल शास्त्र या ज्योतिष नहीं, समाज की सुविधा और परिस्थितियों का भी बड़ा हाथ है। पहले भारत एक कृषि प्रधान देश था। लोग दिनभर खेतों में काम करते थे, इसलिए वे रात को ही समय निकाल पाते थे। रात का मौसम ठंडा और आरामदायक होता है, जिससे मेहमानों को भी परेशानी नहीं होती। पहले दीयों की रोशनी, फिर बिजली की चमकदार सजावट ने रात की शादी को और भी आकर्षक और भव्य बना दिया। आज के समय में शादी एक संस्कार से बढ़कर सामाजिक उत्सव बन चुकी है।

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रात की शादी का एक नया उद्योग

अब शादी सिर्फ घर का कार्यक्रम नहीं रह गया है, बल्कि एक बड़ा उद्योग बन चुका है और रात की शादी इसका केंद्र है। होटल, मैरिज हॉल, डेकोरेशन, कैटरिंग, फोटोग्राफी, लाइटिंग, इवेंट प्लानिंग ये सभी रात की शादी पर निर्भर करते हैं। शहरों में लोग दिन में ऑफिस या कारोबार में व्यस्त रहते हैं, इसलिए रात का समय उनके लिए सबसे उपयुक्त होता है। फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी रात में लाइटिंग की वजह से ज्यादा सुंदर दिखती है। इस तरह, रात का विवाह अब परंपरा नहीं, बल्कि आधुनिक समय की आवश्यकता और सुविधा बन गया है।

अगर हम गहराई से समझें तो विवाह चाहे दिन में हो या रात में, दोनों ही शास्त्रों के अनुसार मान्य हैं। प्राचीन समय में दिन का विवाह इसलिए होता था क्योंकि यज्ञ, अग्नि और देवताओं का आह्वान दिन में किया जाता था। आज के समय में रात्रिकालीन मुहूर्त, सामाजिक सुविधा और ज्योतिषीय योग को देखते हुए रात में विवाह का चलन बढ़ गया है। शास्त्रों में कहीं भी रात के विवाह को अशुभ नहीं कहा गया, बल्कि नारद पुराण में इसे सुख और दीर्घायु का कारण बताया गया है। गलत केवल तब होता है जब विवाह दोषयुक्त मुहूर्त में किया जाए। इसलिए दिन हो या रात सही मुहूर्त और ज्योतिषीय गणना के अनुसार विवाह करना सबसे जरूरी है।
 


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Content Editor

Monika

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