तेल-शराब नहीं, ये है Cancer की असली जड़, 99% लोग कर रहे अनजाने में बड़ी गलती
punjabkesari.in Friday, Jun 20, 2025 - 05:47 PM (IST)

नारी डेस्क: कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो तेजी से बढ़ती है और जानलेवा हो सकती है। इसके कई प्रकार होते हैं और इसके पीछे कई कारण होते हैं। खासकर हमारी जीवनशैली से जुड़े कई कारक कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं। जैसे कि धूम्रपान (स्मोकिंग), अधिक शराब का सेवन, तेलीय और मसालेदार खाना आदि। दुनिया भर में कैंसर मौतों का एक बड़ा कारण है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की रिपोर्ट के अनुसार, हर पांच में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी कैंसर हो सकता है। इसके अलावा, हर नौ में से एक पुरुष और हर बारह में से एक महिला की मौत कैंसर के कारण होती है। यह संख्या यह दिखाती है कि कैंसर कितना खतरनाक और व्यापक रोग है।
कैंसर के कारण क्या हैं?
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि कैंसर केवल गलत खानपान या एक्सरसाइज न करने से होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नींद की कमी भी कैंसर के लिए एक बड़ा कारण हो सकता है? एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि नींद और कैंसर के बीच गहरा संबंध होता है।
नींद और कैंसर के बीच का संबंध
हमारा शरीर 24 घंटे के चक्र में काम करता है, जिसे सर्कैडियन रिदम (Circadian Rhythm) कहा जाता है। यह चक्र हमारी नींद, हार्मोन और कई जरूरी शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। यह चक्र खास तौर पर रोशनी के प्रति संवेदनशील होता है, खासकर मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसे गैजेट्स से निकलने वाली ब्लू लाइट के लिए। अगर कोई व्यक्ति रात में देर तक स्क्रीन देखता है, तो इसका सर्कैडियन रिदम बिगड़ जाता है। इससे शरीर का पूरा सिस्टम गड़बड़ा जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
रात में रोशनी और कैंसर का खतरा
2005 की एक स्टडी में यह पाया गया कि रात में इलेक्ट्रिक लाइट के संपर्क में रहने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर विकसित औद्योगिक देशों में, जहां रात में ज्यादा लाइट का इस्तेमाल होता है, ब्रेस्ट कैंसर का खतरा पांच गुना ज्यादा देखा गया है।
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रोशनी से मेलाटोनिन का उत्पादन कम होना
रात के अंधेरे में हमारा दिमाग मेलाटोनिन नामक हार्मोन बनाता है। यह हार्मोन हमें नींद लाने में मदद करता है। लेकिन मेलाटोनिन केवल नींद ही नहीं लाता, यह कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने को भी रोकता है। जब आप रात में रोशनी या मोबाइल-स्क्रीन की ब्लू लाइट के संपर्क में रहते हैं, तो मेलाटोनिन का स्तर कम हो जाता है। इससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। नींद हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। यदि आपकी नींद लगातार खराब हो, आपका सर्कैडियन रिदम बिगड़ जाए, और आप रात में रोशनी या मोबाइल स्क्रीन के कारण मेलाटोनिन नहीं बना पाएं, तो इससे ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और कोलन (आंत) कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
नाइट शिफ्ट में काम करने वालों के लिए अधिक खतरा
जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, उन्हें कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। लेकिन केवल शिफ्ट वर्कर ही जोखिम में नहीं हैं। अगर आप देर रात तक मोबाइल, टीवी या लैपटॉप देखते हैं, तो आप भी इस खतरे में हैं। 2021 की एक स्टडी में यह भी कहा गया है कि रात में लाइट के संपर्क में रहने से थायरॉइड कैंसर का खतरा भी बढ़ता है।
कैंसर से बचाव के आसान उपाय
सोने से कम से कम 2 घंटे पहले स्क्रीन का उपयोग बंद कर दें।
सूर्य ढलने के बाद घर की लाइट को धीमा कर दें।
हर दिन एक निश्चित समय पर सोने और उठने की आदत बनाएं।
मोबाइल या लैपटॉप में “नाइट मोड” ऑन करें या पीली लाइट वाले चश्मे पहनें।
सोने का कमरा शांत, अंधेरा और आरामदायक रखें।
कैंसर से बचाव के लिए हमारी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव बहुत मददगार हो सकते हैं। सही समय पर सोना, स्क्रीन टाइम कम करना, और अच्छी नींद लेना न सिर्फ आपकी सेहत को बेहतर बनाएगा, बल्कि कैंसर जैसे जानलेवा रोग के खतरे को भी कम करेगा। इसलिए आज ही अपनी आदतों पर ध्यान दें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।